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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना

सामान्य अध्ययन पेपर – II: बच्चों से संबंधित मुद्दे, महिला केंद्रित मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों? 

महिला और बाल विकास मंत्रालय ने 22 जनवरी, 2025 को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP) का 10वां स्थापना दिवस मनाया। इस योजना ने देशभर में लड़कियों के अधिकारों की रक्षा, उनकी शिक्षा में सुधार और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना का परिचय

  • प्रारंभ: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में लॉन्च किया गया था।
  • सहयोगी पहल: यह योजना भारत सरकार की एक संयुक्त पहल है, जिसमें कई अन्य मंत्रालय भी शामिल हैं।
  • प्रारंभिक कार्यान्वयन: इस योजना को सबसे पहले 100 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया, जिनमें 2011 की जनगणना के आधार पर कम बाल लिंगानुपात (CSR) था।
  • उद्देश्य: इस योजना का मुख्य उद्देश्य बाल लिंगानुपात में गिरावट को संबोधित करना और लड़कियों के संरक्षण, जीवन रक्षा और शिक्षा को बढ़ावा देना है।  यह योजना जागरूकता अभियानों के साथ-साथ जमीनी स्तर पर लक्षित समस्याओं को दूर करने का प्रयास करती है।
  • एकीकरण: वर्तमान में यह योजना मिशन शक्ति के साथ एकीकृत हो चुकी है, जो 15वें वित्त आयोग की अवधि (2021-2022 से 2025-2026) तक लागू होगी।

मिशन शक्ति का परिचय

  • प्रारंभ: मिशन शक्ति एक सरकारी पहल है, जिसे जुलाई 2022 में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा, संरक्षण और सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया था।
  • उद्देश्य: यह योजना महिलाओं के जीवन के विभिन्न चरणों में सहयोग प्रदान करती है, जो निम्नलिखित सेवाओं के माध्यम से होती है:
    • महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करना
    • महिलाओं को सशक्त बनाना और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना
    • महिलाओं में आत्मनिर्भरता और उद्यमिता को बढ़ावा देना
    • महिलाओं को सुरक्षित वातावरण में रहने में मदद करना

मिशन शक्ति के तहत उप-योजनाएं:

  1. संबल (सुरक्षा और संरक्षण): यह उप-योजना महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसमें वन स्टॉप सेंटर (OSC), महिला हेल्पलाइन (181), और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) जैसी सेवाएं शामिल हैं। इसमें नारी अदालत भी शामिल है, जो महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन और उत्पीड़न जैसे मुद्दों का समाधान करती है।
  2. सामर्थ्य (सशक्तिकरण): इस उप-योजना का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है। इसमें शक्ति घर (शरणस्थल), राहत और पुनर्वास घर, और कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए पालना-क्रेच जैसी सुविधाएं शामिल हैं। यह योजना प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) का भी समर्थन करती है, जो गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना की आवश्यकता

  • लड़कियों के जन्म अनुपात में गिरावट (Child Sex Ratio – CSR): बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत का एक मुख्य कारण लड़कियों के जन्म का अनुपात में गिरावट था।
    • 2011 की जनगणना के अनुसार, लड़कियों का अनुपात घटकर 918 लड़कियों प्रति 1,000 लड़के हो गया, जो 2001 में 927 लड़कियों प्रति 1,000 लड़के से कम था।
  • वैश्विक तुलना: 2012 में यूनीसेफ द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार, भारत को लिंग अनुपात के आधार पर 195 देशों में से 41वां स्थान मिला था, जो इस समस्या की गंभीरता को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करता है। यह आंकड़ा भारत में लिंग असमानता की समस्या को उजागर करता है।
  • संस्कृतिक और सामाजिक कारक: भारत में लड़कों की चाह होना एक प्रमुख कारण माना गया है, जो लिंग असमानता का मुख्य कारण है। इस रूढ़िवादी सोच के चलते भारत में लिंग चयनात्मक गर्भपात जैसी भेदभावपूर्ण प्रथाओं का प्रचलन बढ़ जाना भी इसका मुख्य कारण माना जा सकता हैं।

इन गंभीर मुद्दों को संबोधित करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को एक बहु-मंत्रालयीय पहल के रूप में शुरू किया गया था।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना के उद्देश्य

