चर्चा में क्यों ?
यूके (UK) ने आधी सदी से भी अधिक समय के बाद चागोस द्वीपसमूह (Chagos archipelago) को मॉरीशस (Mauritius) को सौंपने पर सहमति जताई है। इस दौरान यूके को डिएगो गार्सिया का प्रबंधन करने और वहाँ के सैन्य बेस के संचालन को सुनिश्चित करने की अनुमति दी गई है।
- दोनों देशों ने विवादों को सुलझाने और चागोस वासियों (Chagos people) का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
- ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी (David Lammy) ने कहा, यह समझौता हमारे महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाने को सुरक्षित करेगा। उन्होंने कहा, इससे वैश्विक सुरक्षा (global security) को मजबूत किया जाएगा और हिंद महासागर (Indian Ocean) का इस्तेमाल अवैध प्रवासन के रास्ते के रूप में नहीं होगा। साथ ही यह मॉरिशस (Mauritius) के साथ हमारे संबंधों को भी मजबूत करेगा। उन्होंने कहा, यह दिखाता है कि मॉरिशस (Mauritius) के साथ हमारे दीर्घकालिक संबंध (long-term relationship) हैं, जो हमारा करीबी राष्ट्रमंडल साझेदार (Commonwealth partner) भी है।
- इससे ही जुड़े डिएगो गार्सिया द्वीप को लेकर एक और समझौता ब्रिटेन, अमेरिका और मारीशस के बीच हुआ है। इसके मुताबिक यहां स्थित ब्रिटेन-अमेरिकी सैन्य अड्डा (Britain-US military base) अगले 99 वर्षों तक बना रहेगा।
- एक नए समझौते के तहत आर्थिक (economic), सुरक्षा (security) और पर्यावरणीय सहयोग (environmental cooperation) को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसमें वित्तीय सहायता और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी समावेश होगा।
इस साझेदारी को सक्षम बनाने के लिए यूके (UK), मॉरीशस (Mauritius) को वित्तीय सहायता (financial support) का एक पैकेज प्रदान करेगा। इसमें निम्नलिखित शामिल होंगे:
- वार्षिक भुगतान (Annual payment): समझौते की अवधि के दौरान मॉरीशस को एक वार्षिक भुगतान दिया जाएगा, जिसे समय के साथ समायोजित (indexed) किया जाएगा।
- बुनियादी ढांचा साझेदारी (Infrastructure partnership): यूके की अनुदान (grant) निधि के तहत एक परिवर्तनकारी बुनियादी ढांचा साझेदारी स्थापित की जाएगी, जिसका उद्देश्य मॉरीशस में रणनीतिक परियोजनाओं के माध्यम से आम लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना और देश भर में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
- पर्यावरण संरक्षण और समुद्री सुरक्षा (Environmental protection and marine safety): यूके और मॉरीशस, चागोस द्वीपसमूह में पर्यावरण संरक्षण, समुद्री सुरक्षा, अवैध मछली पकड़ने, अनियमित प्रवासन, और नशीले पदार्थों व मानव तस्करी के खिलाफ एक साथ काम करेंगे। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री पर्यावरणों में से एक की सुरक्षा और संरक्षण करना है।
- समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine protected area): इस सहयोग में मॉरीशस का एक समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Area) स्थापित करना भी शामिल है।
- आभार (Acknowledgements): यूके और मॉरीशस ने इस राजनीतिक समझौते तक पहुँचने में मदद करने के लिए भारत और अमेरिका का आभार व्यक्त किया है।
चागोस द्वीपसमूह (Chagos Archipelago):
चागोस द्वीपसमूह (Chagos Archipelago) हिंद महासागर (Indian Ocean) के मध्य में स्थित है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिणी सिरे से लगभग 1,600 किलोमीटर (1,000 मील) दूर है। यह द्वीपसमूह ब्रिटिश भारतीय महासागर क्षेत्र (British Indian Ocean Territory – BIOT) का हिस्सा है, जिस पर अब तक ब्रिटेन का प्रशासनिक नियंत्रण था।
- इस द्वीपसमूह का सबसे बड़ा द्वीप डिएगो गार्सिया (Diego Garcia) है, जहां एक प्रमुख अमेरिकी सैन्य अड्डा स्थित है। चागोस द्वीपसमूह पर ब्रिटेन का कब्जा लंबे समय से अंतर्राष्ट्रीय विवाद का विषय बना हुआ था, विशेष रूप से मॉरीशस (Mauritius) द्वारा इस क्षेत्र पर अपनी संप्रभुता (sovereignty) का दावा किए जाने के बाद।
- 2019 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने भी चागोस (Chagos) पर ब्रिटेन के कब्जे को अवैध घोषित किया और इसे मॉरीशस (Mauritius) को लौटाने का निर्देश दिया था ।
चागोस द्वीपसमूह विवाद (Chagos Archipelago Dispute):
चागोस द्वीपसमूह विवाद मॉरीशस और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच संप्रभुता और मानवाधिकारों के उल्लंघन (sovereignty and human rights violations) से जुड़ा है। मॉरीशस (Mauritius) का दावा है कि यह द्वीपसमूह कम से कम 18वीं शताब्दी से उसके क्षेत्र का हिस्सा रहा है। हालांकि, 1965 में UK ने चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस से अलग कर दिया और सेशेल्स के अलदाब्रा, फ़ारक्वार, और डेस्रोचेस द्वीपों को ब्रिटिश भारतीय महासागर क्षेत्र (British Indian Ocean Territory – BIOT) का हिस्सा बनाया।
