नए बिज़नेस (Startup) को बढ़ावा देने वाले सरकारी विभाग ‘Department for Promotion of Industry and Internal Trade’ (DPIIT) ने कहा है कि Startup पर लगने वाला “Angel Tax” हटा देना चाहिए। हो सकता है कि सरकार Angel Tax को हटाने की घोषणा बजट में करे। इससे Startups के लिए पैसा जुटाना आसान होगा और निवेशक भी उनमें ज्यादा रुचि दिखाएंगे।
Angel Tax क्या है?
- Angel tax एक प्रकार का आयकर है जो भारत सरकार द्वारा आयकर अधिनियम की धारा 56(2) VII B के तहत Startup एवं गैर-सूचीबद्ध कंपनियों (जिनके शेयर Stock Exchange पर नहीं बिकते) पर लगाया जाता है।
- स्टार्ट-अप्स कंपनियाँ अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिये पूँजी (Fund) जुटाती हैं और इसके लिये पैसे देने वाली कंपनी या किसी संस्था को Share जारी किये जाते हैं।
- ज़्यादातर मामलों में ये Share उचित बाज़ार मूल्य की तुलना में काफी अधिक कीमत पर जारी किये जाते हैं। इस प्रकार Share बेचने से हुई अतिरिक्त राशि को Income माना जाता है और इस इनकम पर जो Tax लगता है, उसे Angel tax कहा जाता है।
- उचित बाजार मूल्य (Fair Market value) किसी चीज की वह कीमत है जो एक खरीदार और एक विक्रेता, दोनों की सहमति से तय होती है, जब दोनों को उस चीज के बारे में पूरी जानकारी होती है और कोई दबाव नहीं होता।
- इस Income पर पर 9% की दर से Tax लगाया जाता हैं।
- उदाहरण के लिए, मान लीजिए आपकी कंपनी को किसी Angel Investor से 15 करोड़ रुपये मिले और बदले में आपने उन्हें कंपनी के शेयर दिए। लेकिन उन शेयरों की असल कीमत सिर्फ 10 करोड़ रुपये है। तो बाकी बचे 5 करोड़ रुपये को अतिरिक्त पैसा माना जाएगा और इस पर9% की दर से टैक्स लगेगा।
एंजेल निवेशक (Angel Investor) के बारे में Angel Investor एक ऐसा व्यक्ति होता है जो Startup व्यवसायों को उनके शुरुआती चरण में वित्तीय सहायता प्रदान करता है। ये अक्सर ऐसे व्यवसायों में निवेश करते हैं जिनमें उच्च जोखिम होता है, लेकिन साथ ही उच्च प्रतिफल की संभावना भी होती है। Angel Investor आमतौर पर अपने स्वयं के धन का उपयोग करते हैं और बदले में कंपनी में इक्विटी (स्वामित्व हिस्सा) या परिवर्तनीय ऋण (जो बाद में इक्विटी में परिवर्तित हो सकता है) प्राप्त करते हैं। Angel Investor की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं: ● उच्च जोखिम वाले निवेश (High risk investments): वे अक्सर ऐसे Startup में निवेश करते हैं जिनके सफल होने की संभावना कम होती है, लेकिन अगर सफल होते हैं तो उच्च रिटर्न दे सकते हैं। ● व्यक्तिगत धन (Personal wealth): वे आमतौर पर अपने स्वयं के धन का उपयोग करते हैं, न कि किसी फंड या संस्था के धन का। ● शुरुआती चरण का निवेश (Early stage investment): वे अक्सर व्यवसाय के शुरुआती चरण में निवेश करते हैं, जब अन्य निवेशक निवेश करने को तैयार नहीं होते हैं। ● सलाह और मार्गदर्शन (Advice and guidance): कई Angel Investor अपने अनुभव और विशेषज्ञता का उपयोग करके Startup को सलाह और मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं। |
Angel Tax कब लागू किया गया?