  • लिंग आधारित भेदभावपूर्ण प्रथाओं का उन्मूलन: इस योजना का उद्देश्य लिंग चयनात्मक प्रथाओं जैसे लिंग निर्धारण परीक्षण और लड़कियों के गर्भपात को रोकना है, जो लड़कियों के जन्म के अनुपात में गिरावट का कारण बनती हैं। योजना का प्रयास लड़कियों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और समाज में प्रचलित लिंग भेदभाव को समाप्त करना है।
  • लड़कियों की सुरक्षा और अस्तित्व सुनिश्चित करना: इस योजना का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, ताकि वे शारीरिक, मानसिक और सामाजिक हानि से बच सकें। योजना का लक्ष्य लड़कियों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देने और उन्हें सही और गलत के बीच अंतर पहचानने में सक्षम बनाने पर है।
  • लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना: BBBP योजना लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता देती है, ताकि स्कूलों में लड़कियों के नामांकन दर को बढ़ाया जा सके। इसका उद्देश्य माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर लड़कियों के ड्रॉपआउट दरों को कम करना और लड़कियों को शैक्षिक सफलता के समान अवसर देना है।
  • लड़कियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: इस योजना का उद्देश्य मातृ और शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना है ताकि लड़कियों का अस्तित्व सुनिश्चित किया जा सके। इसका लक्ष्य जन्म के समय लिंग अनुपात में प्रत्येक वर्ष 2 अंकों का सुधार करना और संस्थागत प्रसव दर को 95% या उससे अधिक बनाए रखना है। एक अन्य उद्देश्य प्रथम तिमाही के एंटीनेटल देखभाल (ANC) में 1% वार्षिक वृद्धि करना। योजना किशोर लड़कियों के सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर भी जोर देती है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की मुख्य विशेषताएँ और कार्यान्वयन संरचना

  • शासकीय निकाय: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना एक संयुक्त पहल है, जिसमें 3 मंत्रालयों का समन्वय है।
    • महिला और बाल विकास मंत्रालय (MoWCD): योजना के बजटीय नियंत्रण और प्रशासन की जिम्मेदारी।
    • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoH&FW): क्षमता निर्माण और गुणवत्ता नियंत्रण की जिम्मेदारी।
    • मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MoHRD): योजना के शैक्षिक घटकों का विकास और क्रियान्वयन 
  • आर्थिक और संचालन संरचना:
    • BBBP योजना एक केंद्रीय वित्तपोषित योजना है, जो मिशन शक्ति के तहत पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित है।
    • वित्तीय सहायता जिलेवार जन्म के समय लिंग अनुपात (SRB) के आधार पर आवंटित की जाती है:
      • SRB ≤ 918: ₹40 लाख प्रति वर्ष
      • SRB 919–952 के बीच: ₹30 लाख प्रति वर्ष
      • SRB > 952: ₹20 लाख प्रति वर्ष
    • यह योजना 2014-15 में 100 जिलों से शुरू हुई और 2018 तक 640 जिलों तक फैल गई। यह योजना उन जिलों को प्राथमिकता देती है जिनका CSR (बाल लिंग अनुपात) राष्ट्रीय औसत से कम है (2011 की जनगणना के अनुसार)।
  • कार्यावली संरचना:
    • राज्य कार्य बल (STF): ये कार्यबल राज्य स्तर पर योजना के सुचारू कार्यान्वयन की निगरानी करते हैं। इन्हें राज्य के मुख्य सचिव द्वारा नेतृत्व प्रदान किया जाता है।
    • जिला कार्य बल (DTF): ये कार्यबल जिला स्तर पर सभी गतिविधियों की निगरानी करते हैं और धन के सही उपयोग को सुनिश्चित करते हैं। इनका नेतृत्व जिला कलेक्टर या डिप्टी कमिश्नर द्वारा किया जाता है।
    • ब्लॉक स्तर समितियाँ: ये समितियाँ अभियान, हस्तक्षेप और समीक्षा के कार्यों में मदद करती हैं।
    • लक्ष्य समूह: BBBP योजना को दो स्तरों पर लक्षित किया गया है ताकि तात्कालिक और दीर्घकालिक सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
  • प्राथमिक लक्ष्य समूह:
    • युवक और विवाहित जोड़े: नव विवाहित दंपत्ति और गर्भवती दंपत्ति को लड़कियों के महत्व के बारे में जागरूक किया जाता है।
    • किशोर (लड़कियाँ और लड़के): किशोरों को लिंग संवेदनशीलता और परिवर्तन के लिए सशक्त बनाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।
    • परिवार और समुदाय: परिवारों और समुदायों को लड़कियों के प्रति मानसिकता और दृष्टिकोण बदलने के लिए शामिल किया जाता है।
  • द्वितीयक लक्ष्य समूह:
    • स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र (AWCs): ये संस्थाएँ लड़कियों और उनके परिवारों तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
    • स्वास्थ्य सेवा प्रदाता: चिकित्सा पेशेवर और निजी अस्पताल लिंग चयनात्मक प्रथाओं जैसे लिंग निर्धारण परीक्षण को रोकने में महत्वपूर्ण हैं।
    • स्थानीय शासन निकाय: पंचायती राज संस्थाएँ (PRIs) और शहरी स्थानीय निकाय (ULBs) स्थानीय कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से सहायक होते हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की उपलब्धियाँ

