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तुर्किये में आवारा कुत्तों की इच्छामृत्यु को मंजूरी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में तुर्किये की संसद ने आवारा कुत्तों (Stray Dogs) की बढ़ती संख्या पर आंशिक रूप से इच्छामृत्यु के माध्यम से अंकुश लगाने वाले एक कानून को मंजूरी दी है।

क्या क़ानून हैं?

  • तुर्किये में Stray Dogs के लिए एक नया कानून बनाया गया है, जिसमें 17 अलग-अलग नियम हैं।

Stray Dogs Law

  • इस कानून के तहत, बीमार या आक्रामक कुत्तों को मारने की अनुमति दी गई है। सरकार का कहना है कि इस कदम की जरूरत कुत्तों के हमलों को कम करने और रेबीज जैसी बीमारियों को रोकने के लिए है।
  • तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के अनुसार, अनुमानतः 40 लाख आवारा कुत्ते वर्तमान में तुर्की की सड़कों और ग्रामीण इलाकों में घूम रहे हैं।
  • प्रारंभिक प्रस्ताव, जिसे संसद में प्रस्तुत नहीं किया गया, में कथित तौर पर आवारा जानवरों को इकट्ठा करने, आश्रयों में रखने और 30 दिनों के भीतर किसी के द्वारा नहीं अपनाने पर इच्छामृत्यु देने का आह्वान किया गया है।
  • प्रस्ताव में नगरपालिकाओं से मौजूदा स्थानों की हालत में सुधार करने और लोगों को कुत्तों को गोद लेने के लिए प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है।
  • प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि जिन कुत्तों से रेबीज का खतरा है, जो आक्रामक हैं और उनके पुनर्वास की कोई गुंजाइश नहीं है, उन सभी कुत्तों को इच्छामृत्यु दी जाएगी।
  • लेकिन, विपक्षी पार्टियाँ और जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने वाले समूह इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह तरीका सही या नैतिक है।

सरकार का तर्क:

  • सरकार का कहना है कि Stray Dogs की बढ़ती संख्या एक बड़ी समस्या है, जिस पर तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है।
  • उन्होंने Stray Dogs को पकड़ने, उनके लिए आश्रय देने, उन्हें गोद लेने के लिए प्रोत्साहित करने और खतरनाक कुत्तों को मारने का वादा किया है।

विरोधियों की चिंता:

  • विरोधियों का तर्क है कि आश्रय स्थल और गोद लेने के कार्यक्रम पर्याप्त नहीं हैं, खासकर जब तुर्किये में लगभग 40 लाख Stray Dogs हैं।
  • उन्हें डर है कि इस कानून के तहत बड़े पैमाने पर कुत्तों को मारा जा सकता है। जानवरों के कल्याण के लिए काम करने वाले लोग इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए बड़े स्तर पर कुत्तों की नसबंदी करने का सुझाव देते हैं।

कानून के प्रभाव:

  • इस कानून में कुत्तों को मारने के लिए विशेष मानदंड दिए गए हैं, जैसे कि आक्रामक व्यवहार या संक्रामक बीमारियां।
  • इसमें यह भी कहा गया है कि जो मेयर इस कानून को लागू करने से इनकार करेंगे, उन्हें जेल हो सकती है।
  • इससे स्थानीय शासन और समुदाय के संबंधों के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं।
  • तुर्किये में आवारा कुत्तों के लिए इच्छामृत्यु का यह नया कानून एक विवादास्पद मुद्दा है, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य, पशु कल्याण और राजनीतिक शक्ति शामिल है।

भारत में आवारा कुत्तों की सुरक्षा के लिए पशु कानून –

  • भारत में Stray Dogs को पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम (PCA), 1960 और इस अधिनियम की धारा 38 के तहत बनाए गए नियमों, विशेष रूप से पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001, भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 और संविधान के अनुच्छेद 51A (g) के तहत संरक्षण प्राप्त है।
  • Stray Dogs को पीटा, मारा या भगाया या विस्थापित नहीं किया जा सकता है। उन्हें केवल पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 में निर्धारित तरीके से नसबंदी किया जा सकता है, टीका लगाया जा सकता है, और फिर उनके मूल स्थान पर वापस लाया जा सकता है।
  • Stray Dogs की नसबंदी केवल तभी की जा सकती है जब वे कम से कम 4 महीने की उम्र के हो जाएं, उससे पहले नहीं।
  • किसी भी जानवर को मारना, अपंग करना, जहर देना या बेकार करना भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 428 के तहत दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडनीय है।
  • पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 की धारा 11 (i) के अनुसार, किसी जानवर को छोड़ देना, उसे ऐसी स्थिति में छोड़ना कि वह भूख या प्यास के कारण पीड़ा भुगतता है, एक दंडनीय अपराध है।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय का कहना है कि ऐसे कोई कानून नहीं हैं जो लोगों को आवारा जानवरों को खिलाने से रोकते हैं। जानवरों को खिलाने वाले पड़ोसियों को धमकाना, गाली देना या परेशान करना अपराध है। (धारा 506)

पशु जन्म नियंत्रण नियम 2023 (Animal Birth Control Rules 2023):

