Mains GS II – विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हुए RE-Invest 2024 कार्यक्रम में हरित ऊर्जा क्षेत्र में 32.45 लाख करोड़ रुपये के भारी निवेश पाने की बात कही गई है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने घोषणा की कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में इस महत्वपूर्ण वित्त पोषण की प्रतिबद्धता जताई है। इस राशि का उद्देश्य देश की हरित ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देना और ऊर्जा क्षेत्र में परिवर्तन लाना है।
चौथे RE-Invest 2024 के मुख्य बिंदु
- प्रधानमंत्री ने गुजरात के गांधीनगर में चौथे वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन और एक्सपो (री-इन्वेस्ट) का उद्घाटन किया।
- बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2030 तक अतिरिक्त 386 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वित्तपोषण की प्रतिबद्धता जताई है।
- इस सम्मेलन में प्रमुख ऋणदाताओं की सूची में रिलायंस (जो 6 ट्रिलियन रुपये), भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड और भारतीय स्टेट बैंक (5 ट्रिलियन रुपये), पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (3 ट्रिलियन रुपये) और नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (1.86 ट्रिलियन रुपये) का योगदान दिया।
- यह नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र (कार्बन उत्सर्जन को कम करने और हरित ऊर्जा को बढ़ावा) के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
- भारत को 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य प्राप्त किए जाने का संकल्प लिया गया है।
- हितधारकों ने 570 गीगावाट की अतिरिक्त क्षमता जोड़ने की प्रतिबद्धता जताई है, जिससे भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि होगी।
- निर्माताओं ने सौर मॉड्यूल में 340 गीगावाट, सौर सेल में 240 गीगावाट, पवन टर्बाइन में 22 गीगावाट और इलेक्ट्रोलाइजर में 10 गीगावाट की अतिरिक्त विनिर्माण क्षमता की प्रतिबद्धता जताई है।
- कार्यक्रम में कहा गया कि ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिए शुल्क में 76 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।
चौथे RE-Invest 2024 की प्रमुख प्रतिबद्धताए:
- रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 2030 तक 100 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
- एनटीपीसी ने 2030 तक 41.3 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की योजना बनाई है। यह ऊर्जा क्षेत्र में उनके योगदान को और बढ़ावा देगा।
- टोरेंट पावर लिमिटेड ने 2030 तक 10 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- रिन्यू पावर ने 2030 तक 40 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताई है। वर्तमान में, रिन्यू पावर की स्थापित क्षमता 10 गीगावाट है, जो सौर और पवन ऊर्जा के बीच समान रूप से विभाजित है।
RE-Invest (Renewable Energy Investors’ Meet and Expo) क्या है?
- यह भारत सरकार द्वारा आयोजित एक प्रमुख सम्मेलन है, जिसका उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना और इसे प्रोत्साहित करना है।
- इस सम्मेलन में विभिन्न परियोजना डेवलपर्स, ऋण और इक्विटी निवेशक, विनिर्माण कंपनियां और सरकारी नीति निर्माता भाग लेते हैं।
- इसका मुख्य उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना में आने वाली कठिनाइयों को दूर करना और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
- RE-Invest में प्रमुख वैश्विक और घरेलू निवेशक, कंपनियां, और संस्थान हिस्सा लेते हैं ताकि नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में विकास की रणनीतियों पर चर्चा की जा सके।
- इस सम्मेलन के माध्यम से भारत कार्बन उत्सर्जन को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता दर्शाता है, जिससे सौर, पवन, जैव ऊर्जा और हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित किए जा सकें।
हरित ऊर्जा (Green Energy) क्या है?