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना की सफलता लिंग असमानता को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में देखी जा सकती है, जिनकी प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:

  • लिंग अनुपात में सुधार (Sex Ratio at Birth – SRB): 2014-15 में 918 लड़कियाँ प्रति 1,000 लड़कों से बढ़कर 2022-23 में 933 हो गया (स्रोत: HMIS, MoHFW)। यह निरंतर वृद्धि योजना के प्रभाव को दर्शाती है, जो लिंग चयनात्मक प्रथाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल रही है।
  • लड़कियों के नामांकन में वृद्धि: 2014-15 में लड़कियों का औसत नामांकन दर (GER) 75.51% से बढ़कर 2021-22 में 79.4% हो गया (स्रोत: U-DISE Plus, MoE), जो इस योजना के सकारात्मक शैक्षिक प्रभाव को प्रदर्शित करता है।
  • संस्थागत प्रसव में वृद्धि: 2014-15 में संस्थागत प्रसव 87% से बढ़कर 2019-20 में 94% हो गए, जिससे सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित हुआ और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई।
  • जागरूकता अभियानों की सफलता: ‘बेटी के साथ सेल्फी’ जैसे लक्षित अभियानों ने देशभर में लोकप्रियता हासिल की, जो बेटियों के जन्म का उत्सव मनाने के लिए ‘बेटी जन्मोत्सव’ जैसी घटनाओं के माध्यम से सफल हुआ।
  • महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण: कौशल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर BBBP ने लड़कियों और महिलाओं के कौशल विकास और आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा दिया है। ‘खेलो इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों ने लड़कियों में खेल प्रतिभा को पहचानने और बढ़ावा देने में मदद की।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लाभ

  • महिलाओं और लड़कियों का सशक्तिकरण: इस योजना ने महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और व्यक्तिगत विकास के लिए बेहतर अवसर मिल रहे हैं। यह योजना समाजिक बाधाओं को तोड़ने का प्रयास कर रही है ताकि लड़कियाँ समान अवसरों के साथ सशक्त जीवन जी सकें। 
  • कानूनी और सामाजिक ढांचे को सुदृढ़ करना: इस योजना ने लड़कियों को लिंग आधारित हिंसा, भेदभाव और शोषण से बचाने के लिए कानूनी और सामाजिक ढांचे को मजबूत किया है। यह लिंग समानता को बढ़ावा देती है और महिला भ्रूण हत्या और बाल विवाह जैसी हानिकारक पारंपरिक प्रथाओं को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।
  • बहु-क्षेत्रीय हस्तक्षेप और सहयोग: इस योजना ने लड़कियों के कल्याण से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और हितधारकों को एक साथ लाने के लिए बहु-क्षेत्रीय हस्तक्षेप को बढ़ावा दिया है।
  • वित्तीय प्रोत्साहन (सुकन्या समृद्धि योजना): BBBP के तहत, सुकन्या समृद्धि योजना के माध्यम से माता-पिता को अपनी बेटी के लिए एक फंड बनाने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। यह फंड लड़की की शिक्षा और उसके हितकारी कार्यों के उपयोग करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)

  • सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015 को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत लॉन्च किया गया था। 
  • इस योजना का उद्देश्य लड़कियों को उनकी शिक्षा और विवाह के लिए भविष्य में बचत करने के लिए माता-पिता को प्रेरित करना है।

मुख्य विशेषताएँ:

