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स्वच्छ पौध कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित ‘स्वच्छ पौध कार्यक्रम’ (Clean Plant Programme) को मंजूरी दे दी है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बागवानी फसलों के लिए रोपण सामग्री की गुणवत्ता में सुधार करना है। इसके लिए सरकार ने 1,766 करोड़ रुपये के बजट की स्वीकृति दी है।

Clean Plant Programme का लक्ष्य न केवल निर्यात को बढ़ावा देना है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि करना है। कार्यक्रम के तहत, पौधों की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक उपाय किए जाएंगे, ताकि उत्पादकता और निर्यात की संभावनाओं को बढ़ाया जा सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस महत्वपूर्ण फैसले को लिया गया, जो कि भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक कदम है। यह कदम किसानों को बेहतर गुणवत्ता की पौधों की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार लाएगा, जिससे अंततः किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

स्वच्छ पौध कार्यक्रम (Clean Plant Programme) क्या है?

Clean Plant Programme जिसे 2023 के बजट सत्र में’आत्मनिर्भर हॉर्टिकल्चर क्लीन प्लांट प्रोग्राम’ के नाम से घोषित किया गया था, का प्रथम चरण 2024 में लागू किया है। यह भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके तहत सरकार 1,766 करोड़ रुपये का बजट पारित कर रही है। जिसमे 9 संस्थानों को स्वच्छ पौध केंद्र का स्वरूप दिया जाएगा।

भारतीय बागवानी क्षेत्र देश के कुल सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 33% का योगदान करता है और यह एक श्रम प्रधान उद्योग है। इसका मतलब है कि इस क्षेत्र में छोटे-छोटे सुधार भी रोजगार के अवसरों में तेजी से वृद्धि ला सकते हैं।

वर्तमान में, भारत की कुल भूमि का केवल 10% ही बागवानी उपयोग के लिए है, जबकि यह क्षेत्र कृषि राजस्व का 33% योगदान देता है। इसलिए, बागवानी फसलों की उत्पादकता और मूल्य में सुधार के लिए इस कार्यक्रम की आवश्यकता महसूस की गई।

स्वच्छ पौध कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य रोग मुक्त पौध सामग्री की उपलब्धता को बढ़ाना है। यह कार्यक्रम सुनिश्चित करेगा कि बागवानी फसलों को स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाली पौध सामग्री मिले, जिससे फसलों के मूल्य और उत्पादकता में सुधार होगा।

इस कार्यक्रम के तहत, बागवानी फसलों के लिए बेहतर पौध सामग्री की आपूर्ति की जाएगी, जो बागवानी उद्योग को और अधिक प्रतिस्पर्धी और लाभकारी बनाएगी। इसके परिणामस्वरूप, किसानों को उच्च गुणवत्ता की फसलें मिलेंगी, जो उनकी आय में वृद्धि करेगी और देश के कृषि निर्यात को भी बढ़ावा देगी।

इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) द्वारा किया जाएगा, जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के साथ मिलकर काम करेगा। यह साझेदारी सुनिश्चित करेगी कि कार्यक्रम के लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके और किसानों को लाभ पहुंचे।

इस कार्यक्रम का लक्ष्य वर्ष 2030 तक कुल 2,200 करोड़ रूपए के व्यय द्वारा बागवानी के क्षेत्र में भारत को अच्छे स्तर तक लाना है।

इस प्रकार, स्वच्छ पौध कार्यक्रम (Clean Plant Programme) भारतीय बागवानी क्षेत्र के लिए एक क्रांतिकारी कदम है, जो न केवल उत्पादन में सुधार करेगा बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेगा।

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी):

●  राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) की स्थापना 1984 में भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत की गई थी।

●  इसका मुख्य उद्देश्य भारत में बागवानी के विकास को बढ़ावा देना है।

●  एनएचबी विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से बागवानी उत्पादों की गुणवत्ता, उत्पादकता और व्यावसायीकरण में सुधार करने का काम करता है।

●  इसके तहत फल, सब्जियां, फूल, औषधीय और सुगंधित पौधों, मसालों, और अन्य बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया जाता है।