- 1976 में सेशेल्स की स्वतंत्रता के बाद, UK ने अलदाब्रा (Aldabra), फ़ारक्वार (Farquhar), और डेस्रोचेस द्वीपों (Desroches islands) को सेशेल्स (Seychelles) को लौटा दिया, लेकिन चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस को नहीं लौटाया।
- 1968 में मॉरीशस (Mauritius) की स्वतंत्रता के बाद, UK ने द्वीपसमूह को वापस करने से इनकार कर दिया, यह दावा करते हुए कि द्वीप का एक हिस्सा संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) की रक्षा आवश्यकताओं के लिए जरूरी है।
चागोस (Chagos) का सबसे बड़ा द्वीप डिएगो गार्सिया है, जहां UK और USA का एक बड़ा सैन्य अड्डा (military base) है। यह आधार 2000 के दशक में अफगानिस्तान और इराक पर अमेरिकी हमलों के लिए इस्तेमाल किया गया था।
विवाद के कानूनी पहलू (Legal aspects of the dispute):
- 2015 में, मॉरीशस (Mauritius) ने चागोस द्वीपसमूह पर संप्रभुता और मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों में स्थायी पंचाट न्यायालय (Permanent Court of Arbitration) में UK के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की।
- UK ने इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय अदालत (international court) में ले जाने के मॉरीशस के प्रयासों का विरोध किया, यह दावा करते हुए कि यह मामला द्विपक्षीय (bilateral) है और अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
चागोस द्वीपसमूह विवाद पर वैश्विक प्रतिक्रियाएँ (Global reactions to the Chagos Archipelago dispute):
- स्थायी पंचाट न्यायालय का निर्णय (Permanent Court of Arbitration Ruling):
- 2015 में, स्थायी पंचाट न्यायालय (PCA) ने फैसला दिया कि “यूनाइटेड किंगडम मॉरीशस के अधिकारों का उचित सम्मान करने में असफल रहा” और यह भी घोषित किया कि UK ने “संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून संधि” (United Nations Convention on the Law of the Sea) के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया”।
- न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि UK ने 2010 में जानबूझकर चागोस द्वीपसमूह के चारों ओर समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Area) बनाया, जो मॉरीशस के हितों का उल्लंघन था।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly):
- जून 2017 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा में 94 देशों ने मॉरीशस के प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसमें चागोस द्वीपसमूह की कानूनी स्थिति पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice – ICJ) से सलाहकार राय लेने की मांग की गई।
- यूएस और यूके उन 15 देशों में शामिल थे जिन्होंने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। 65 देशों ने मतदान से परहेज किया, जिसमें कई यूरोपीय संघ के देश शामिल थे, जिन पर यूएस और यूके को समर्थन की उम्मीद थी।
- 2020 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया कि “चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस के क्षेत्र का एक अभिन्न हिस्सा है” और UN एजेंसियों से मॉरीशस के उपनिवेशवाद की समाप्ति का समर्थन करने का आग्रह किया।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का निर्णय (International Court of Justice – ICJ):
- फरवरी 2019 में, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने आदेश दिया कि UK को जल्द से जल्द चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस को वापस करना चाहिए।
- मॉरीशस ने अदालत में तर्क दिया था कि उसे उपनिवेशवाद (colonialism) के हिस्से के रूप में द्वीप UK को देने के लिए मजबूर किया गया था, जो कि 1960 में पारित UN प्रस्ताव 1514 का उल्लंघन था। यह प्रस्ताव उपनिवेशों के टूटने से पहले विभाजन पर रोक लगाता था।
- UK की प्रतिक्रिया:
- ICJ के फैसले के बाद, UK ने कहा कि यह एक सलाहकार राय है, न कि अंतिम निर्णय। UK ने यह भी दावा किया कि “ब्रिटिश भारतीय महासागर क्षेत्र में रक्षा सुविधाएं ब्रिटेन और दुनिया भर के लोगों को आतंकवादी खतरों (Terrorist threats), संगठित अपराध और समुद्री डकैती (piracy) से बचाने में मदद करती हैं।”
अमेरिका का “डिएगो गार्सिया” कैसे बना था (How did Diego Garcia become America’s)?
