HAL Inks $1 Billion Deal with GE Aerospace
संदर्भ:
भारत की हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 7 नवंबर 2025 को अमेरिका की GE Aerospace कंपनी के साथ 113 F404-GE-IN20 जेट इंजनों की आपूर्ति के लिए लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर (₹8,870 करोड़) का समझौता किया है। यह सौदा तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) कार्यक्रम के अगले चरण को सशक्त करेगा।
समझौते के बारे में:
- यह अनुबंध HAL और GE Aerospace के बीच हुआ, जिसके तहत इंजन आपूर्ति 2027 से 2032 के बीच चरणबद्ध रूप से की जाएगी।
- ये इंजन तेजस Mk-1A फाइटर जेट्स को शक्ति देंगे, जिनका निर्माण HAL द्वारा किया जा रहा है।
- यह सौदा भारत-अमेरिका रक्षा तकनीकी सहयोग की दिशा में एक नया अध्याय है।
Tejas Light Combat Aircraft (तेजस हल्का लड़ाकू विमान):
- तेजस LCA भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है, जिसे ADA (Aeronautical Development Agency) ने डिजाइन किया और HAL ने तैयार किया।
- इस परियोजना की शुरुआत 1983 में हुई थी, ताकि MiG-21 जैसे पुराने विमानों की जगह आधुनिक विमान तैयार किया जा सके।
- पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 को हुई और Final Operational Clearance (FOC) फरवरी 2019 में प्राप्त हुई।
- वर्तमान में भारतीय वायुसेना (IAF) के पास 180 तेजस विमानों का ऑर्डर है, जिसमें हाल ही में 97 Mk-1A वर्जन शामिल किए गए हैं।
- पहला स्क्वाड्रन “45 फ्लाइंग डैगर्स” जुलाई 2016 में सुलूर एयर बेस (तमिलनाडु) में स्थापित हुआ।
मुख्य विशेषताएँ (Key Features):
- इंजन: GE F404-IN20, जो इसे लगभग Mach 1.8 (2,200 km/h) की अधिकतम गति देता है।
- संरचना: 45% कंपोज़िट मटेरियल, जो वजन घटाते हैं और मजबूती बढ़ाते हैं।
- रेंज: लगभग 500 किलोमीटर की लड़ाकू सीमा।
- टेक्नोलॉजी: फ्लाई-बाय-वायर कंट्रोल सिस्टम, ग्लास कॉकपिट, AESA रडार (EL/M-2052) और एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट।
- हथियार क्षमता: 3.5 टन तक पेलोड – अस्ट्रा, डर्बी, पाइथन-5 जैसी मिसाइलें और प्रिसीजन बम ले जा सकता है।
- स्वदेशीकरण स्तर: लगभग 70% भारतीय निर्मित घटक, जिनमें एवियोनिक्स, फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम और स्ट्रक्चर शामिल हैं।
वेरिएंट्स (Variants):
- Tejas Mk-1: वर्तमान में IAF में परिचालन में है।
- Tejas Mk-1A: 2021 में स्वीकृत, उन्नत रडार और रिफ्यूलिंग प्रोब सहित।
- Tejas Mk-2: विकासाधीन, GE F414 इंजन से संचालित होगा, पहली उड़ान 2026 में प्रस्तावित।
- Naval LCA Tejas: नौसेना के लिए विकसित, INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत पर परीक्षणित।
महत्त्व (Significance of the Deal):
- आत्मनिर्भर भारत (Self-Reliant India): यह सौदा रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है। यह भविष्य में भारत को स्वदेशी जेट इंजन निर्माण क्षमता विकसित करने में मदद करेगा।
- तकनीकी हस्तांतरण (Technology Transfer): इस समझौते में जॉइंट प्रोडक्शन और टेक्नोलॉजी शेयरिंग शामिल है। इससे HAL को एडवांस्ड मटेरियल्स, टरबाइन डिजाइन और प्रिसीजन मैन्युफैक्चरिंग की विशेषज्ञता मिलेगी, जो AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) परियोजना के लिए भी उपयोगी होगी।
- रोजगार सृजन (Employment Generation): इस परियोजना से हजारों इंजीनियर, तकनीशियन और गुणवत्ता निरीक्षक के लिए रोजगार के अवसर बनेंगे। साथ ही तकनीकी संस्थानों में स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम भी शुरू होंगे।
- आर्थिक प्रभाव (Economic Growth): यह सौदा भारत के औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा। इलेक्ट्रॉनिक्स, धातु, मशीनिंग और सॉफ्टवेयर उद्योग को लाभ मिलेगा। यह विदेशी निवेश (FDI) को भी आकर्षित करेगा।
India–US Defence Relations (भारत–अमेरिका रक्षा संबंध):
- 2025 में दोनों देशों ने 10-वर्षीय रक्षा रूपरेखा समझौता किया है, जिसमें टेक्नोलॉजी शेयरिंग और संयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा दिया गया।
- COMCASA (2018), LEMOA (2016) और BECA (2020) जैसे समझौते आपसी लॉजिस्टिक्स, कम्युनिकेशन और जियोस्पैटियल डेटा साझेदारी को मजबूत करते हैं।
- भले ही 2025 में अमेरिका ने कुछ भारतीय निर्यातों पर टैरिफ बढ़ाए, परंतु रक्षा सहयोग अप्रभावित रहा।
- यह सौदा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए दोनों देशों के साझा प्रयासों को दर्शाता है।