●  एनएचबी किसानों और उद्यमियों को वित्तीय सहायता, तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान करता है ताकि वे बागवानी क्षेत्र में सुधार और विस्तार कर सकें।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर):

●  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की स्थापना 1929 में की गई थी ।

●  यह भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कार्य करता है।

●  आईसीएआर भारत में कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के लिए सर्वोच्च संस्था है।

●  इसका मुख्य उद्देश्य कृषि विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देना, नई तकनीकों का विकास करना और किसानों को उनकी समस्याओं के समाधान के लिए समर्थन प्रदान करना है।

●  आईसीएआर के अंतर्गत देशभर में विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान और केंद्र आते हैं, जो किसानों की आय और कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए कार्य करते हैं।

●  इसके द्वारा विकसित तकनीकों और शोध से भारत की खाद्य सुरक्षा और कृषि क्षेत्र की समग्र प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है।

स्वच्छ पौधे क्या हैं?

स्वच्छ पौधे, जिसे अंग्रेजी में ‘Clean Plants’ कहा जाता है, ऐसे पौधे होते हैं जो किसी भी प्रकार के पौधों के रोगों, कीटों या अन्य दोषों से मुक्त होते हैं। इन पौधों को विशेष प्रक्रिया और मानकों के तहत विकसित किया जाता है ताकि वे स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाले हों।

स्वच्छ पौधों को प्राप्त करने की प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण कदम यह है कि पौधों को रोगमुक्त और कीटमुक्त बनाने के लिए वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इसमें विशेष रूप से परीक्षण और निरीक्षण की प्रक्रिया शामिल होती है, जिसमें पौधों के विभिन्न हिस्सों की जांच की जाती है ताकि किसी भी तरह के रोग या कीट का पता लगाया जा सके। स्वच्छ पौधे कृषि और बागवानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये पौधे उच्च गुणवत्ता और बेहतर उत्पादकता प्रदान करते हैं, जिससे फसलों की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार होता है।

स्वच्छ पौधे बनाने की प्रक्रिया: 

इसमें कई महत्वपूर्ण चरण शामिल होते हैं, जिनका उद्देश्य पौधों को रोग, कीट और अन्य दोषों से मुक्त रखना है। यहां पूरी प्रक्रिया को विस्तृत रूप से समझाया गया है:

  1. स्रोत पौधों का चयन: स्वच्छ पौधे बनाने की शुरुआत स्वस्थ और रोगमुक्त स्रोत पौधों से होती है। ये स्रोत पौधे उन पौधों से होते हैं जो पहले ही जांचे और प्रमाणित किए गए हैं कि वे किसी भी रोग या कीट से मुक्त हैं।
  2. स्वच्छता और नियंत्रण: पौधों को उगाने के लिए विशेष स्वच्छता मानकों का पालन किया जाता है। इसमें कंटेनर, उपकरण और अन्य संसाधनों की स्वच्छता सुनिश्चित की जाती है। बायोसेफ्टी लैब्स का इस्तेमाल किया जाता है जहां पौधे एक नियंत्रित और स्वच्छ वातावरण में उगाए जाते हैं।
  3. पौधों की बुवाई और उगाना: स्वस्थ स्रोत पौधों से प्राप्त किए गए बीजों या कलमों को विशेष माध्यमों में बोया जाता है। इन माध्यमों में रोगाणु और कीटों के प्रति प्रतिरोधक तत्व होते हैं। पौधों को एक नियंत्रित वातावरण में उगाया जाता है, जिसमें तापमान, नमी और रोशनी का ध्यान रखा जाता है।
  4. निगरानी और परीक्षण: पौधों के विकास के दौरान नियमित रूप से निगरानी की जाती है। प्रत्येक चरण पर पौधों की स्वास्थ्य स्थिति की जांच की जाती है, जिसमें विभिन्न परीक्षण किए जाते हैं ताकि किसी भी प्रकार के रोग या कीट का पता लगाया जा सके।
  5. रोपण और विस्तार: स्वस्थ पौधों की पहचान होने के बाद, उन्हें बड़े खेतों या बागानों में रोपा जाता है। इन पौधों को रोपण से पहले और बाद में भी निगरानी में रखा जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे किसी भी रोग या कीट से प्रभावित न हों।

