पिछले दिनों संसद सत्र के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरु नानक देव की मुद्रा को लेकर टिप्पणी की थी, जिसको लेकर उन्हें फटकार लगी है.
जानिए पूरी जानकारी | Abhaya Mudra Benefits, and many more
चर्चा में क्यों है:–
- हाल ही में लोकसभा में दिए गए बयान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने अभय मुद्रा का जिक्र किया था। जिसके बाद इसको लेकर यह विषय चर्चा में है।
- उन्होंने भगवान शिव की अभय मुद्रा की तस्वीर सदन में दिखाकर कहा कि भगवान शिव अभय मुद्रा की बात करते हैं।
- उन्होंने कहा कि सभी धर्म अभय और अहिंसा की बात करते हैं जो कि कांग्रेस का चुनाव चिन्ह भी यही कहता है।
- राष्ट्रपति के अभिभाषण पर नेता विपक्ष के रूप में उनका पहला संबोधन पूरे भारत में चर्चा का विषय बन गया और अभय मुद्रा की चर्चा सदन से लेकर सामान्य मानवीय तक काफी तेज हो गई।
क्या है अभय मुद्रा?:–
- अभय का अर्थ होता है ‘भय मुक्त’ होना। अर्थात् अभय मुद्रा को भय दूर करने और सुरक्षा के आश्वासन का प्रतीक माना जाता है।
- अभय मुद्रा को सुरक्षा, आश्रय देने और खतरे से सुरक्षा प्रदान करने के रूप में भी देखा जाता है।
- यह मुद्रा बौद्ध, जैन, ईसाई तथा खासकर हिंदू धर्म के प्रसिद्ध देवी देवताओं की प्रतिमा में देखने को मिलता है।
- इस मुद्रा में दाहिना हाथ कंधे के बराबर होता है जिसका पंजा खुला और सभी उंगलियां सीधी होती है। इस मुद्रा को आमतौर पर हम आशीर्वाद मुद्रा के रूप में भी जानते हैं।
- इस मुद्रा का उपयोग विशेष रूप से योग और ध्यान केंद्रित करने के लिए भी किया जाता है।
- वैसे तो अभय मुद्रा सभी धर्म में प्रचलित है किंतु हिंदू और बौद्ध धर्म में इसकी प्रमुखता ज्यादा है। थाईलैंड और लॉस में बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे भगवान बुद्ध की छवि के साथ जोड़कर देखते हैं।
अभय मुद्रा का महत्त्व:–
- अभय मुद्रा का अभ्यास करने से मस्तिष्क को यह संदेश मिलता है कि व्यक्ति को निडर होना चाहिए।
- अभयमुद्रा सांकेतिक रूप से हमारे शरीर और मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कराता है।
- अभय मुद्रा भावनात्मक स्थिरता को बढ़ा कर नकारात्मक भावनाओं को प्रबंधित करने में मदद करती है।
- यह मुद्रा हमारे जीवन में निडरता और आंतरिक शक्ति को विकसित करने का भी काम करती है।
- सिर्फ बौद्ध धर्म ही नहीं इस मुद्रा का सभी धर्मों में महत्व है। हमारे प्राचीन मंदिरों में भगवान शिव भी अक्सर अभय मुद्रा में ही दिखते हैं, जो उनके दिव्य सुरक्षा और निडरता का प्रतीक है।
- भगवान शिव के अलावा भगवान विष्णु, देवी दुर्गा की प्रतिमाओं में भी अभय मुद्रा देखने को मिलती है.
हमारे देश में सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत के रूप में बहुत सी ऐसी चीजें मिली है, जिनसे हमें प्राचीन काल से ही सांकेतिक रूप में सीख मिलता रहा है। उनका हमारे जीवन काल में गहरा प्रभाव पड़ता है और यह प्रभाव दीर्घकाल तक दिखाई देता है।Abhaya mudra Benefits आपके जीवन में बहुत महत्व रखते हैं।
अभय मुद्रा की उत्पत्ति:–
अभय मुद्रा की उत्पत्ति को लेकर बौद्ध धर्म में एक किवदंती भी है। जिसमें बुद्ध के चचेरे भाई ने एक हाथी से भगवान बुद्ध की हत्या करने की कोशिश की। लेकिन हाथी जैसे ही बुद्ध के सामने आया बुद्ध ने अभय मुद्रा दिखाकर उसे शांत कर दिया।
तब से लोगों का यह मानना है कि यह मुद्रा इंद्रियों की शांति और भय की अनुपस्थिति का संकेत देता है। जीवन में बहुत सारी समस्याओं का समाधान अभय मुद्रा में है ये सच है कि Abhaya mudra Benefits आपके जीवन में बहुत परिवर्तन ला सकते हैं
इस्लाम में नहीं हैं जिक्र:–
वैसे तो सदन में राहुल गांधी ने सभी धर्मों के साथ इस्लाम धर्म में भी अभय मुद्रा होने की बात कही थी, लेकिन अभयमुद्रा का इस्लाम के साथ जोड़ने पर इस्लाम धर्म के लोगों ने इसका भरपूर विरोध किया। अजमेर शरीफ के हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने कहा कि,“अभय मुद्रा का इस्लाम धर्म में कहीं कोई जिक्र नहीं है और न ही इस्लाम की किसी भी धार्मिक शिक्षाओं और किताबों में इस मुद्रा का कोई स्थान है। हमने राहुल गांधी जी का भाषण सुना है उनका अभय मुद्रा को इस्लाम से जोड़ने पर हमारी आपत्ति है। इसको लेकर उन्हें अपने भाषण में सुधार करना चाहिए।”
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