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Draft Broadcast Services Bill 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम, 1995 की जगह लेने के लिए एक नया कानून बनाने की योजना बनाई है, प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2024 (Broadcasting Services (Regulation) Bill 2024) नाम दिया गया है।

Broadcasting Services (Regulation) Bill 2024 क्या हैं?

  • Broadcasting Services (Regulation) Bill 2024 एक नया विधेयक है जो हाल ही में तैयार किया गया है। इस विधेयक में OTT (ओवर-द-टॉप) सामग्री और डिजिटल समाचार के अलावा सोशल मीडिया अकाउंट्स और ऑनलाइन वीडियो निर्माताओं को भी शामिल किया गया है।
  • इस नए विधेयक में ‘डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर’ की व्यापक परिभाषा दी गई है, और इसके लिए सरकार के साथ पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही सामग्री मूल्यांकन मानदंड भी स्थापित किए जाएंगे।
  • यह विधेयक 2023 में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए प्रारूप का संशोधित संस्करण है। इसका उद्देश्य प्रसारण क्षेत्र के लिए कानूनी ढांचे को एकत्रित करना और OTT सामग्री तथा डिजिटल समाचार को इसमें शामिल करना है।

OTT क्या है?

●       OTT का मतलब है “ओवर द टॉप”। यह एक ऐसी सेवा है जिसके जरिए आप इंटरनेट के जरिए सीधे मनोरंजन सामग्री देख सकते हैं। आपको टीवी या केबल की जरूरत नहीं होती।

●       OTT के जरिए आप अपने स्मार्टफोन, टैबलेट, स्मार्ट टीवी या कंप्यूटर पर सीधे मनोरंजन का आनंद ले सकते हैं।

OTT में क्या-क्या आता है?

●       वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाएं (Video streaming services): नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम वीडियो, हूलू, डिज़नी+ जैसे प्लेटफॉर्म जहां आप फिल्में और सीरियल देख सकते हैं।

●       ऑडियो स्ट्रीमिंग सेवाएं (Audio streaming services): स्पॉटिफाई, ऐप्पल म्यूजिक जैसे प्लेटफॉर्म जहां आप गाने सुन सकते हैं।

●       ऑनलाइन न्यूज़ और मीडिया प्लेटफॉर्म (Online news and media platforms): वेबसाइट्स और ऐप्स जहां आप समाचार, मैगज़ीन और दूसरी तरह की सामग्री पढ़ सकते हैं।

भारत में OTT सेवाओं की देखरेख सूचना और प्रसारण मंत्रालय करता है।

प्रसारण विधेयक की मुख्य विशेषताएं (Key features of the Broadcasting Bill)-

  • डिजिटल न्यूज़ ब्रॉडकास्टर (Digital news broadcaster): विधेयक में ‘डिजिटल न्यूज़ ब्रॉडकास्टर’ की एक नई परिभाषा दी गई है। इसमें वे सभी व्यक्ति या संस्थाएं शामिल होंगी जो ऑनलाइन न्यूज़ और करंट अफेयर्स सामग्री तैयार करते हैं, जैसे न्यूज़लेटर, सोशल मीडिया पोस्ट, पॉडकास्ट और वीडियो।
    • यह विधेयक उन लोगों को भी कवर करेगा जो पारंपरिक मीडिया (traditional media) के अलावा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर न्यूज़ और जानकारी साझा करते हैं।
  • पेशेवर की परिभाषा (Definition of professional): ‘पेशेवर (Professional)’ की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है। अब किसी भी व्यक्ति को जो व्यवस्थित रूप से न्यूज़ या जानकारी प्रदान करता है, पेशेवर माना जा सकता है।
    • ‘न्यूज़ और करंट अफेयर्स प्रोग्राम’ की परिभाषा में टेक्स्ट कंटेंट को भी शामिल किया गया है। इसका मतलब है कि यूट्यूब पर टैक्स सलाह देने वाले या ट्विटर पर नियमित रूप से न्यूज़ अपडेट करने वाले लोग भी इस श्रेणी में आ सकते हैं।
  • प्रोग्राम और ब्रॉडकास्टिंग की परिभाषा में बदलाव (Changes in the definition of programming and broadcasting): ‘प्रोग्राम’ और ‘ब्रॉडकास्टिंग’ की परिभाषा में टेक्स्ट कंटेंट को शामिल किया गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ऑनलाइन न्यूज़ से जुड़ी सभी सामग्री को विधेयक के दायरे में लाया जाए।
    • उदाहरण के तौर पर, यूट्यूब पर फाइनेंशियल सलाह देने वाला एक चार्टर्ड अकाउंटेंट या ट्विटर पर न्यूज़ अपडेट शेयर करने वाला पत्रकार भी इस विधेयक के दायरे में आ सकता है।
  • इंटरमीडियरी की परिभाषा में बदलाव (Change in the definition of intermediary): ‘इंटरमीडियरी’ की परिभाषा को बढ़ाया गया है। इसमें अब इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ऑनलाइन सर्च इंजन और मार्केटप्लेस शामिल हैं।
    • इन इंटरमीडियरी को सरकार को OTT ब्रॉडकास्टर और डिजिटल न्यूज़ ब्रॉडकास्टर के बारे में जानकारी देनी होगी।
    • अगर इंटरमीडियरी नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है और उन्हें सुरक्षा की गारंटी भी खोनी पड़ सकती है।
    • अगर डिजिटल न्यूज़ ब्रॉडकास्टर या OTT सेवाएं इन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करती हैं, तो नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी उन पर होगी, न कि इंटरमीडियरी पर।