डिएगो गार्सिया (Diego Garcia), चागोस द्वीपसमूह (Chagos Archipelago) का सबसे बड़ा द्वीप, 1966 में ब्रिटिश सरकार द्वारा अमेरिका को पट्टे (lease) पर दे दिया गया। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, लगभग 2000 स्थानीय निवासियों को उनके घरों से forcibly हटा दिया गया।
- समझौता और अवधि (Agreement and Duration): 1966 में हस्ताक्षरित समझौते के अनुसार, अमेरिका को इस द्वीप का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी, जो प्रारंभिक 50 वर्षों के लिए था, और इसे 20 वर्षों के लिए बढ़ाने का विकल्प भी मिला।
- वर्तमान स्थिति (Current Status): ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT) की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इस समझौते को 2016 में अद्यतन किया गया, और अब यह 2036 में समाप्त होने की योजना है।
- प्रशासनिक व्यवस्था (Administrative Arrangement): भले ही BIOT का प्रशासन लंदन से होता है, लेकिन इसे यूके से संवैधानिक रूप से अलग माना जाता है।
इस प्रकार, डिएगो गार्सिया का अमेरिका के लिए यह महत्वाकांक्षी निर्णय एक जटिल ऐतिहासिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है।
भारत का रुख (India’s Stance): भारत ने चागोस द्वीपसमूह (Chagos Archipelago) के मुद्दे पर मॉरीशस (Mauritius) के रुख का समर्थन किया है।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में अपनी प्रस्तुति के दौरान, भारत ने स्पष्ट किया कि चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस का हिस्सा था और अब भी है, और ब्रिटेन से इस द्वीपसमूह पर संप्रभुता की मांग की।
- भारत ने भारतीय महासागर के अपने पड़ोसी मॉरीशस (Mauritius) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और अपने उपनिवेशवाद विरोधी सिद्धांतों (anti-colonial principles) पर कायम रहते हुए मॉरीशस का समर्थन किया है।
- यह रुख भारत की क्षेत्रीय एकता और औपनिवेशिक विरासत से मुक्ति की उसकी नीति को दर्शाता है।
चागोस द्वीपसमूह का मॉरीशस के लिए महत्व (Importance of Chagos Archipelago to Mauritius):
- ऐतिहासिक संप्रभुता (Historical sovereignty): चागोस द्वीपसमूह (Chagos Archipelago) ऐतिहासिक रूप से मॉरीशस (Mauritius) का हिस्सा रहा है। 1965 में, ब्रिटेन ने इसे मॉरीशस से अलग कर दिया था, जिससे मॉरीशस ने हमेशा इसे अपने अधिकार क्षेत्र का हिस्सा माना है। इस द्वीपसमूह की वापसी मॉरीशस की राष्ट्रीय पहचान (national identity) और संप्रभुता का प्रतीक है।
- सामरिक महत्त्व (Strategic importance): चागोस द्वीपसमूह (Chagos Archipelago), विशेष रूप से डिएगो गार्सिया द्वीप, सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां अमेरिका और ब्रिटेन का संयुक्त सैन्य अड्डा है, जो भारतीय महासागर में सुरक्षा और शक्ति संतुलन के लिए अहम है। इस क्षेत्र पर अधिकार मॉरीशस के लिए भू-राजनीतिक महत्त्व को बढ़ाता है।
- आर्थिक लाभ (Economic benefits): द्वीपसमूह के पास स्थित जल क्षेत्र और प्राकृतिक संसाधन मॉरीशस की मछली पालन और पर्यावरणीय पर्यटन (fisheries and ecotourism) जैसी आर्थिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। यहां के समुद्री संसाधन मॉरीशस के आर्थिक विकास में योगदान कर सकते हैं।
- संस्कृति और समुदाय (Culture and community): चागोस द्वीपसमूह से विस्थापित लोग मॉरीशस के नागरिक हैं, और वे अपने मूल स्थान पर लौटने के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह द्वीपसमूह मॉरीशस के सांस्कृतिक और मानवाधिकार के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
- पर्यावरण संरक्षण (Environmental protection): मॉरीशस चागोस द्वीपसमूह के आसपास समुद्री पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। यहां एक समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Area) की स्थापना से पर्यावरणीय संरक्षण के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी बढ़ेगा।
