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वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट 2025: भारत की रैंकिंग में सुधार, लेकिन नेपाल और पाकिस्तान से पीछे

सामान्य अध्ययन पेपर II: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान

चर्चा में क्यों? 

वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट 2025: हाल ही में, वेलबीइंग रिसर्च सेंटर द्वारा वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 (World Happiness Report 2025) प्रकाशित की गई। यह रिपोर्ट वैश्विक खुशहाली का आकलन करती है, जिसमें आर्थिक स्थिरता, सामाजिक समर्थन और जीवन संतुष्टि जैसे कारक शामिल हैं। 

वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट क्या हैं?

वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट (World Happiness Report) एक वार्षिक वैश्विक प्रकाशन है, जो यह मापता है कि विभिन्न देशों के नागरिक अपने जीवन से कितने संतुष्ट हैं। यह रिपोर्ट सामाजिक और आर्थिक संकेतकों के आधार पर यह आकलन करती है कि कौन-से देश अपने नागरिकों को अधिक संतोषजनक जीवन प्रदान कर रहे हैं। यह रिपोर्ट पहली बार संयुक्त राष्ट्र (UN) के एक उच्च-स्तरीय सम्मेलन के लिए 1 अप्रैल 2012 को जारी की गई थी। 

  • प्रकाशक: इस रिपोर्ट को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वेलबीइंग रिसर्च सेंटर (Wellbeing Research Centre, University of Oxford) द्वारा प्रकाशित किया जाता है। इसे तैयार करने में कई प्रतिष्ठित संगठनों और संस्थानों का सहयोग रहता है, जैसे—
  • गैलप वर्ल्ड पोल (Gallup World Poll): यह संस्था दुनियाभर में लोगों से सर्वेक्षण कर आंकड़े इकट्ठा करती है।
  • संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क (UN Sustainable Development Solutions Network – SDSN): यह संगठन सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर केंद्रित है और नीति-निर्माताओं को सामाजिक भलाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है।
  • स्वतंत्र संपादकीय बोर्ड: इस बोर्ड में प्रमुख विशेषज्ञ शामिल हैं। संपादकीय बोर्ड में अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान और सामाजिक विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ शामिल होते हैं।
  • मूल्यांकन का तरीका: वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट का आधार गैलप वर्ल्ड पोल द्वारा एकत्रित आंकड़ों पर आधारित होता है। इसमें प्रतिभागियों से उनकी जीवन की गुणवत्ता के बारे में सवाल पूछे जाते हैं।
  • कैट्रिल लैडर (Cantril Ladder) विधि: इस विधि में प्रतिभागियों को एक 0 से 10 तक की सीढ़ी (Ladder) की कल्पना करने को कहा जाता है। जहां 0 का मतलब “सबसे खराब जीवन”, और 10 का मतलब “सबसे अच्छा जीवन” होता है। इसके बाद प्रतिभागी इस पैमाने पर अपने जीवन को स्वयं रेट करते हैं। यह डेटा तीन वर्षों के औसत (2025 की रिपोर्ट में 2022-2024 के डेटा) के आधार पर संकलित किया जाता है।
  • रैंकिंग के लिए प्रमुख कारक: वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में देशों की रैंकिंग छह प्रमुख कारकों पर आधारित होती है:
    • GDP प्रति व्यक्ति (Economic Strength): किसी देश की आर्थिक समृद्धि और नागरिकों की क्रय शक्ति।
    • स्वस्थ जीवन प्रत्याशा (Healthy Life Expectancy): नागरिकों की औसत आयु और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता। 
    • सामाजिक सहयोग (Social Support): कठिन समय में परिवार, दोस्तों और सरकार से मिलने वाली सहायता। 
    • निर्णय लेने की स्वतंत्रता (Freedom to Make Life Choices): नागरिकों को अपने जीवन से जुड़े निर्णय लेने की कितनी स्वतंत्रता है। 
    • उदारता (Generosity): समाज में लोगों की परोपकारिता, दान देने की प्रवृत्ति और दूसरों की मदद करने की भावना।
    • भ्रष्टाचार की धारणा (Perception of Corruption): सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक सेवाओं में पारदर्शिता और ईमानदारी की स्थिति।
  • रिपोर्ट का उद्देश्य
    • सरकारों को जागरूक करना: नीति-निर्माताओं को यह दिखाना कि आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक और मानसिक कल्याण भी जरूरी है।
    • सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को बढ़ावा देना: संयुक्त राष्ट्र के 2030 तक के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना।
    • देशों के बीच तुलना करना: विभिन्न देशों की नीतियों और उनकी सफलता का विश्लेषण करके सर्वोत्तम नीतियों को अपनाने की प्रेरणा देना।
    • मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना: रिपोर्ट मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के महत्व को उजागर करती है।

वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट 2025 (World Happiness Report 2025) के मुख्य बिंदु 