स्वतंत्र क्रिएटर्स के लिए कानूनी ज़िम्मेदारियां (Legal responsibilities for independent creators)-

  • सरकार को सूचना देनी होगी (The government must be informed): स्वतंत्र क्रिएटर्स अपने काम की जानकारी सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) को देनी होगी।
  • कंटेंट इवैल्यूएशन कमिटी (CEC) बनानी होगी (Content Evaluation Committee (CEC) will have to be formed): स्वतंत्र क्रिएटर्स अपने खर्च पर एक कंटेंट इवैल्यूएशन कमिटी बनानी होगी। इस कमिटी में अलग-अलग तरह के लोगों को शामिल करना होगा, जैसे महिलाएं, बच्चे, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक।
  • कमिटी की जानकारी देनी होगी (The committee will have to be informed): स्वतंत्र क्रिएटर्स को कमिटी के सदस्यों के नाम सरकार को बताने होंगे।

यानी, अगर स्वतंत्र क्रिएटर्स ऑनलाइन ख़बरें या जानकारी साझा करते हैं, तो सरकार स्वतंत्र क्रिएटर्स के काम पर नज़र रख सकेगी और आपको कुछ नियमों का पालन करना होगा।

कंटेंट इवैल्यूएशन कमिटी (CEC) –

कंटेंट इवैल्यूएशन कमिटी (CEC) का काम है कि वो कंटेंट की जांच करे और देखे कि वो नियमों के हिसाब से है या नहीं।

कंटेंट बनाने वालों पर तीन तरह के नियम लगेंगे-

●       सबसे पहले, उन्हें एक CEC बनानी होगी जो उनके कंटेंट की जांच करेगी।

●       दूसरा, उन्हें एक सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गेनाइज़ेशन में रजिस्टर करना होगा।

●       तीसरा, उन्हें सरकार की बनाई हुई एक कमिटी के आदेश मानने होंगे।

जो लोग खबरें बनाते हैं और सरकार को अपनी सीईसी के बारे में जानकारी नहीं देंगे, यानी कमिटी के लोगों के नाम, पद और दूसरी जानकारी नहीं देंगे, उन पर जुर्माना लगेगा।

 नियमों का पालन न करने पर सज़ा (Punishment for not following the rules)-

  • जुर्माना (Fine): अगर क्रिएटर्स कंटेंट इवैल्यूएशन कमिटी नहीं बनाते हैं या कमिटी के सदस्यों की जानकारी सरकार को नहीं देते हैं तो जुर्माना देना होगा।
    • पहली बार 50 लाख रुपये और
    • उसके बाद तीन साल के अंदर फिर से ऐसा करने पर 2.5 करोड़ रुपये का जुर्माना हो सकता है।
  • प्रसारण बंद करवाया जा सकता है (broadcast can be stopped): सरकार प्रसारण बंद करवा सकती है अगर उसे लगता है कि प्रोग्राम या चैनल देश की सुरक्षा या जनता के हित के लिए ख़तरनाक है।
    • अगर प्रोग्राम से धर्म, जाति, भाषा या क्षेत्र के आधार पर लोगों में नफ़रत फैलने की संभावना है तो सरकार प्रसारण बंद करवा सकती है।

सरकार यह विधेयक क्यों ला रही है?

