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स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर रिपोर्ट 2025 (SOFA 2025) | UPSC Preparation

SOFA 2025

SOFA 2025

संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा 3 नवम्बर 2025 को जारी “स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर रिपोर्ट 2025 (SOFA 2025)” ने मानव-जनित भूमि क्षरण (Land Degradation) को दुनिया के लिए एक गम्भीर खतरा बताया है। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कैसे अनियंत्रित खेती, जंगलों की कटाई और अस्थिर भूमि उपयोग नीतियाँ कृषि उत्पादकता, पर्यावरण और गरीबी को प्रभावित कर रही हैं।

About SOFA Report (रिपोर्ट के बारे में)

  • SOFA रिपोर्ट हर वर्ष FAO द्वारा प्रकाशित की जाती है। इसका उद्देश्य सरकारों को सतत भूमि प्रबंधन (Sustainable Land Management) और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी नीतियाँ बनाने में मदद करना है।
  • 2025 की रिपोर्ट का मुख्य विषय है – “मानव-प्रेरित भूमि क्षरण और उसका कृषि, गरीबी व पारिस्थितिकी पर प्रभाव”। रिपोर्ट में भूमि उपयोग पैटर्न, मिट्टी के आँकड़े, फसल उत्पादकता और सामाजिक-आर्थिक संकेतकों को जोड़कर एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।

वैश्विक मुख्य निष्कर्ष (Global Key Findings 2025)

  • लगभग 1.7 अरब लोग ऐसी भूमि पर रहते हैं जहाँ कृषि उत्पादन घट रहा है।
  • कृषि विस्तार विश्व के 90% वनों की कटाई का मुख्य कारण है।
  • 2001 से 2023 के बीच विश्व की कृषि भूमि में 78 मिलियन हेक्टेयर (–2%) की कमी हुई।
  • हर वर्ष करीब 3.6 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि मिट्टी की क्षति के कारण छोड़ दी जाती है।
  • यदि 10% क्षरित भूमि को पुनर्स्थापित किया जाए तो 15.4 करोड़ लोगों को सालभर भोजन उपलब्ध कराया जा सकता है।
  • उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया भूमि क्षरण, गरीबी और कुपोषण के सबसे बड़े केंद्र हैं।
  • छोटे किसान (<2 हेक्टेयर) 85% खेतों के मालिक हैं लेकिन उनके पास केवल 9% भूमि है, जबकि बड़े किसान (>1000 हेक्टेयर) लगभग 50% भूमि पर काबिज हैं।

भारत से जुड़ी बातें (India-specific Insights)

  • भारत उन देशों में शामिल है जहाँ भूमि क्षरण से सर्वाधिक उपज हानि देखी गई है।
  • पूर्वी और दक्षिणी भारत सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र हैं क्योंकि यहाँ जनसंख्या घनत्व और फसल चक्र दोनों ही अधिक हैं।
  • मुख्य कारण हैं – मिट्टी का कटाव, पोषक तत्वों की कमी, वनों की कटाई और अधिक सिंचाई
  • FAO ने भारत को सुझाव दिया है कि वह पीएम-कुसुम (PM-KUSUM) और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) जैसी योजनाओं से भूमि पुनर्स्थापन को जोड़े।

मुख्य पर्यावरणीय व आर्थिक तथ्य (Environmental & Economic Facts)

  • विश्व की लगभग 20% कृषि भूमि में उत्पादकता घट रही है।
  • मिट्टी में कार्बन की कमी (Soil Organic Carbon Loss) के कारण जल धारण क्षमता और सूक्ष्मजीव सक्रियता घट रही है।
  • 1% बड़े किसान विश्व की 70% कृषि भूमि पर नियंत्रण रखते हैं, जिससे भूमि समानता (Land Inequality) की समस्या बढ़ रही है।
  • 60 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि 1992 से 2015 के बीच छोड़ दी गई।
  • भूमि क्षरण से अब ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन भी बढ़ रहा है, जिससे SDG 15.3 (Land Degradation Neutrality) की प्रगति प्रभावित हो रही है।

FAO की प्रमुख सिफारिशें (FAO Recommendations)

  • छोटे किसानों के लिए प्रोत्साहन योजनाएँ व Payment for Ecosystem Services लागू की जाएँ।
  • बड़े कृषि उद्यमों पर टिकाऊ इनपुट उपयोग के लिए नियमन बढ़ाया जाए।
  • कार्बन फार्मिंग और Regenerative Agriculture के लिए सार्वजनिक–निजी निवेश को बढ़ावा दिया जाए।
  • स्थानीय समुदायों और महिलाओं को भूमि पुनर्स्थापन कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका दी जाए।
  • वैश्विक भूमि डेटा केंद्र (Global Land Degradation Data Hub) स्थापित कर वास्तविक समय में निगरानी की जाए।

निष्कर्ष (Conclusion)

FAO की यह रिपोर्ट एक चेतावनी है कि यदि भूमि क्षरण पर तुरंत नियंत्रण नहीं किया गया तो वैश्विक खाद्य सुरक्षा संकट और बढ़ेगा। सतत भूमि उपयोग, मिट्टी की सेहत, और छोटे किसानों की सशक्त भूमिका ही आने वाले वर्षों में खाद्य प्रणाली को स्थिर और समावेशी बना सकती है।

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