हरित ऊर्जा, जिसे नवीकरणीय या स्वच्छ ऊर्जा भी कहा जाता है, वह ऊर्जा है जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित होती है और इसे प्राकृतिक स्रोतों से उत्पन्न किया जाता है।
- यह ऊर्जा स्रोत अक्षय होते हैं और इन्हें बार-बार उपयोग में लाया जा सकता है।
- ऊर्जा उत्पन्न करते समय ग्रीनहाउस गैसों या अन्य प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं करते।
- यह ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल होती है और इसके स्रोत असीमित होते हैं।
- मुख्य रूप से सौर, पवन, जल, जैव ऊर्जा, और जियोथर्मल ऊर्जा को हरित ऊर्जा के रूप में जाना जाता है।
पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में हरित ऊर्जा के फायदे:
- प्रदूषण-मुक्त: पारंपरिक ऊर्जा स्रोत, जैसे कोयला और तेल, भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें उत्सर्जित करते हैं, जबकि हरित ऊर्जा प्रदूषण को बहुत कम करती है।
- अक्षय स्रोत: हरित ऊर्जा स्रोत, जैसे सूर्य और हवा, असीमित हैं, जबकि कोयला, तेल, और प्राकृतिक गैस सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और भविष्य में समाप्त हो सकते हैं।
- स्वास्थ्यप्रद: हरित ऊर्जा से कम प्रदूषण होने के कारण वायु और जल प्रदूषण में कमी आती है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके विपरीत, पारंपरिक ऊर्जा के उपयोग से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जो फेफड़ों की बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।
जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से लड़ने में हरित ऊर्जा की भूमिका:
- हरित ऊर्जा जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक प्रमुख उपाय है। इसके उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारणों में से एक है। हरित ऊर्जा के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग की दर को कम किया जा सकता है, क्योंकि यह ऊर्जा स्रोत ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करते।
- हरित ऊर्जा, जैसे सौर और पवन ऊर्जा, वातावरण में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद करती है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटा जा सकता है। जल और वायु प्रदूषण में कमी आती है, जिससे पर्यावरण की रक्षा होती हैं।
हरित ऊर्जा के प्रकार:
- सौर ऊर्जा: सूर्य की किरणों से उत्पन्न ऊर्जा, जिसे सौर पैनलों द्वारा बिजली में परिवर्तित किया जाता है।
- पवन ऊर्जा: हवा के प्रवाह से बिजली उत्पादन, जिसे पवन टर्बाइन के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।
- जलविद्युत ऊर्जा: बहते पानी की शक्ति से उत्पन्न ऊर्जा, जिसे जलविद्युत संयंत्रों में परिवर्तित किया जाता है।
- बायोमास ऊर्जा: जैविक कचरे और पौधों से उत्पन्न ऊर्जा, जो ईंधन या बिजली के रूप में प्रयोग की जाती है।
- भूतापीय ऊर्जा: पृथ्वी की आंतरिक गर्मी से उत्पन्न ऊर्जा, जिसे बिजली और गर्मी उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है।
- अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत: इनमें समुद्री ऊर्जा (ज्वारीय और लहरों से), और हाइड्रोजन ऊर्जा शामिल हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल होती हैं।
भारत में हरित ऊर्जा का महत्व
भारत में हरित ऊर्जा का महत्व वर्तमान समय में बहुत अधिक बढ़ गया है। देश की बढ़ती ऊर्जा मांग और पर्यावरणीय समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, हरित ऊर्जा का उपयोग अब एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गया है। आइए इसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हैं:
- भारत में ऊर्जा की बढ़ती मांग: भारत की तेजी से बढ़ती आबादी और औद्योगिक विकास के कारण ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में पारंपरिक ऊर्जा स्रोत जैसे कोयला और तेल न केवल सीमित हैं, बल्कि प्रदूषण का भी एक बड़ा कारण हैं। इस कारण हरित ऊर्जा को अपनाना बेहद जरूरी है ताकि देश की ऊर्जा मांग को पूरा किया जा सके।
- ऊर्जा सुरक्षा: हरित ऊर्जा न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि यह ऊर्जा सुरक्षा भी प्रदान करती है। भारत अभी भी अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, खासकर तेल और गैस के लिए। हरित ऊर्जा अपनाने से आयात निर्भरता कम हो जाएगी और देश अधिक आत्मनिर्भर बनेगा।
- आर्थिक विकास: हरित ऊर्जा में निवेश से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं और देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। सोलर पावर, विंड एनर्जी, और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक विकास हो सकता है।
- जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक देश है, जिसके चलते जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। वर्ष 2022 की ‘वैश्विक वायु स्थिति रिपोर्ट’ के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत में अकेले वायु प्रदूषण के कारण ही लगभग 1.6 मिलियन मौतें हुईं। हरित ऊर्जा के अपनाने से उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी और वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- निवेश और वैश्विक नेतृत्व: वर्तमान में वैश्विक स्तर पर सतत विकास और हरित प्रौद्योगिकियों पर ध्यान दिया जा रहा है, जिससे हरित ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। भारत हरित ऊर्जा को अपनाकर न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकता है, बल्कि वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी देश के रूप में उभरकर विदेशी निवेश आकर्षित करके, भारत की प्रौद्योगिकीय प्रगति भी बढ़ा सकता है।
भारत में हरित ऊर्जा की स्थिति
भारत में हरित ऊर्जा का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और यह देश की ऊर्जा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
- सौर ऊर्जा (Solar Energy): भारत में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा विस्तार देखा गया है। “अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन” (International Solar Alliance) की स्थापना के बाद, भारत ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत निर्णय लिए हैं। वर्ष 2022 तक, भारत की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता लगभग 100 गीगावॉट तक पहुंच गई है, और यह क्षमता लगातार बढ़ रही है। राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में बड़े सौर ऊर्जा पार्क स्थापित किए जा रहे हैं।
- पवन ऊर्जा (Wind Energy): पवन ऊर्जा के उत्पादन में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है। देश की पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता 40 गीगावॉट से अधिक है। तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, और कर्नाटक जैसे राज्य पवन ऊर्जा के प्रमुख केंद्र हैं।
- जलविद्युत ऊर्जा (Hydropower): जलविद्युत ऊर्जा भारत में सबसे पुराने नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में से एक है। वर्तमान में भारत की जलविद्युत उत्पादन क्षमता लगभग 45 गीगावॉट है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में जलविद्युत परियोजनाएं स्थापित हैं।
- बायोमास ऊर्जा (Biomass Energy): कृषि अपशिष्ट और बायोमास से ऊर्जा उत्पादन भारत में लोकप्रिय हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बायोमास ऊर्जा का व्यापक उपयोग हो रहा है, जिससे न केवल स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है, बल्कि कृषि अपशिष्ट का पुनर्चक्रण भी हो रहा है।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता मार्च 2014 में 75.52 गीगावाट से बढ़कर 2024 में 207.7 गीगावाट से अधिक हो गई है।
- भारत में कुल नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन 2014 में 193.50 बिलियन यूनिट से 86% बढ़कर 2024 में 360 बिलियन यूनिट (बीयू) तक पहुँच गया है।
भारत सरकार द्वारा हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदम
- ग्रीन हाइड्रोजन मिशन: भारत सरकार ने 19,700 करोड़ रुपये की राशि आवंटित कर “ग्रीन हाइड्रोजन मिशन” शुरू किया है। इसका लक्ष्य 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) हाइड्रोजन का वार्षिक उत्पादन है, जो अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को कम करेगा और जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता को कम करेगा। यह मिशन भारत को वैश्विक हाइड्रोजन तकनीक में अग्रणी बनने में मदद करेगा।
- बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली: केंद्रीय बजट 2023-24 के तहत, 4,000 मेगावाट घंटे की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली के लिए एक व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण योजना तैयार की गई है। इसके साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग होने वाली लिथियम-आयन बैटरियों के निर्माण के लिए आवश्यक पूंजीगत वस्तुओं और मशीनरी के आयात पर सीमा शुल्क छूट को 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
- ग्रिड एकीकरण: लद्दाख से 13 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के ग्रिड एकीकरण और निकासी के लिए 8,300 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 20,700 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। इस कदम से देश के विभिन्न हिस्सों में हरित ऊर्जा का उत्पादन और वितरण आसान हो सकेगा।