  • सरकार ने यह विधेयक इसलिए पेश किया है क्योंकि उसे लगता है कि YouTube पर कई बड़े भारतीय कंटेंट क्रिएटर्स, खासकर जो समसामयिक मुद्दों और खबरों पर वीडियो बनाते हैं, वे सरकार की निगरानी से बाहर हैं।
  • 2024 में हुए लोकसभा चुनावों में स्वतंत्र कंटेंट क्रिएटर्स की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही। इन क्रिएटर्स ने सरकार और उसके नेताओं के बारे में कई दावे किए, जिसके कारण सरकार को लगा कि इन क्रिएटर्स पर लगाम लगाना जरूरी है।
  • सरकार का मानना है कि अगर इन कंटेंट क्रिएटर्स पर कोई रोक-टोक नहीं लगाई जाती है तो यह मुख्यधारा के मीडिया के लिए नुकसानदायक होगा। इसलिए सरकार ने इन क्रिएटर्स के लिए कुछ नियम बनाने का फैसला किया है ताकि सभी को समान अवसर मिल सके।

विधेयक का ऑनलाइन विज्ञापन पर प्रभाव –

  • नया कानून ऑनलाइन विज्ञापनों (Online Advertisements) पर भी नियंत्रण लगाएगा।
  • इसमें एक नया नियम है कि ऑनलाइन विज्ञापनों की देखरेख करने के लिए ‘विज्ञापन मध्यस्थ’ नाम की एक नई व्यवस्था होगी।
  • सभी ऑनलाइन विज्ञापनों को विज्ञापन कोड का पालन करना होगा, लेकिन यह अभी साफ नहीं है कि इस नियम का पालन कौन करेगा – प्लेटफॉर्म, विज्ञापन बेचने वाला मध्यस्थ या विज्ञापन बनाने वाला।
  • यह कानून इंफ्लुएंसरों द्वारा किए गए स्पॉन्सर पोस्ट पर भी नियम बना सकता है, हालांकि इन पर पहले से ही उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 लागू होता है।

विधेयक में छूटें (Exemptions in the Bill)-

  • इस नए कानून में कुछ पुराने नियमों को जारी रखा गया है, जैसे कि विदेशी निवेश के नियमों और आपदा प्रबंधन के तरीकों का पालन करना। लेकिन कुछ बदलाव भी किए गए हैं।
    • उदाहरण के लिए, OTT और डिजिटल न्यूज़ चैनलों को अपने दर्शकों की संख्या बताने में नाकाम रहने पर अब जेल नहीं होगी।
    • सरकार को यह भी अधिकार दिया गया है कि वह कुछ खास मामलों में कुछ कंपनियों को कानून के कुछ हिस्सों से छूट दे सकती है, अगर उन पर बहुत ज्यादा बोझ पड़ रहा हो।

स्व-नियमन के प्रावधान (Provisions for self-regulation)-

  • अनिवार्य पंजीकरण (Mandatory registration): इस विधेयक में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर स्व-नियमन को प्रोत्साहित करने के लिए अनिवार्य पंजीकरण, सामग्री मूल्यांकन समितियों का गठन, कार्यक्रम और विज्ञापन कोड का निर्माण, और एक तीन-स्तरीय नियामक तंत्र की स्थापना की गई है।
  • एंटी-पाइरेसी (Anti-Piracy): यह विधेयक उन स्व-नियामक संगठनों को मान्यता देता है जो पहले IT Rules, 2021 के तहत पंजीकृत थे।
    • यह पाइरेसी के खिलाफ कानून को भी सख्त बनाता है, जैसे बिना अनुमति के कॉपीराइटेड सामग्री का उपयोग करना अपराध मानता है और पाइरेसी से लड़ने के लिए एक टास्क फोर्स बनाने का अधिकार सरकार को देता है।
  • नियामक सैंडबॉक्स (Regulatory Sandbox): विधेयक में ‘नियामक सैंडबॉक्स’ की स्थापना का प्रावधान है, जिससे सरकार नए प्रसारण प्रौद्योगिकियों और व्यापार मॉडलों का परीक्षण नियंत्रित वातावरण में कर सकती है, और कुछ कानूनी प्रावधानों को प्रयोग के लिए ढीला कर सकती है।