- Angal Tax को सबसे पहले UPA-II सरकार के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 2012 के केंद्रीय बजट में काले धन पर रोक लगाने के लिए पेश किया था।
- 2018 में सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत इनकम टैक्स एक्ट की धारा 56 के अंतर्गत Startups को छूट दी गई, बशर्ते कुल निवेश (एंजल निवेशकों से प्राप्त फंडिंग सहित) 10 करोड़ रुपये से ज्यादा न हो।
- छूट के लिए Startups को एक अंतर-मंत्रालयी बोर्ड से मंजूरी और एक मर्चेंट बैंकर से वैल्यूएशन सर्टिफिकेट लेना भी जरूरी था।
DPIIT ने Angel Tax हटाने की सिफ़ारिश क्यों की?
DPIIT (Department for Promotion of Industry and Internal Trade) की Angel Tax हटाने की सिफारिश का कारण यह है कि Startup जगत के लोगों और उद्योग संगठनों के साथ बातचीत से यह बात सामने आई कि Angel Tax से Startup फंडिंग और विकास पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। DPIIT ने वित्त मंत्रालय को इन चिंताओं से अवगत कराया है और सुझाव दिया है कि इस टैक्स को हटाने से देश में पूंजी निर्माण में काफी मदद मिल सकती है।
Startups पर प्रभाव
- Angel Tax हटाने से भारत के4 लाख से ज्यादा DPIIT-पंजीकृत Startups को काफी फायदा होगा।
- इससे एंजेल निवेश (शुरुआती दौर में किया जाने वाला निवेश) ज्यादा आकर्षक और फायदेमंद हो जाएगा।
- अभी Angel Tax को संभावित निवेशक नापसंद करते हैं क्योंकि इससे Startups के विकास और पुनर्निवेश के लिए उपलब्ध धनराशि कम हो जाती है।
- भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और दूसरे व्यापारिक संगठन Startups के माहौल को बेहतर बनाने के लिए इस टैक्स को कम करने की पुरजोर वकालत कर रहे हैं।
वर्तमान निवेश के रुझान और चुनौतियाँ
2024 की शुरुआत में Startups के लिए पैसे जुटाना थोड़ा मुश्किल हो गया है, जिससे नए टेक Startups परेशानी में हैं। बड़े Startups की वैल्यू में भी गिरावट आई है, जो दिखाता है कि फंडिंग में कमी आई है। ये कमी इसलिए है क्योंकि दुनियाभर के बाजारों की हालत को देखते हुए निवेशक थोड़ा सतर्क हो गए हैं। Angel Tax हटाने से शायद ये समस्याएं कुछ कम हो सकती हैं और बिज़नेस में फिर से तेजी आ सकती है।
उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ● उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) की स्थापना वर्ष 1995 में की गई थी, तथा वर्ष 2000 में औद्योगिक विकास विभाग को इसमें मिला दिया गया। यह भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। ● यह विभाग राष्ट्रीय प्राथमिकताओं एवं सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए प्रोत्साहन एवं विकासात्मक उपायों के निर्माण एवं कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। |
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2 thoughts on “DPIIT का सुझाव: Startup के लिए Angel Tax हटाने की मांग, बजट में घोषणा संभव!”
Nice topic very nice
मेरे हिसाब से इसे हटाना चाहिए परन्तु माननीय पूर्व वित्तमंत्री का सोचना भी उचित था कि इस इन्वेस्टमेंट के चक्कर में बड़ें बड़े निवेशक अपने काले धन को छुपाने में कामयाब होते थे। परन्तु वर्तमान स्थिति को मध्य नजर रखते हुए इस कानून को हटाना चाहिए और एक उचित कानून का निर्माण करना चाहिए ताकि काले धन की चोरी को भी रोका जा सके और देश के नये उभर स्टार्टअप्स को भी कोई परेशानी ना हो। जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
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