- हरित ऊर्जा गलियारा (Green Energy Corridor): हरित ऊर्जा गलियारा योजना के तहत, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए नई ट्रांसमिशन लाइनें बिछाई जा रही हैं और नए सब-स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं।
- प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम): पीएम-कुसुम योजना के तहत किसानों को सौर ऊर्जा आधारित पंप प्रदान किए जा रहे हैं, ताकि वे अपनी कृषि गतिविधियों के लिए स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग कर सकें। इस योजना का लक्ष्य 2025 तक 30 गीगावाट क्षमता वाली परियोजनाएं स्थापित करना है।
- नवीकरणीय ऊर्जा में FDI: भारत सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ावा देने के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक FDI की अनुमति दी है।
- गोबरधन योजना: “मातृ पृथ्वी के पुनरुद्धार” और गोबरधन (गैल्वेनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन) योजना के तहत 500 नए “अपशिष्ट से संपदा” संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य अपशिष्ट पदार्थों से ऊर्जा का उत्पादन करना है, जो स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ अपशिष्ट प्रबंधन में भी सहायक होगा।
- राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन (NSGM): भारत सरकार ने ऊर्जा उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए “राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन” शुरू किया है। इस मिशन के तहत देशभर में स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, जिससे उपभोक्ता ऊर्जा की खपत का बेहतर प्रबंधन कर सकेंगे और ऊर्जा की बर्बादी को कम किया जा सकेगा।
- FAME योजना: इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए FAME योजना लागू की गई है। इसका उद्देश्य हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से अंगीकरण और विनिर्माण को प्रोत्साहित करना है।
भारत में हरित ऊर्जा संबंधित चुनौतियाँ
- जीवाश्म ईंधन पर उच्च निर्भरता: भारत का ऊर्जा मिश्रण अभी भी जीवाश्म ईंधन, विशेष रूप से कोयले, पर भारी निर्भर है। विद्युत उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी लगभग 55% है। यह निर्भरता नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण में एक महत्वपूर्ण बाधा है, क्योंकि जीवाश्म ईंधन का विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर और राजनीतिक लाभ इसे बदलने में कठिनाई उत्पन्न करता है।
- पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता: जीवाश्म ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा के प्रबंधन के लिए अलग-अलग मंत्रालयों की नीति और शासन व्यवस्था में समन्वय का अभाव है। कोयला मंत्रालय का कोयला खनन का विस्तार और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में सामंजस्य की कमी होती है, जिससे एकीकृत योजना और संसाधन आवंटन में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।
- हरित प्रौद्योगिकी में भेद्यता: भारत की हरित प्रौद्योगिकी पर निर्भरता, विशेषकर सौर पैनलों, पवन टर्बाइनों और महत्वपूर्ण खनिजों में चीन के प्रभुत्व के कारण, भेद्यता उत्पन्न होती है। भारत की लगभग 70% सौर ऊर्जा क्षमता चीन द्वारा निर्मित सौर उपकरणों पर आधारित है।
- सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अनिश्चितता के कारण ग्रिड स्थिरता बनाए रखना और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है। इन स्रोतों की चरम उत्पादन क्षमता और आपूर्ति में असंगति से ग्रिड की स्थिरता प्रभावित हो सकती है। सौर पैनलों और पवन टर्बाइनों के बढ़ते उपयोग से उनके जीवन-चक्र अंत प्रबंधन की चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
- सीमित ऊर्जा भंडारण क्षमता: भारत में ऊर्जा भंडारण समाधान, जैसे पंप हाइड्रो और बैटरी भंडारण, अभी अपने प्रारंभिक चरण में हैं। इससे अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा को संग्रहित करने की क्षमता सीमित है और उच्च मांग की अवधि में इनकी प्रभावशीलता पर प्रभाव पड़ता है। 2032 तक 500GW गैर-जीवाश्म ऊर्जा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्नत बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की आवश्यकता है।
UPSC पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. “सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिये सस्ती, भरोसेमंद, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच अनिवार्य है।” इस संबंध में भारत में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (वर्ष 2018) |
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