विधेयक की आलोचना (Criticism of the bill)-

  • अत्यधिक सरकारी नियंत्रण (Excessive government control): कई लोगों का मानना है कि यह कानून सरकार को बहुत अधिक ताकत दे देगा और वह मीडिया पर बहुत ज्यादा नियंत्रण रख सकेगी।
  • स्वप्नों पर असर (Driving out dreams): यह विधेयक कानून बन गया, तो अंतरराष्ट्रीय क्रिएटर्स को भी भारत सरकार के साथ पंजीकरण कराना पड़ सकता है, और एक शिकायत निवारण प्रणाली, स्व-नियामक संगठन, और सामग्री मूल्यांकन समिति स्थापित करनी पड़ सकती है।
    • यह compliance की ज़िम्मेदारी अन्य प्रसिद्ध व्यक्तियों जैसे विराट कोहली, आनंद महिंद्रा, और छोटे कंटेंट क्रिएटर्स पर भी बढ़ सकती है।
  • स्वतंत्रता पर असर (Impact on freedom): विधेयक में प्रस्तावित कोड्स की समानता के कारण टीवी कार्यक्रमों की सेंसरशिप बढ़ सकती है। यह ऑनलाइन स्वतंत्रता, पत्रकारिता की स्वतंत्रता, और कला की सृजनशीलता को प्रभावित कर सकता है।
  • स्टेकहोल्डर्स के लिए अनिश्चितता (Uncertainty for stakeholders): विधेयक में कई प्रावधान बाद में केंद्र द्वारा तय किए जाने हैं, जिससे स्टेकहोल्डर्स के लिए अनिश्चितता पैदा हो सकती है।
    • विधेयक में 70 पेजों में 60 बार “जैसे निर्धारित किया जाएगा” और 17 बार “जैसे केंद्र द्वारा अधिसूचित किया जाएगा” का उल्लेख है, जो नियम बनाने में अनिश्चितता का कारण बन सकता है।
  • अस्पष्ट व्याख्याएँ (Ambiguous interpretations): सभी ऑनलाइन कंटेंट क्रिएटर्स को प्रोग्राम कोड का पालन करने की आवश्यकता का प्रभाव डिजिटल प्लेटफार्म्स पर अस्पष्ट हो सकता है।
    • ‘अच्छे स्वाद’ या ‘शालीनता’ जैसे शब्दों की व्याख्या में अस्पष्टता हो सकती है, जो डिजिटल स्पेस की सृजनात्मकता और अभिव्यक्ति को प्रभावित कर सकती है।
  • व्यक्तिगत जोखिम (personal risk): यह ब्रॉडकास्टर्स और नेटवर्क्स की जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ाएगा।
    • लेकिन, अनिवार्य घोषणाएँ, जैसे केंद्र को सूचित करना और CEC सदस्यों की व्यक्तिगत जानकारी का सार्वजनिक खुलासा, व्यक्तियों को व्यक्तिगत जोखिम में डाल सकता है।

अन्य देशों में क्या हैं नियम (What are the rules in other countries)?

  • सिंगापुर (Singapore): सिंगापुर में पारंपरिक ब्रॉडकास्टर्स और OTT कंटेंट प्रोवाइडर्स दोनों को प्रसारण कानून के अंतर्गत रखा जाता है। सिंगापुर के कॉपीराइट कानून के तहत, OTT प्लेटफॉर्म्स को एक नियामक से लाइसेंस प्राप्त करना होता है, लेकिन लाइसेंसधारियों पर टीवी सेवाओं के समान जिम्मेदारियां नहीं होती हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका (United States America): अमेरिका में, फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (FCC) और इसका मीडिया ब्यूरो रेडियो और टेलीविजन स्टेशनों को नियामित करते हैं। वर्तमान में, OTT प्लेटफॉर्म्स को अमेरिकी संघीय कानूनों या सरकारी अधिकारियों द्वारा सीधे नियामित नहीं किया जाता है।

आगे की राह :

  • सरकार को मीडिया के जानकारों, कंटेंट बनाने वालों, ब्रॉडकास्टर्स और आम लोगों से बात करनी चाहिए ताकि उन्हें इस बिल के बारे में लोगों की चिंताएं पता चल सकें।
  • सरकार को लोगों को मीडिया के बारे में समझदार बनाने के लिए कार्यक्रम चलाने चाहिए, जैसे कि सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में किया जाता है।
  • मीडिया को देश के लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और पत्रकारिता के मूल्यों को बनाए रखना चाहिए।
  • सरकार को सीईसी और बीएसी में मीडिया इंडस्ट्री और समाज के लोगों को शामिल करना चाहिए ताकि ये संस्थाएं स्वतंत्र और निष्पक्ष हो सकें।

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