  • शीर्ष प्रदर्शन
    • इस वर्ष फिनलैंड (1st), डेनमार्क (2nd) और आइसलैंड (3rd) ने शीर्ष तीन स्थान प्राप्त किए है। ये देश लगातार अपनी उन्नत सामाजिक संरचना, मजबूत सामाजिक समर्थन प्रणाली, उच्च जीवन प्रत्याशा और पारदर्शी शासन के कारण शीर्ष स्थानों पर बने हुए हैं।
    • स्वीडन (4th) ने शीर्ष से चौथा स्थान प्राप्त किया है।
    • कोस्टा रिका (6th) और मेक्सिको (10th) पहली बार दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की शीर्ष सूची में शामिल हुए हैं।
    • इज़राइल (8th) ने इस वर्ष भी उच्च स्थान प्राप्त किया, हालांकि देश अभी भी हमास के साथ युद्ध जैसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर रहा है।
  • खराब प्रदर्शन:
    • इस वर्ष की रिपोर्ट में पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका (24th) और ब्रिटेन (23rd) की खुशहाली में गिरावट देखी गई। 
    • अफगानिस्तान (147th) दुनिया का सबसे कम खुशहाल देश बना हुआ है। यहां विशेष रूप से महिलाओं को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    • सिएरा लियोन (146th) और लेबनान (145th) भी सबसे निचले पायदान पर बने हुए हैं।
  • दुनिया भर में 19% युवा वयस्कों ने यह स्वीकार किया कि उनके पास कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिस पर वे भरोसा कर सकें।

वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट 2025 में भारत की स्थिति

  • रिपोर्ट में भारत ने 118वां स्थान प्राप्त किया है। 
  • यह पिछले वर्ष की तुलना में सुधार दर्शाता है, जब भारत 143 देशों में 126वें स्थान पर था। 
  • भारत का खुशहाली स्कोर 4.054 (2021-23) से बढ़कर 4.389 (2022-24) हो गया है, जो सकारात्मक प्रगति को दर्शाता है।
  • भारत अपने पड़ोसी देशों से पीछे है: नेपाल (92वां स्थान), बांग्लादेश (133वां) और पाकिस्तान (109वां स्थान)।
  • भारत दुनिया के 10 सबसे अधिक स्वयंसेवा (Volunteering) करने वाले देशों में शामिल है, जो सामाजिक सहयोग की संस्कृति को दर्शाता है।
  • भारत दान देने (Donations) में 57वें स्थान पर है और अजनबियों की मदद करने में 74वें स्थान पर है, जो समाज में परोपकारिता को दर्शाता है।

भारत की खुशहाली रैंकिंग में पीछे रहने के प्रमुख कारण 

  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता में सीमितता: भारत में व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Perceived Freedom) का स्कोर सबसे कम दर्ज किया गया है, जो नागरिकों की अपनी जीवनशैली, करियर और सामाजिक निर्णयों को स्वतंत्र रूप से तय करने की क्षमता को प्रभावित करता है। कई लोग परिवार, समाज और सरकारी नीतियों की बंदिशों के कारण अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों में स्वतंत्र महसूस नहीं करते, जिससे संतुष्टि का स्तर कम होता है।
  • सामाजिक दबाव: भारतीय समाज में पारिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों की गहरी जड़ें हैं, जो कई बार व्यक्तिगत पसंद को सीमित कर देती हैं। विवाह, शिक्षा, करियर और जीवनशैली से जुड़े निर्णयों पर परिवार और समाज का प्रभाव अत्यधिक रहता है, जिससे कई लोगों को अपनी इच्छाओं के अनुसार जीवन जीने की स्वतंत्रता नहीं मिल पाती। यह सामाजिक दबाव मानसिक तनाव और असंतोष को बढ़ा सकता है।
  • व्यक्तिगत अधिकारों की उपेक्षा: भारत में कई कानूनी ढाँचे अभी भी नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को पूरी तरह बढ़ावा नहीं देते। सख्त नियम-कानून, सेंसरशिप, नौकरशाही की जटिलता और असमान अवसरों के कारण लोगों को अपने जीवन के फैसले लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। रोजगार, व्यवसाय, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लैंगिक समानता से जुड़े मुद्दे अब भी पूरी तरह संतोषजनक नहीं हैं, जिससे नागरिकों की जीवन संतुष्टि प्रभावित होती है।

UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs) 

प्रश्न (2016): निम्नलिखित में से कौन-सा/से वह/वे सूचक है/हैं, जिसका/जिनका IFPRI द्वारा वैश्विक भुखमरी सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) रिपोर्ट बनाने में उपयोग किया गया है? 

  1. अल्प-पोषण    
  2. शिशु वृद्धिरोधन   
  3. शिशु मृत्युदर   

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a)  केवल 1   

(b) केवल 2 और 3   

(c) 1, 2 और 3 

(d) केवल 1 और 3  

उत्तर (c) 

प्रश्न (2017): निम्नलिखित में से कौन, विश्व के देशों के लिये ‘सार्वभौम लैंगिक अंतराल सूचकांक (ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स)’ का श्रेणीकरण प्रदान करता है?

(a) विश्व आर्थिक मंच

(b) UN मानव अधिकार परिषद 

(c) UN वूमन

(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन

उत्तर: (a) 

प्रश्न (2016): वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Global Financial Stability Report)’ किसके द्वारा तैयार की जाती है? 

(a) यूरोपीय केंद्रीय बैंक

(b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

(c) अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक

(d) आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन

उत्तर: (b) 

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