  • भारत में 2019 और 2022 के बीच कुत्तों के काटने के 1.6 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आए हैं।
  • इसके साथ ही, अनुमान है कि भारत में रेबीज के कारण हर साल 18,000 से 20,000 लोगों की मौत होती है (भारतीय संसद के आंकड़ों के अनुसार, 2023)।
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2022 से 2023 के बीच भारत में कुत्तों के काटने के मामले 21.8 लाख से बढ़कर 27.5 लाख हो गए।
  • 2023 में सबसे ज्यादा कुत्ते के काटने के मामले 4.35 लाख के साथ महाराष्ट्र में दर्ज किए गए।
  • इसके कारण कुत्तों, उनके देखभाल करने वालों के खिलाफ हिंसा और शहरी लोगों में झगड़े बढ़ गए हैं।

नियम:

  • ये नियम माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पशु कल्याण बोर्ड और आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार बनाए गए हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कुत्तों को उनके स्थान से हटाना नहीं चाहिए।
  • इन नियमों का उद्देश्य पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रमों के माध्यम से आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए दिशानिर्देश प्रदान करना है।
  • इन कार्यक्रमों को स्थानीय निकाय, नगरपालिका, नगर निगम और पंचायतों को चलाना होगा।
  • नगर निगमों को पशु जन्म नियंत्रण और रेबीज रोधी कार्यक्रमों को एक साथ लागू करना होगा।
  • इसमें कुत्तों को उनके स्थान से हटाए बिना, इंसानों और आवारा कुत्तों के बीच संघर्ष से निपटने के दिशानिर्देश दिए गए हैं।
  • इसमें पशु कल्याण सुनिश्चित करते हुए, पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रमों में क्रूरता को रोकने पर भी जोर दिया गया है।

रेबीज (Rabies) क्या है?

●       रेबीज एक जानलेवा वायरल बीमारी है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है और जिससे बचाव के लिए टीका उपलब्ध है।

●       यह अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों में मौजूद है, और इससे होने वाली 95% से अधिक मौतें एशिया और अफ्रीका में होती हैं।

कारण (cause):

●       यह एक RNA वायरस के कारण होता है जो रेबीज से ग्रस्त जानवर (कुत्ता, बिल्ली, बंदर, आदि) के लार में मौजूद होता है।

●       यह हमेशा संक्रमित जानवर के काटने के बाद फैलता है, जिससे लार और वायरस घाव में जमा हो जाते हैं।

●       विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कुत्ते इंसानों में रेबीज से होने वाली मौतों का मुख्य स्रोत हैं, और 99% मामलों में रेबीज कुत्तों के काटने से ही फैलता है।

भारत में स्थिति (Situation in India):

●       भारत में रेबीज एक आम बीमारी है, और दुनिया भर में रेबीज से होने वाली मौतों का 36% हिस्सा भारत में होता है।

●       WHO के अनुसार, भारत में रेबीज के लगभग 30-60% मामले और मौतें 15 साल से कम उम्र के बच्चों में होती हैं क्योंकि बच्चों में अक्सर कुत्तों के काटने की घटनाओं को पहचाना और रिपोर्ट नहीं किया जाता है।

उपचार (Treatment):

●       पालतू जानवरों को टीका लगाकर और संक्रमण के संभावित संपर्क के बाद लक्षण शुरू होने से पहले चिकित्सा सहायता लेकर रेबीज को रोका जा सकता है।

रेबीज नियंत्रण से संबंधित पहल (Rabies control initiatives):

वैश्विक (Global):

●       यूनाइटेड अगेंस्ट रेबीज फोरम (United Against Rabies Forum): यह फोरम विभिन्न संगठनों, मंत्रालयों और देशों के वैश्विक विशेषज्ञों को एक साथ लाता है ताकि वे 2030 तक कुत्तों के माध्यम से फैलने वाले रेबीज से होने वाली मानव मौतों को शून्य करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विशिष्ट उद्देश्यों और गतिविधियों की दिशा में काम कर सकें।

भारतीय (Indian):

●       2030 तक कुत्तों के माध्यम से फैलने वाले रेबीज के उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPRE): NAPRE को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सहयोग से तैयार किया गया था।

●       रेबीज के उन्मूलन के लिए इसका दृष्टिकोण WHO और ग्लोबल एलायंस ऑफ रेबीज कंट्रोल (GARC) जैसी कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की सिफारिशों पर आधारित है।

सारांश (Summary):

रेबीज एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इससे बचाव के लिए टीका उपलब्ध है। जागरूकता बढ़ाकर, पालतू जानवरों को टीका लगाकर और संक्रमण के बाद तुरंत चिकित्सा सहायता लेकर हम रेबीज को नियंत्रित कर सकते हैं।

 

निष्कर्ष:

  • तुर्किये में आवारा कुत्तों के लिए इच्छामृत्यु (ईच्छा मृत्यु) कानून को मंजूरी मिलने से देश में पशु कल्याण को लेकर एक नया और विवादास्पद मोड़ आया है।
  • कुछ लोग इसे जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए ज़रूरी कदम मानते हैं, वहीं कुछ लोग इसके नैतिक पहलुओं पर सवाल उठा रहे हैं और बड़े पैमाने पर नसबंदी और बेहतर पशु नियंत्रण व्यवस्था जैसे विकल्पों की वकालत कर रहे हैं।
  • इस कानून के लागू होने और तुर्किये की आवारा कुत्तों की आबादी पर इसके दीर्घकालिक प्रभाव का अभी पता नहीं है, लेकिन इसने निश्चित रूप से मानव जरूरतों और पशु अधिकारों के बीच संतुलन के बारे में एक राष्ट्रीय बहस छेड़ दी है।

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