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16 साल से कम उम्र में ऑस्ट्रेलिया सोशल मीडिया पर प्रतिबंध

ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर बैन लगाने की योजना है।

  • ऑस्ट्रेलियाई संसद में इस पर विधेयक पेश।
  • नियम तोड़ने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर $32.5 मिलियन तक जुर्माना।
  • लक्ष्य: बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करना।

मुख्य बिंदु:

  1. दुनिया का पहला बिल पेश: संचार मंत्री मिशेल रोलैंड ने ऑस्ट्रेलिया की संसद में बिल प्रस्तुत किया।
  2. सोशल मीडिया की जिम्मेदारी: बच्चों और माता-पिता के बजाय, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
  3. सोशल मीडिया के नुकसान: 14-17 साल के 66% ऑस्ट्रेलिया युवाओं ने हानिकारक कंटेंट देखा।
    • इसमें नशीली दवाओं का सेवन, आत्महत्या और खुद को नुकसान पहुंचाने जैसा कंटेंट शामिल।
  4. बिल का उद्देश्य: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार बनाना।

सोशल मीडिया क्या है?

सोशल मीडिया ऐसे वेबसाइट और एप्लिकेशन हैं जो लोगों को सामग्री (Content) बनाने, साझा करने और आपस में जुड़ने का मौका देते हैं।

उदाहरण: फेसबुक, इंस्टाग्राम, और ट्विटर सोशल मीडिया के प्रमुख प्लेटफॉर्म हैं।

 बच्चों पर सोशल मीडिया के नुकसान

  1. मानसिक स्वास्थ्य पर असर:
    • चिंता और अवसाद की समस्या बढ़ती है।
    • साइबरबुलिंग से भावनात्मक परेशानी हो सकती है।
  2. पढ़ाई पर असर:
    • ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम होती है।
    • काम टालने और कमजोर प्रदर्शन का खतरा बढ़ता है।
  3. सामाजिक कौशल में गिरावट:
    • आमने-सामने बातचीत कम होने से सामाजिक कौशल कमजोर होते हैं।
    • अकेलापन बढ़ता है और रिश्तों पर असर पड़ता है।
  4. शारीरिक छवि को लेकर समस्याएं:
    • अवास्तविक सुंदरता के मानक बनाए जाते हैं।
    • शरीर को लेकर असंतोष और आत्मविश्वास में कमी आती है।
  5. गोपनीयता और सुरक्षा का खतरा:
    • बच्चों को अनुचित सामग्री और ऑनलाइन शोषण का सामना करना पड़ सकता है।
    • डेटा चोरी और गोपनीयता संबंधी जोखिम बढ़ते हैं।
  6. नींद में बाधा:
    • ज्यादा स्क्रीन टाइम से नींद की गुणवत्ता खराब होती है।
    • स्क्रीन की लत से नींद का समय प्रभावित होता है।
  7. भौतिकवाद और अवास्तविक अपेक्षाएं:
    • प्रभावशाली व्यक्तियों (Influencers) की जीवनशैली से गलत उम्मीदें पैदा होती हैं।
    • आत्म-संदेह और हीन भावना का खतरा बढ़ता है।

 भारत और वैश्विक स्तर पर सोशल मीडिया का नियमन

भारत में सोशल मीडिया का नियमन 2021 के सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमों और 2023 के डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा अधिनियम (DPDPA) के तहत किया जाता है। इन नियमों का उद्देश्य इंटरनेट पर गतिविधियों को नियंत्रित करना और उपयोगकर्ताओं के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

IT (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021:

यह नियम फरवरी 2021 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किए गए थे। ये नियम सोशल मीडिया सहित मध्यस्थों द्वारा पालन किए जाने वाले दिशा-निर्देशों, शिकायत निवारण तंत्र और डिजिटल मीडिया आचार संहिता को निर्धारित करते हैं।

मध्यस्थ (Mediator) द्वारा पालन की जाने वाली सावधानी:

  • वेबसाइट या मोबाइल एप्लिकेशन पर नियम, गोपनीयता नीति और उपयोगकर्ता समझौते को प्रमुख रूप से प्रकाशित करें।
  • उपयोगकर्ताओं को एक साल में कम से कम एक बार नियमों, गोपनीयता नीति या उपयोगकर्ता समझौते में हुए बदलाव की जानकारी दें।

शिकायत निवारण तंत्र:

  • मध्यस्थ को अपनी वेबसाइट या मोबाइल एप्लिकेशन पर शिकायत अधिकारी का नाम और संपर्क विवरण प्रमुख रूप से प्रकाशित करना होगा।
  • शिकायत प्राप्त होने के 24 घंटे के अंदर acknowledgment और 15 दिनों के भीतर समाधान करना होगा।

महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थों के लिए अतिरिक्त सावधानी:

  • जिन प्लेटफार्मों पर अधिक उपयोगकर्ता हैं, उन्हें महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ (SSMI) माना जाएगा।
  • SSMI को मुख्य अनुपालन अधिकारी और 24×7 कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय के लिए संपर्क व्यक्ति नियुक्त करना होगा।

पहली जानकारी के स्रोत का पहचान:

  • SSMI को भारत में अपने प्लेटफार्म पर सूचना के पहले स्रोत की पहचान सक्षम करना होगा।

ऑनलाइन सुरक्षा और सम्मान:

  • 24 घंटे के अंदर ऐसे कंटेंट को हटाना या उसकी पहुँच को निष्क्रिय करना होगा, जो किसी की निजता का उल्लंघन करता हो या अपमानजनक हो।

निगरानी तंत्र:

  • सूचना और प्रसारण मंत्रालय एक निगरानी तंत्र बनाएगा, जिसमें स्वयं-नियमन निकायों के लिए चार्टर और शिकायतों को सुनने के लिए एक अंतर-मंत्रालय समिति होगी।

 डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) 2023 और बच्चों की सोशल मीडिया उपयोग पर नियमन:

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) 2023 का उद्देश्य बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग को नियंत्रित करना है। इस कानून के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के डेटा को सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।

धारा 9 के तहत 3 प्रमुख शर्तें:

  1. पारदर्शी माता-पिता की सहमति (Verifiable Parental Consent):
    • कंपनियों को बच्चों के डेटा को एकत्रित करने से पहले उनके माता-पिता या संरक्षक की सहमति प्राप्त करनी होगी।
  2. बच्चों की भलाई को प्राथमिकता (Alignment with Child Well-being):
    • बच्चों के व्यक्तिगत डेटा की प्रक्रिया इस प्रकार की जाएगी कि उनकी भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
  3. निगरानी और विज्ञापन पर प्रतिबंध (Restrictions on Monitoring and Advertising):
    • बच्चों पर निगरानी, व्यवहारिक मॉनिटरिंग और लक्षित विज्ञापन पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा।

कर्नाटका उच्च न्यायालय ने सोशल मीडिया के लिए 21 वर्ष की आयु सीमा लागू करने का सुझाव दिया।

 वैश्विक स्तर:

  1. दक्षिण कोरिया: 16 साल से कम उम्र के बच्चों को रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक ऑनलाइन गेम खेलने से रोका।
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका:
    • COPPA: 13 साल से कम बच्चों से डेटा प्राप्त करने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य।
    • CIPA: स्कूलों और लाइब्रेरीज़ को खतरनाक सामग्री फिल्टर करने का आदेश।
  3. यूरोपीय संघ:
    • GDPR: डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम।
    • 16 साल से कम उम्र के बच्चों को बिना सहमति के इंटरनेट उपयोग से रोका गया।
  4. फ्रांस: 15 साल से कम उम्र के बच्चों को बिना सहमति के सोशल मीडिया उपयोग से रोका।
  5. चीन: 16-18 साल के बच्चों को दो घंटे, 8-15 साल के बच्चों को एक घंटे, और 8 साल से कम बच्चों को 40 मिनट इंटरनेट उपयोग की अनुमति।
  6. ब्राजील: बच्चों के डेटा सुरक्षा कानून लागू, डिजिटल कंपनियों को डेटा सुरक्षित तरीके से इकट्ठा और प्रोसेस करने का निर्देश।

बच्चों के लिए सोशल मीडिया उपयोग को नियंत्रित करने के कारण

  1. सामाजिक संबंधों को बढ़ावा देना: सोशल मीडिया पर प्रतिबंध बच्चों को आमने-सामने बातचीत करने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे उनकी सामाजिक कौशल और भावनात्मक बुद्धिमत्ता में सुधार हो सकता है।
  2. मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ: सोशल मीडिया के उपयोग से बच्चों में चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
  3. सुरक्षा चिंताएँ: हानिकारक सामग्री, साइबरबुलीइंग और ऑनलाइन शिकारियों से बढ़ता हुआ जोखिम बच्चों के लिए गंभीर खतरे पैदा करता है।
  4. अश्लील सामग्री: सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री का प्रसार बच्चों को अनुपयुक्त सामग्री से परिचित कराता है, जिससे उनकी सोच और रिश्तों के प्रति दृष्टिकोण पर गलत प्रभाव पड़ सकता है।
  5. भ्रामक जानकारी: सोशल मीडिया भ्रामक जानकारी का स्रोत हो सकता है, और बच्चे प्रचार से प्रभावित हो सकते हैं।
  6. तकनीकी जिम्मेदारी: यह तर्क भी है कि तकनीकी कंपनियों को बच्चों के लिए सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण बनाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, न कि केवल माता-पिता की निगरानी पर निर्भर रहना चाहिए।
  7. आत्म-सम्मान की समस्या: सोशल मीडिया पर दिखाए गए आदर्श जीवनशैली और छवि के कारण बच्चों में आत्म-सम्मान की कमी हो सकती है।
  8. कानूनी और नैतिक दायित्व: सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को बच्चों की सुरक्षा और उनके डेटा की रक्षा करने के लिए कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
  9. ध्यान की कमी: सोशल मीडिया पर समय बिताने से बच्चों का ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कमजोर हो सकती है, जिससे उनकी पढ़ाई पर नकारात्मक असर पड़ता है।