  1. खाता खोलने की पात्रता: यह खाता एक लड़की के लिए खोला जा सकता है जो भारतीय नागरिक हो और खाता खोलते समय 10 वर्ष से कम आयु की हो।
  2. न्यूनतम और अधिकतम जमा: न्यूनतम जमा ₹250 प्रति वर्ष है, जबकि अधिकतम जमा ₹1.5 लाख प्रति वर्ष तक किया जा सकता है।
  3. खाता परिपक्वता: खाता 21 वर्षों में परिपक्व हो जाता है, लेकिन यदि लड़की 18 वर्ष की उम्र में विवाह करती है, तो खाता जल्दी बंद किया जा सकता है।
  4. खाता स्थानांतरण: यह खाता एक पोस्ट ऑफिस या बैंक से दूसरे पोस्ट ऑफिस या बैंक में स्थानांतरित किया जा सकता है, जिससे खाताधारकों को देशभर में सुविधा मिलती है।
  5. कर मुक्त ब्याज: जमा पर मिलने वाली ब्याज कर मुक्त होती है, जिससे यह योजना विशेष रूप से बचत के लिए लाभकारी बनती है।
  6. कर लाभ: खाते में किए गए जमा पर आयकर अधिनियम की धारा 80-C के तहत कर छूट प्राप्त होती है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP) की चुनौतियाँ

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना को कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जो इसके पूर्ण प्रभाव को रोकती हैं:

  • संसाधनों का अपर्याप्त उपयोग: सबसे बड़ी समस्या यह रही है कि योजना के लिए आवंटित धन का सही तरीके से उपयोग नहीं किया गया है। लेखा परीक्षण रिपोर्टों के अनुसार, राज्य सरकारों ने ₹848 करोड़ के बजट में से केवल 23.48% (₹155 करोड़) का ही प्रभावी उपयोग किया। यह धन का गलत उपयोग योजना की सफलता में बड़ी बाधा बना।
  • विपणन पर ज्यादा ध्यान: योजना को आलोचना का सामना करना पड़ा क्योंकि यह योजना अधिकतर विज्ञापन और प्रचार पर केंद्रित रही, जबकि योजना का मुख्य उद्देश्य लड़कियों के स्वास्थ्य और शिक्षा की समस्याओं को सीधे संबोधित करना था। महिला सशक्तिकरण समिति ने इस बात की चिंता जताई है कि उपयुक्त क्षेत्रों के लिए धन का सही आवंटन नहीं किया गया है।
  • शिक्षा में लैंगिक भेदभाव को संबोधित करने में चुनौतियाँ: हालांकि योजना का उद्देश्य लड़कियों की शिक्षा को सुधारना था, लेकिन स्कूलों में अनियमित उपस्थिति और उच्च ड्रॉपआउट दरें इस पहल में एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। यह शिक्षा क्षेत्र में योजना की प्रगति को प्रभावित कर रहा है।
  • स्कूलों में अव्यवस्थित बुनियादी ढांचा: स्कूलों में लड़कियों के लिए साफ, कार्यात्मक शौचालयों की कमी एक महत्वपूर्ण बाधा रही है, क्योंकि कई स्कूलों में लड़कियों के लिए पर्याप्त स्वच्छता सुविधाएँ नहीं हैं। यह उनकी भागीदारी और उपस्थिति में रुकावट डालता है।
  • समाज में व्याप्त लिंग भेदभाव: BBBP के क्रियान्वयन के बाद भी कई क्षेत्रों में लिंग भेदभाव, बेटे को प्राथमिकता और लिंग आधारित हिंसा जैसी समाजिक प्रथाओं का प्रभाव जारी है। यह योजना के लक्ष्यों को कमजोर करता है।

UPSC पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न (2016): भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए लिंग आधारित बजट की आवश्यकता है। भारतीय संदर्भ में लिंग आधारित बजट की आवश्यकताएँ और स्थिति क्या हैं?

प्रश्न (2017): निम्नलिखित में से कौन सा बयान सुकन्या समृद्धि योजना के बारे में सही नहीं है?

  1. केवल 10 वर्ष तक की लड़कियों के माता-पिता अपनी बेटी के नाम पर ऐसे खाते खोल सकते हैं।
  2. योगदानों पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कर लाभ प्राप्त होते हैं।
  3. इस पर मिलने वाली ब्याज राशि पर प्रति वर्ष ₹1500 तक कर से छूट मिलती है।
  4. इस खाते में प्रति वर्ष अधिकतम ₹1.50 लाख तक निवेश किया जा सकता है।

उत्तर: विकल्प 3

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