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UPSC को अभ्यर्थियों के वेरिफिकेशन के लिए केंद्र सरकार ने आधार-आधारित प्रमाणीकरण की मंजूरी दी

Mains GS II – सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे

GS III – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को अभ्यर्थियों के सत्यापन के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण की अनुमति दी है। यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहली बार है जब यूपीएससी ने उम्मीदवारों की पहचान को सत्यापित करने के लिए इस प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल करने का निर्णय केंद्र सरकार के अधीन लिया है। इस निर्णय से यूपीएससी की परीक्षाओं में पारदर्शिता और सुरक्षा में वृद्धि होने की उम्मीद है ।

मुख्य बिंदु

  • पहली बार स्वैच्छिक आधार पर आधार-आधारित प्रमाणीकरण की अनुमति दी गई है।
  • यह तकनीक उम्मीदवारों की पहचान सत्यापित करने के लिए पंजीकरण के समय और परीक्षा के विभिन्न चरणों में उपयोग की जाएगी।
  • इसमें भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के सभी निर्देशों का पालन किया जाएगा।
  • इस तकनीक में प्रमाणीकरण हां/नहीं या/और ई-केवाईसी विकल्प आधारित दिया जाएगा।
  • इसमें आधार अधिनियम, 2016 (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) के सभी प्रावधानों का पालन किया जाना अनिवार्य है।

यह कदम क्यों उठाया गया

यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि हाल ही में यूपीएससी द्वारा परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी रद्द की गई थी। खेडकर पर आरोप था कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में निर्धारित संख्या से अधिक प्रयास किए थे, जो कि परीक्षा नियमों का उल्लंघन है। इसके अलावा, उन पर विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) (गैर-क्रीमी लेयर) कोटा का दुरुपयोग करने के भी गंभीर आरोप लगे थे। इस घटना ने यूपीएससी की परीक्षाओं में पारदर्शिता और सत्यापन की जरूरत को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। इसलिए, केंद्र सरकार ने आधार-आधारित प्रमाणीकरण को स्वैच्छिक रूप से लागू करने का निर्णय लिया है।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)

● यह भारत का एक संवैधानिक निकाय है जो केंद्र सरकार के अधीन समूह ‘A’ और समूह ‘B’ सेवाओं के लिए अधिकारियों की भर्ती करता है।

● इसकी स्थापना अक्टूबर 1926 को हुई थी।

● UPSC विभिन्न परीक्षाओं का आयोजन करता है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण सिविल सेवा परीक्षा (IAS, IPS, IFS) है।

● इसके अलावा, यह इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा, संयुक्त चिकित्सा सेवा परीक्षा, NDA, CDS, और अन्य परीक्षाएं भी आयोजित करता है।

● UPSC का गठन संविधान के अनुच्छेद 315-323 के तहत किया गया है।

● इसे उच्च स्तर की स्वतंत्रता और स्वायत्तता दी गई है ताकि यह बिना किसी हस्तक्षेप के काम कर सके।

● UPSC के मुख्य कार्य केंद्र सरकार के लिए अधिकारियों की भर्ती करना, प्रमोशन और ट्रांसफर पर सलाह देना, और प्रशासनिक सुधारों पर सुझाव देना है।

क्या है आधार-आधारित प्रमाणीकरण तकनीक

केंद्र सरकार की आधार-आधारित प्रमाणीकरण तकनीक एक डिजिटल प्रणाली है जो किसी व्यक्ति की पहचान को उसके आधार कार्ड के माध्यम से सत्यापित करती है। इस प्रमाणीकरण प्रक्रिया में दो मुख्य चरण शामिल होते हैं:

  1. बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण: इसमें व्यक्ति के फिंगरप्रिंट या आंखों की पुतली (आईरिस) की स्कैनिंग की जाती है और इसे आधार डेटाबेस में संग्रहीत बायोमेट्रिक डेटा से मिलाया जाता है। यदि यह मेल खाता है, तो व्यक्ति की पहचान सत्यापित हो जाती है।
  2. जनसांख्यिकीय प्रमाणीकरण: इसमें व्यक्ति के नाम, पता, जन्मतिथि आदि जैसी जानकारी को आधार डेटाबेस में संग्रहीत जानकारी से मिलाया जाता है। इसके लिए एक “हां/नहीं” प्रकार का प्रमाणीकरण किया जाता है, जिससे यह पता चलता है कि जानकारी सही है या नहीं।

