बांग्लादेश में पावर प्रोडक्शन एग्रीमेंट की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, 2009 से 2024 तक के सभी समझौतों की जांच हेतु एक विशेष एजेंसी गठित करने की सिफारिश की गई है, जिसमें शेख हसीना सरकार और अडाणी ग्रुप के बीच हुए पावर एग्रीमेंट के तहत समझौतों की जांच शामिल हैं।
मुख्य बिंदु
- विशेष एजेंसी की सिफारिश:
- 2009 से 2024 तक हुए सभी पावर प्रोडक्शन एग्रीमेंट की जांच के लिए विशेष एजेंसी गठित करने की सिफारिश।
- शेख हसीना सरकार और अडाणी ग्रुप के बीच हुए पावर एग्रीमेंट की भी जांच प्रस्तावित।
- समझौतों पर पुनर्विचार/रद्द की मांग:
- समीक्षा समिति ने सुझाव दिया कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत कुछ समझौतों को रद्द या पुनर्विचार किया जाए।
- जांच के लिए अतिरिक्त समय की भी मांग।
- समीक्षा में शामिल प्रोजेक्ट्स:
- सात प्रमुख एनर्जी और पावर प्रोजेक्ट्स की समीक्षा जारी।
- इसमें अडाणी गोड्डा BIFPCL 1234.4 मेगावाट कोल फायर्ड प्लांट और चीनी कंपनी के 1320 मेगावाट कोल फायर्ड इलेक्ट्रिसिटी प्लांट शामिल।
- सबूतों के आधार पर कार्रवाई:
- समिति ने कई सबूत जुटाए, जिनके आधार पर समझौतों की पारदर्शिता पर सवाल उठाया गया है।
भारत–बांग्लादेश व्यापार संबंध:
- दक्षिण एशिया में प्रमुख व्यापार साझेदार:
- बांग्लादेश, भारत का दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है।
- भारत, बांग्लादेश का एशिया में दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है।
- द्विपक्षीय व्यापार का स्तर:
- 2023-24 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 01 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
- परिवहन और संपर्क समझौते:
- आंतरिक जलमार्ग व्यापार और पारगमन प्रोटोकॉल (PIWTT) से व्यापार को बढ़ावा।
- चिटगांव और मोंगला बंदरगाहों के उपयोग के लिए समझौते को लागू किया गया।
- सीमा प्रबंधन और सुरक्षा सहयोग:
- 4,096 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर शांति और सहयोग सुनिश्चित किया गया।
- सीमा पर बाड़ लगाने, सीमा स्तंभों के संयुक्त निरीक्षण और सुरक्षा पर दोनों देशों का सहयोग।
- संस्कृति और जनसंपर्क:
- इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र और भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, ढाका, दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में मदद करते हैं।
6 क्षेत्रीय जुड़ाव और सहयोग:
- SAARC, BIMSTEC, BBIN (बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल) जैसे मंचों पर साझेदारी।
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और सागर अर्थव्यवस्था के विकास में साझा दृष्टिकोण।
भारत–बांग्लादेश संबंधों में चुनौतियाँ
- भौगोलिक चुनौतियाँ:
- सीमा विवाद: असम और त्रिपुरा क्षेत्रों में सीमा रेखा निर्धारण को लेकर विवाद।
- अवैध प्रवासन: बांग्लादेश से बड़ी संख्या में प्रवासियों का भारत आना, जिससे सीमावर्ती राज्यों में सामाजिक-आर्थिक समस्याएँ बढ़ी हैं।
- आर्थिक चुनौतियाँ:
- गैर–शुल्क बाधाएँ: लंबी कस्टम प्रक्रियाएँ और प्रशासनिक अड़चनें व्यापार में रुकावट पैदा करती हैं।
- नदी जल बंटवारा: 54 साझा नदियों के जल बंटवारे पर असहमति, खासकर तीस्ता नदी विवाद।
- संरचना और संपर्क चुनौतियाँ:
- अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: कमजोर कनेक्टिविटी से आर्थिक संबंधों का विकास बाधित।
- सीमा विवाद:5 किमी का कोमिला-त्रिपुरा क्षेत्र अब भी अनिर्धारित।
- सुरक्षा चुनौतियाँ:
- आतंकवाद और उग्रवाद: भारत में आतंकवादी हमलों के लिए बांग्लादेश आधारित समूहों पर आरोप।
- चीन का प्रभाव: बांग्लादेश में चीन का बढ़ता निवेश, खासकर इंफ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा क्षेत्रों में।
- ऊर्जा और जल विवाद:
- तीस्ता नदी विवाद: 2011 के जल समझौते का अब तक लागू न होना।
- फरक्का बैराज विवाद: गंगा नदी के पानी के बंटवारे को लेकर चिंता।