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Bangladesh Protest Against Reservation

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बांग्लादेश में आरक्षण (Reservation) के खिलाफ हो रही हिंसा के बीच भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों के लिए सुरक्षा advisory जारी की है और उनसे सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की हैं।

बांग्लादेश हिंसा का कारण:

  • बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को Reservation देने के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहा हैं।

घटनाक्रम :

  • बांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ था।
  • 1971 से ही वहां पर 80 फीसदी Reservation सिस्टम लागू हुआ।
  • इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30%, पिछड़े जिलों के लिए 40%, महिलाओं के लिए 10% Reservation दिया गया।
  • सामान्य छात्रों के लिए मात्र 20% सीटें रखी गईं।
  • 1976 में पिछड़े जिलों के लिए Reservation को 20% कर दिया गया। इससे सामान्य छात्रों को 40% सीटें हो गईं।
  • 1985 में पिछड़े जिलों का Reservation और घटा कर 10% कर दिया गया और अल्पसंख्यकों के लिए 5% आरक्षण दिया गया। इससे सामान्य छात्रों के लिए 45% सीटें हो गईं।
  • शुरूआत में स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे-बेटियों को ही Reservation मिलता था लेकिन 2009 से इसमें पोते-पोतियों को भी जोड़ दिया गया।
  • 2012 में विकलांग छात्रों को भी 1% आरक्षण दिया गया। इससे कुल Reservation 56% हो गया और सामान्य छात्रों को 44% सीटें हो गईं।
  • साल 2018 में 4 महीने तक छात्रों के प्रदर्शन के बाद हसीना सरकार ने आरक्षण सिस्टम खत्म कर दिया था।
  • लेकिन 5 जून 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर से Reservation देने का आदेश दिया।
  • कोर्ट ने कहा कि 2018 से पहले जैसे आरक्षण मिलता था, उसे फिर से उसी तरह लागू किया जाए।
  • शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील भी की मगर सुप्रीम कोर्ट ने अपना पुराना फैसला बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए। अब इसी के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा है।

बांग्लादेश में सरकारी नौकरी (Government Jobs in Bangladesh):

  • बांग्लादेश में भी भारत की तरह सरकारी नौकरी रोजगार का एक बड़ा जरिया है।
  • बांग्लादेश में हर साल 4 लाख से भी अधिक छात्र 3 हजार बांग्लादेश पब्लिक सर्विस कमीशन (BPSC) के लिए आवेदन करते हैं।

छात्रों की माँग (Students’ demand):

  • सरकारी नौकरियों के लिए मौजूदा कोटा प्रणाली को रद्द करना।
  • अल्पसंख्यक समूहों और विकलांग लोगों को उचित दरों पर कोटा का प्रावधान।
  • संसद में एक नया कानून पारित करना जो कुल नौकरियों के अधिकतम 5% के लिए एक नई कोटा प्रणाली स्थापित करता है।

भारत में आरक्षण (Reservation in India):

  • भारत की सदियों पुरानी जाति व्यवस्था देश में Reservation प्रणाली की उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार है।
  • विलियम हंटर और ज्योतिराव फुले ने 1882 में सबसे पहले जाति-आधारित आरक्षण का विचार प्रस्तुत किया था।
  • वर्तमान Reservation प्रणाली 1933 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री रामसे मैकडोनाल्ड के कम्युनल अवार्ड (Communal Award)’ के साथ शुरू हुई।
  • इस निर्णय में मुसलमानों, सिखों, भारतीय ईसाइयों, एंग्लोइंडियन, यूरोपीय लोगों और दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र प्रस्तावित किए गए थे।
  • बाद में, गांधी और अंबेडकर के बीचपूना पैक्ट हुआ, जिसमें एक ही हिंदू निर्वाचन क्षेत्र में कुछ आरक्षित सीटों पर सहमति हुई।
  • स्वतंत्रता के बाद, आरक्षण शुरू में केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों तक सीमित था।
  • 1991 में मंडल आयोग की सिफारिशों के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को भी Reservation के दायरे में लाया गया।
  • 1992 के इंदिरा साहनी मामले में, उच्चतम न्यायालय ने ओबीसी के लिए 27% आरक्षण को बरकरार रखा, लेकिन उच्च जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% सरकारी नौकरियों में Reservation को रद्द कर दिया।
  • इसी निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने इस नियम को भी बनाए रखा कि आरक्षण प्राप्त करने वालों की कुल संख्या भारत की जनसंख्या के आधे (50%) से अधिक नहीं हो सकती।
  • इस फ़ैसले के कारण क्रीमी लेयर की अवधारणा को भी मज़बूती मिली और यह तय किया गया कि पिछड़े वर्गों के लिए Reservation केवल शुरुआती नियुक्तियों तक ही सीमित रहेगा, इसे पदोन्नति तक नहीं बढ़ाया जाएगा।
  • 2019 के संविधान (103वें संशोधन) अधिनियम ने सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमज़ोर (EWS)” लोगों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10% Reservation का प्रावधान किया है।
  • यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करके सरकार को आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण देने का अधिकार देता है।
  • यह 10% आर्थिक Reservation, 50% Reservation सीमा के अतिरिक्त है।