आधार- Aadhar

● यह भारत सरकार द्वारा जारी किया गया एक 12-अंकों का विशिष्ट पहचान संख्या है।

● इसकी शुरुआत 28 जनवरी 2009 को हुई।

● इसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी किया जाता है।

● यह पहचान संख्या भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है।

● इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को एक सार्वभौमिक पहचान प्रदान करना है।

● आधार संख्या प्रत्येक व्यक्ति के लिए अद्वितीय होती है और जीवन भर के लिए मान्य रहती है।

● पहली UIDAI संख्या 2010 में जारी की गई थी।

● इसे विभिन्न सेवाओं और योजनाओं के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रमाणित किया जा सकता है, जैसे कि बैंक खाता खोलना, पासपोर्ट बनवाना, और सरकारी लाभ प्राप्त करना।

● आधार का उपयोग केवाईसी (Know Your Customer) प्रक्रिया में भी किया जाता है।

आधार-आधारित प्रमाणीकरण की प्रक्रिया

यह प्रक्रिया मुख्य रूप से तीन चरणों में काम करती है:

  1. डेटा संग्रहण:
  • पंजीकरण: सबसे पहले, उम्मीदवार को यूपीएससी के “वन टाइम रजिस्ट्रेशन” (OTR) पोर्टल पर अपना पंजीकरण करना होता है। यहां उम्मीदवार अपनी आधार संख्या, नाम, पता, जन्मतिथि आदि की जानकारी देते हैं।
  • बायोमेट्रिक डेटा: उम्मीदवार का फिंगरप्रिंट या आईरिस स्कैन किया जाता है। यह डेटा पहले से UIDAI के डेटाबेस में संग्रहीत होता है, जो आधार जारी करते समय एकत्र किया गया था।
  1. प्रमाणीकरण:
  • फिंगरप्रिंट या आईरिस स्कैन: उम्मीदवार के फिंगरप्रिंट या आईरिस को फिर से स्कैन किया जाता है और इसे आधार डेटाबेस में संग्रहीत बायोमेट्रिक डेटा से मिलाया जाता है। यदि यह डेटा मेल खाता है, तो प्रमाणीकरण सफल हो जाता है।
  • ओटीपी प्रमाणीकरण: अगर बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण संभव नहीं है, तो जनसांख्यिकीय विवरणों के आधार पर प्रमाणीकरण किया जा सकता है। इसमें उम्मीदवार के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) भेजा जाता है। उम्मीदवार द्वारा सही ओटीपी दर्ज करने पर प्रमाणीकरण हो जाता है।
  1. प्रमाणीकरण का उपयोग:
  • परीक्षा और भर्ती प्रक्रिया: एक बार प्रमाणीकरण सफल हो जाने पर, उम्मीदवार यूपीएससी की परीक्षा और भर्ती के विभिन्न चरणों में भाग लेने के लिए पात्र हो जाता है। आधार प्रमाणीकरण का उपयोग पंजीकरण, एडमिट कार्ड जारी करने, परीक्षा केंद्र में उपस्थिति दर्ज करने और अन्य भर्ती प्रक्रियाओं में किया जाता है।

आधार-आधारित प्रमाणीकरण

आधार-आधारित प्रमाणीकरण के फायदे

  • धोखाधड़ी की रोकथाम: परीक्षा के विभिन्न चरणों में प्रमाणीकरण से धोखाधड़ी के मामलों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा, जिससे परीक्षा प्रणाली की शुचिता और निष्पक्षता बढ़ेगी।
  • प्रक्रिया में पारदर्शिता: आधार प्रमाणीकरण के उपयोग से पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी, जिससे उम्मीदवारों के बीच विश्वास और विश्वासनीयता बढ़ेगी।
  • डेटाबेस एकीकरण: आधार नंबर के माध्यम से उम्मीदवारों का डेटाबेस एकीकृत किया जा सकेगा, जिससे भविष्य में रिकॉर्ड की जाँच और निगरानी करना सरल होगा।
  • समय की बचत: प्रमाणीकरण की इस प्रणाली से परीक्षा से जुड़े विभिन्न चरणों में समय की बचत होगी, क्योंकि पहचान सत्यापन की प्रक्रिया तेजी से हो सकेगी।
  • समावेशिता: आधार कार्ड भारत में लगभग सभी नागरिकों के पास है। इससे उन लोगों को भी आवेदन करने का मौका मिलेगा जिनके पास अन्य पहचान दस्तावेज नहीं हैं।

