Birsa munda
संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को स्वतंत्रता संग्राम के महानायक भगवान बिरसा मुंडा को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनका त्याग और समर्पण देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा।
(Birsa munda) बिरसा मुंडा: जनजातीय वीर योद्धा और स्वतंत्रता सेनानी
बिरसा मुंडा (1875–1900) भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख आदिवासी नेता थे, जो झारखंड के छोटानागपुर क्षेत्र से संबंध रखते थे। वे मुंडा जनजाति से थे और उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनजातीय विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसे उलगुलान (महाविद्रोह) के नाम से जाना जाता है।
मुख्य योगदान:
- अंग्रेजों द्वारा जमीन हड़पने और बंधुआ मजदूरी के खिलाफ जनजातीयों को संगठित किया।
- मुंडा राज के नाम से आदिवासियों को एकजुट कर गोरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई।
- वन कानूनों और अन्यायपूर्ण करों का विरोध किया, जिससे आदिवासियों के जीवन पर असर पड़ रहा था।
- उनकी संघर्षशीलता के कारण छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 पास हुआ, जिसने आदिवासियों की जमीन की रक्षा की।
सामाजिक और धार्मिक भूमिका:
- उन्हें उनके अनुयायी “धरती आबा” (धरती के पिता) और “बिरसा भगवान” के रूप में पूजते हैं।
- उन्होंने बिरसाइत धर्म की स्थापना की, जो आदिवासी परंपराओं, एकेश्वरवाद और धार्मिक पुनर्जागरण पर आधारित था।
- उन्होंने अपने लोगों को परंपराओं की ओर लौटने और अपनी पहचान को बनाए रखने की प्रेरणा दी।
- बिरसा मुंडा का निधन मात्र 25 वर्ष की आयु में, 9 जून 1900 को हुआ, लेकिन उनका जीवन आज भी आदिवासी गौरव, संघर्ष और आत्मसम्मान का प्रतीक बना हुआ है।