भारत के लिए क्षेत्रीय केंद्र के रूप में मॉरीशस का महत्व (Importance of Mauritius as a regional hub for India):
- द्वीप नीति का केंद्र (Island Policy Hub): भारत दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर के द्वीपों (कोमोरोस, मेडागास्कर, मॉरीशस, मयोट, रियूनियन और सेशेल्स) के साथ द्विपक्षीय संबंधों को महत्व देता है, लेकिन इन सभी द्वीपों को सामूहिक रूप से देखते हुए, मॉरीशस भारत की द्वीप नीति (Island Policy) का केंद्र बन सकता है।
- वाणिज्यिक गतिविधियों का केंद्र (Commercial Activities Hub): मॉरीशस भारतीय वाणिज्यिक गतिविधियों (Commercial Activities) के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह भारत के लिए बैंकिंग गेटवे (Banking Gateway) बनने के साथ-साथ भारतीय शहरों से उड़ानों और पर्यटन का केंद्र बन सकता है, विशेषकर दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में।
- प्रौद्योगिकी नवाचार का केंद्र (Technological Innovation Hub): भारत मॉरीशस को प्रौद्योगिकी नवाचार (Technological Innovation) के क्षेत्रीय केंद्र के रूप में विकसित करने में भी योगदान कर सकता है। यह सहयोग आर्थिक (Economic) और विज्ञान-तकनीकी (Science and Technology) दोनों क्षेत्रों में लाभकारी होगा।
- जलवायु परिवर्तन और सतत विकास (Climate Change and Sustainable Development): एक द्वीप राष्ट्र होने के नाते, मॉरीशस के सामने जलवायु परिवर्तन (Climate Change), नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy), और सतत विकास (Sustainable Development) जैसे गंभीर मुद्दे हैं। मॉरीशस भारत के इन क्षेत्रों में पहल (Initiative) को बढ़ावा देने में सही साझेदार हो सकता है और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अनुसंधान (Regional and International Marine Research) के लिए एक मूल्यवान केंद्र बन सकता है।
- सुरक्षा सहयोग (Security Cooperation): रणनीतिक रूप से, दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर में सुरक्षा सहयोग (Security Cooperation) के लिए मॉरीशस, आसपास के द्वीप राष्ट्रों और पूर्वी अफ्रीकी राज्यों की सुरक्षा आवश्यकताओं (Security Demands) को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
प्रश्न:
चागोस द्वीपसमूह विवाद के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
- चागोस द्वीपसमूह को 1965 में मॉरीशस से अलग करके ब्रिटिश भारतीय महासागर क्षेत्र (British Indian Ocean Territory) बनाया गया था।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने चागोस द्वीपसमूह को भारत के अधिकार क्षेत्र में रखने का समर्थन किया है।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने 2019 में ब्रिटेन को चागोस द्वीपों को मॉरीशस को लौटाने का आदेश दिया था।
- चागोस द्वीपसमूह पर स्थित डिएगो गार्सिया अमेरिकी सैन्य ठिकाने के रूप में उपयोग नहीं किया जाता है।
सही उत्तर: 1 और 3
स्पष्टीकरण:
- कथन 1 सही है: चागोस द्वीपसमूह को 1965 में मॉरीशस से अलग कर ब्रिटिश भारतीय महासागर क्षेत्र बनाया गया था, जिससे इस क्षेत्र पर ब्रिटेन का अधिकार बना।
- कथन 2 गलत है: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने चागोस द्वीपसमूह की वापसी के लिए मॉरीशस के अधिकार को मान्यता दी है, न कि भारत के अधिकार क्षेत्र में रखने का समर्थन किया है।
- कथन 3 सही है: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने 2019 में ब्रिटेन को चागोस द्वीपों को मॉरीशस को लौटाने का आदेश दिया था, जिससे इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी दबाव बढ़ा।
- कथन 4 गलत है: डिएगो गार्सिया चागोस द्वीपसमूह का सबसे बड़ा द्वीप है, जो अमेरिका द्वारा एक महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाने के रूप में उपयोग किया जाता है।
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