सीपीपी (स्वच्छ पौध कार्यक्रम) के मुख्य घटक:

  1. स्वच्छ पौध केंद्र (CPC): भारत में नौ अत्याधुनिक स्वच्छ पौध केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जो उन्नत चिकित्सा और ऊतक संवर्धन प्रयोगशालाओं से लैस होंगे। इन केंद्रों में प्रमुख फसलों के लिए खास प्रयोगशालाएँ बनाई जाएंगी, जैसे कि अंगूर (एनआरसी, पुणे), शीतोष्ण फल जैसे सेब, बादाम, और अखरोट (सीआईटीएच, श्रीनगर और मुक्तेश्वर), खट्टे फल (सीसीआरआई, नागपुर और सीआईएएच, बीकानेर), आम, अमरूद, एवाकाडो (आईआईएचआर, बेंगलुरु), और अनार (एनआरसी, शोलापुर)। इन केंद्रों का मुख्य उद्देश्य बड़े पैमाने पर वायरस-मुक्त पौध सामग्री का उत्पादन और रखरखाव करना होगा, जिससे कृषि क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली फसलें सुनिश्चित की जा सकें।
  2. प्रमाणन और कानूनी ढांचा: रोपण सामग्री के उत्पादन और वितरण में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए, बीज अधिनियम 1966 के अंतर्गत एक कड़े नियामक ढांचे द्वारा समर्थित प्रमाणन प्रणाली लागू की जाएगी। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि उत्पादन और बिक्री के हर चरण में गुणवत्ता और विश्वसनीयता बनी रहे।
  3. उन्नत बुनियादी ढांचा: पौध सामग्री के सुचारु और कुशल उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर नर्सरियों को उन्नत बुनियादी ढांचे के विकास में सहायता प्रदान की जाएगी। इससे किसानों को स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाली पौध सामग्री प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे उनकी कृषि उत्पादकता में वृद्धि हो सकेगी।

स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम (सीपीपी) के प्रमुख लाभ:

स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम (सीपीपी) के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

  1. निर्यात: सीपीपी के माध्यम से भारत में उच्च गुणवत्ता वाले, रोग-मुक्त फलों का उत्पादन होगा, जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में देश की स्थिति को मजबूत करेगा। इससे भारत का निर्यात बढ़ेगा और वैश्विक फल व्यापार में भारत की हिस्सेदारी में इजाफा होगा।
  2. किसान: सीपीपी का उद्देश्य किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली, वायरस-मुक्त रोपण सामग्री उपलब्ध कराना है, जिससे उनकी फसल की उपज में वृद्धि होगी और उनकी आय के स्रोतों में सुधार होगा
  3. नर्सरी: सुव्यवस्थित प्रमाणन प्रक्रियाओं और मजबूत बुनियादी ढांचे के समर्थन से नर्सरियाँ स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री का उत्पादन और प्रचार कर सकेंगी, जिससे उनकी वृद्धि और स्थिरता में वृद्धि होगी।
  4. महिला किसानों का समावेश: इस योजना के कार्यान्वयन में महिला किसानों को भी सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा, ताकि उन्हें आवश्यक संसाधनों, प्रशिक्षण और निर्णय लेने के अवसरों तक समान रूप से पहुंच प्राप्त हो सके।
  5. उपभोक्ता: इस पहल का एक और महत्वपूर्ण लाभ यह है कि उपभोक्ताओं को वायरस-मुक्त और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्राप्त होंगे, जिससे फल के स्वाद, रूप-रंग और पोषण में वृद्धि होगी।
  6. क्षेत्र-विशिष्ट समाधान: यह कार्यक्रम भारत की विविध कृषि-जलवायु स्थितियों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र-विशिष्ट स्वच्छ पौधों की किस्मों और तकनीकों के विकास पर भी जोर देगा, जिससे सभी क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता में सुधार हो सके।
  7. किफायती पहुंच: इस कार्यक्रम के तहत सभी किसानों को, चाहे उनकी भूमि का आकार और सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, स्वच्छ पौध सामग्री तक किफायती और समान पहुंच प्राप्त होगी।

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