भारत में आधार-आधारित प्रमाणीकरण की शुरुआत

  • इसकी शुरुआत भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा की गई थी।
  • इसे लेकर अनेक विरोध हुए जिससे यह प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय में अटक गई ।
  • वर्ष 2017 में उच्चतम न्यायालय ने आधार की संवैधानिकता को बरकरार रखा। इसमें कुछ धाराओं को रद्द किया गया जो निजी संस्थाओं को सेवाएं प्रदान करने के लिए आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करने की अनुमति देती थीं।
  • इसके बाद, 2020 में, सरकार ने सुशासन के लिए आधार अधिप्रमाणन (समाज कल्याण, नवाचार, ज्ञान) नियम 2020 पेश किया, जिसमें निजी संस्थाओं और राज्य सरकारों को आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करने की अनुमति दी गई।
  • अंत में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विभिन्न सेवाओं के लिए आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करने की अनुमति देने की सिफारिश की है। जिसे स्वीकार किया गया।

आधार प्रमाणीकरण का व्यापक उपयोग

  • सार्वजनिक सेवाएँ और कल्याण योजनाएँ: सामाजिक सुरक्षा पेंशन, सब्सिडी, और कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान और पात्रता सुनिश्चित करने के लिए आधार का उपयोग किया जा रहा है।
  • बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ: KYC (Know Your Customer) प्रक्रिया के लिए आधार प्रमाणीकरण का उपयोग होता है। बैंक खाता खोलने, ऋण लेने, और अन्य वित्तीय लेन-देन के लिए आधार की आवश्यकता होती है।
  • टेलीकोम सेवाएँ: मोबाइल सिम कार्ड खरीदने और नवीनीकरण के लिए आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य किया गया है।
  • स्वास्थ्य सेवाएँ: स्वास्थ्य बीमा और चिकित्सा सुविधाओं के लिए आधार प्रमाणीकरण का उपयोग होता है।
  • शैक्षिक संस्थान: स्कूलों और कॉलेजों में छात्रवृत्ति और प्रवेश प्रक्रियाओं के लिए आधार प्रमाणीकरण का उपयोग होता है।

UPSC द्वारा उठाए गए नकल विरोधी कदम

  • UPSC ने चेहरे की पहचान के लिए AI आधारित प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है।
  • उम्मीदवारों की पहचान की पुष्टि करने के लिए चेहरे की पहचान की तकनीक और ई-प्रवेश पत्रों पर क्यूआर कोड स्कैनिंग की सुविधा दी गई है।
  • परीक्षा के दौरान निगरानी के लिए AI-आधारित लाइव सीसीटीवी निगरानी सेवा का उपयोग किया जा रहा है।

UPSC में आधार प्रमाणीकरण की चुनौतियाँ

  • गोपनीयता की चिंता: आधार डेटा का उपयोग करने से उम्मीदवारों की व्यक्तिगत जानकारी और बायोमेट्रिक डेटा की सुरक्षा पर सवाल उठ सकते हैं, जिससे गोपनीयता की चिंताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • तकनीकी समस्याएँ: फिंगरप्रिंट स्कैनिंग और चेहरे की पहचान तकनीकें कभी-कभी तकनीकी समस्याओं का सामना कर सकती हैं, जैसे कि स्कैनिंग की असफलता या गलत पहचान, जो परीक्षा प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं।
  • साइबर सुरक्षा जोखिम: आधार डेटा का ऑनलाइन स्टोरेज और ट्रांसमिशन साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील हो सकता है, जिससे डेटा उल्लंघन और दुरुपयोग की संभावना बढ़ सकती है।
  • प्रशासनिक चुनौतियाँ: आधार प्रमाणीकरण को सही तरीके से लागू करने और इसे सभी परीक्षा केंद्रों में एकरूपता से चलाने के लिए प्रशासनिक संसाधनों और प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ):

प्रश्न:1 निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. आधार कार्ड का उपयोग नागरिकता या अधिवास के प्रमाण के रूप में किया जा सकता हैै।
  2. एक बार जारी होने के बाद आधार संख्या को जारीकर्त्ता प्राधिकारी द्वारा समाप्त या छोड़ा नहीं जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों 

(d) न तो 1 और न ही 2 

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