भारत में सोशल मीडिया का बढ़ता उपयोग:

  • भारतीय यूजर्स औसतन 7.3 घंटे प्रति दिन स्मार्टफोन पर बिताते हैं।
  • इसका अधिकांश समय सोशल मीडिया पर खर्च होता है।
  • अमेरिकी यूजर्स का औसत स्क्रीन टाइम 7.1 घंटे और चीनी यूजर्स का 5.3 घंटे है।
  • एक भारतीय कम से कम 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय रहता है।
  • अमेरिका और ब्रिटेन में औसतन एक व्यक्ति के पास 7 सोशल मीडिया अकाउंट्स होते हैं।

दुनिया में सबसे ज्यादा सोशल मीडिया यूजर्स:

  • 9 अरब: दुनिया में सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या।
  • 85 अरब: 2027 तक दुनिया में सोशल मीडिया यूजर्स की अनुमानित संख्या।

सोशल मीडिया का मोबाइल पर उपयोग:

  • 85%: यूजर्स मोबाइल डिवाइस पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं।

दुनिया में सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या (देशवार):

  • 10 करोड़: चीन में सबसे ज्यादा सोशल मीडिया यूजर्स हैं।
  • 50 करोड़: भारत में सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या दूसरे नंबर पर है।
  • 20 करोड़: अमेरिका में सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या तीसरे नंबर पर है।

सोशल मीडिया अकाउंट्स (प्रति यूजर):

  • 4 करोड़: भारत में एक यूजर के पास सोशल मीडिया अकाउंट्स की संख्या।
  • 1 करोड़: अमेरिका में एक यूजर के पास सोशल मीडिया अकाउंट्स की संख्या।

सोशल मीडिया पर बिताया गया समय:

  • 35 घंटे: दुनिया में औसतन लोग सोशल मीडिया पर रोजाना 2.35 घंटे बिताते हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (यूजर्स के अनुसार):

  • 91 अरब: फेसबुक का यूजर बेस दुनिया में सबसे बड़ा है।
  • 56 अरब: यूट्यूब का यूजर बेस दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है।
  • 2 अरब: ट्विटर का यूजर बेस दुनिया में तीसरे नंबर पर है।

सोशल मीडिया पर बढ़ते खतरे:

भारत और अन्य देशों में सोशल मीडिया के माध्यम से डीपफेक, डिजिटल गिरफ्तारी और ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसी घटनाएँ बढ़ रही हैं।

भारत सरकार की एडवायजरी: दिसंबर 2023 में भारत सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के लिए एक एडवायजरी जारी की, जिसमें उन्हें डीपफेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से फैलने वाली गलत सूचनाओं के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियमों का पालन करने को कहा गया।

प्रधानमंत्री की चिंता: प्रधानमंत्री ने भी डीपफेक तकनीक और डिजिटल गिरफ्तारी के खतरों पर अपनी चिंता व्यक्त की है।

वायरल डीपफेक वीडियो: हाल ही में, सोशल मीडिया पर कई डीपफेक वीडियो वायरल हुए थे, जिससे जुड़े व्यक्तियों ने इस पर हैरानी और चिंता जताई।

आगे का रास्ता:

  1. बेहतर आयु सत्यापन तकनीक: बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्नत और विश्वसनीय आयु सत्यापन तकनीकों का उपयोग करें, जो नियमों के अनुसार बच्चों की पहुँच को सटीक रूप से प्रतिबंधित कर सकें।
  2. अभिभावकों के लिए डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम: विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां डिजिटल जागरूकता कम है, अभिभावकों और संरक्षकों के लिए डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम शुरू करें।
  3. कड़े डेटा गोपनीयता और सामग्री मॉडरेशन नीतियां: बच्चों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए डेटा गोपनीयता नीतियों को अपडेट करें।
  4. स्कूलों में डिजिटल साक्षरता: स्कूलों में डिजिटल साक्षरता को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएं, ताकि बच्चे सोशल मीडिया के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग को समझ सकें।
    1. मानसिक स्वास्थ्य समर्थन: सोशल मीडिया के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव को संबोधित करने के लिए स्कूलों और समुदायों में समर्थन प्रणालियां विकसित करें।

नवीन उपाय:

  • सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ाना: बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर कड़ी निगरानी और नियंत्रण लागू करें।
  • सकारात्मक ऑनलाइन गतिविधियाँ बढ़ाना: बच्चों को अच्छे और सकारात्मक ऑनलाइन गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।
  • संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम: बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करें, जिससे वे सोशल मीडिया के सुरक्षित उपयोग के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त कर सकें।

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