भारत में वर्तमान आरक्षण प्रतिशत (Current reservation Percentage in India):

केंद्रीय स्तर पर Reservation:

●       अनुसूचित जाति (SC): 15%

●       अनुसूचित जनजाति (ST): 7.5%

●       अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): 27%

●       आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS): 10% (सामान्य श्रेणी के लिए)

राज्य स्तर पर Reservation:

राज्य सरकारें अपने स्थानीय जनसांख्यिकी और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के आधार पर आरक्षण प्रतिशत निर्धारित कर सकती हैं। इसलिए, Reservation का प्रतिशत अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकता है। उदाहरण के लिए:

●       तमिलनाडु: SC (18%), ST (1%)

●       आंध्र प्रदेश: BC (25%), SC (15%), ST (6%), मुस्लिम (4%)

महत्वपूर्ण बिंदु:

●       क्रीमी लेयर (Creamy layer): OBC श्रेणी में “क्रीमी लेयर” नामक एक अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि एक निश्चित आय स्तर से ऊपर के व्यक्ति Reservation के लाभों के हकदार नहीं हैं।

●       क्षैतिज आरक्षण (Horizontal reservation): कुछ राज्यों में महिलाओं, विकलांग व्यक्तियों और अन्य समूहों के लिए क्षैतिज Reservation भी प्रदान किया जाता है।

भारत में आरक्षण से सम्बंधित प्रमुख संवैधानिक प्रावधान:

भाग III: मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)

  • अनुच्छेद 15: धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का प्रतिषेध करता है।
    • अनुच्छेद 15(4): राज्य को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार देता है।
  • अनुच्छेद 16: लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता प्रदान करता है।
    • अनुच्छेद 16(4): राज्य को लोक नियोजन में SC, ST और अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए Reservation प्रदान करने का अधिकार देता है।

भाग XVI: विशेष प्रावधान कुछ वर्गों के संबंध में:

  • अनुच्छेद 330 और 332: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में SC और ST के लिए सीटों के Reservation का प्रावधान करते हैं।
  • अनुच्छेद 335: लोक नियोजन में SC और ST के दावों पर विचार करने की आवश्यकता पर बल देता है, साथ ही प्रशासन की दक्षता बनाए रखने की भी बात करता है।
  • अनुच्छेद 233 T :प्रत्येक नगर पालिका में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के Reservation का प्रावधान करता है।
  • अनुच्छेद 338: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की स्थापना का प्रावधान करता है।
  • अनुच्छेद 338A: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना का प्रावधान करता है।
  • अनुच्छेद 340: राष्ट्रपति को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने और उनके उत्थान के लिए सिफारिशें करने के लिए एक आयोग नियुक्त करने का अधिकार देता है।
  • अनुच्छेद 243 D : प्रत्येक पंचायत में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का Reservation प्रदान करता है।
  • अनुच्छेद 46: राज्य को SC, ST और अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों की विशेष देखभाल करने का निर्देश देता है।

इन संवैधानिक प्रावधानों के अलावा, आरक्षण से संबंधित विभिन्न कानून, नियम और नीतियां भी समय-समय पर बनाई और संशोधित की जाती रही हैं।

महत्वपूर्ण निर्णय:

  • इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ (1992): इस ऐतिहासिक निर्णय में, सर्वोच्च न्यायालय ने Reservation की सीमा 50% तय की और “क्रीमी लेयर” की अवधारणा को मान्यता दी।

आगे की राह:

  • समीक्षा और सुधार (Review and Improvement): आरक्षण नीति की समय-समय पर समीक्षा और सुधार किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह अपने उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से पूरा कर रही है।
  • सामाजिक जागरूकता (Social awareness): आरक्षण के उद्देश्यों और लाभों के बारे में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि जातिगत भेदभाव और सामाजिक विभाजन को कम किया जा सके।
  • वैकल्पिक उपाय (Alternative solution): आरक्षण के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में वंचित समूहों के लिए अन्य उपायों को भी लागू किया जाना चाहिए।
  • आर्थिक आधारित आरक्षण (Economic Based Reservation): कुछ लोग आर्थिक आधार पर Reservation की वकालत करते हैं, ताकि जाति के बजाय आर्थिक पिछड़ेपन को दूर किया जा सके।

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