चर्चा में क्यों ?
- भारत ने शुक्रवार को Agni-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
- मध्य दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल Agni-4 का परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया।
- इस परीक्षण ने सभी परिचालन और तकनीकी मापदंडों को सफलतापूर्वक सत्यापित किया। यह परीक्षण भारत के न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी (NCA) के अंतर्गत आने वाले स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड की देखरेख में किया गया।
- स्वदेशी रूप से विकसित Agni-4 मिसाइल को पहले अग्नि-2 प्राइम के नाम से जाना जाता था। इस साल अप्रैल में भारत ने ओडिशा के तट पर अब्दुल कलाम द्वीप से 1,000 से 2,000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली नई पीढ़ी की परमाणु-सक्षम अग्नि-प्राइम बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
- Agni-4 का पहला परीक्षण 2012 में किया गया था 2012 में अपने परीक्षण प्रक्षेपण के दौरान Agni-4 ने 20 मिनट में 3,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की थी।
- इस मिसाइल को डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने मिलकर तैयार किया है.
Agni-4 के बारे मे (About Agni-4):
- अग्नि-IV अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों में से चौथी मिसाइल है जिसे पहले अग्नि II प्राइम ( Agni II Prime) के नाम से जाना जाता था। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह अपने रेंज की दुनिया की अन्य मिसाइलों की तुलना में काफी हल्की है. इसकी कुछ विशेषता है जैसे-
- इस रेंज की अन्य मिसाइलों की तुलना में यह काफी हल्की है.
- यह वजन 17000 किलोग्राम के आसपास है.
- इसकी लंबाई करीब 66 फीट है.
- Agni-4 मिसाइल की रेंज 4000 KM से ज्यादा है
- यह 900 किमी की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है
- यह मध्यम दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है.
- एक टन वजनी परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है
- यह पारंपरिक हथियार के साथ-साथ अन्य हथियारों को भी अपने साथ ले जा सकती है.
- इस मिसाइल में कई आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं
- इसमें रिंग लेजर गाइरो इनर्शियल नेवीगेशन सिस्टम भी लगा है
अग्नि मिसाइल का विकास (Development of Agni missile):
- अग्नि मिसाइल का विकास 1983 में भारत के इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) के तहत किया गया था, जिसमें पृथ्वी, नाग, आकाश और त्रिशूल मिसाइलें भी शामिल थीं।
- DRDO ने इसे पुनः प्रवेश वाहन प्रौद्योगिकी को सत्यापित करने के लिए दो चरणों वाले रॉकेट के रूप में परिकल्पित किया।
- अग्नि मिसाइल के विकास में SLV-3 स्पेस लॉन्च व्हीकल के ठोस ईंधन वाले पहले चरण और पृथ्वी-I के ऊपरी चरण का उपयोग किया गया।
- अग्नि-1 मिसाइल का पहला परीक्षण 22 मई, 1989 को चांदीपुर के अंतरिम परीक्षण रेंज में किया गया था. लेकिन इसका पहला सफल परीक्षण 2003 में हुआ। इस मिसाइल के विकास की शुरुआत 1999 में हुई थी
- 1992 में एक उन्नत अग्नि प्रदर्शनकर्ता का परीक्षण हुआ, जिसमें गतिशील पुनः प्रवेश वाहन और खुले इंटरस्टेज को शामिल किया गया।
- 1994 में उन्नत कॉन्फ़िगरेशन के साथ तीसरी मिसाइल का परीक्षण हुआ।
- DRDO ने बाद में अग्नि प्रदर्शनकर्ता को एकल चरण वाली बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि-I के रूप में रूपांतरित किया।
अग्नि मिसाइलों के प्रकार (Types of Agni missiles):
अग्नि मिसाइल श्रृंखला भारत की परमाणु हथियार (nuclear weapons) डिलीवरी प्रणाली की मुख्य ताकत है। इस श्रृंखला में अग्नि-I से लेकर अग्नि-V तक की मिसाइलें आती हैं, जिनमें सबसे उन्नत (advanced) मिसाइल अग्नि-V है। इसके अलावा, भारत के पास अभी अग्नि-I, अग्नि-II, अग्नि-III, अग्नि-IV जैसी मिसाइलें भी मौजूद हैं।
अग्नि-I मिसाइल (Agni-I Missile):
- अग्नि-I का विकास 1999 में शुरू हुआ, और इसका पहला सफल परीक्षण 2003 में हुआ। इसे 2007 में भारतीय सेना के स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड द्वारा तैनात किया गया था। यह एकल-चरण, ठोस-ईंधन वाली मिसाइल है। इसका रेंज 700 किमी से 1200 किमी तक है, और यह सड़क-मोबाइल लॉन्चर से दागी जा सकती है।
अग्नि-II मिसाइल (Agni-II Missile):
- अग्नि-II का पहला परीक्षण 1999 में हुआ। 2010 में इसे भारतीय सेना द्वारा एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से परीक्षण किया गया। यह एक मध्यम-रेंज की, दो-चरण वाली, ठोस-ईंधन वाली मिसाइल है। इसका रेंज 2000 किमी है, जिसे payload घटाकर 3000 किमी तक बढ़ाया जा सकता है।
अग्नि-III मिसाइल (Agni-III Missile):
- अग्नि-III का सफल उड़ान परीक्षण 2007 में हुआ। यह एक दो-चरण वाली, ठोस-ईंधन वाली इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है। इसका रेंज 3500 किमी है और payload 1500 किग्रा है।
अग्नि-IV मिसाइल (Agni-IV Missile):
- अग्नि-IV, DRDO द्वारा विकसित अग्नि श्रृंखला की चौथी मिसाइल है। इसका पहला परीक्षण 2012 में हुआ। यह एक मध्य-रेंज की, दो-चरण वाली, ठोस-ईंधन वाली मिसाइल है। इसका रेंज 4000 किमी तक है और payload 1000 किग्रा है। इसमें उन्नत एवियोनिक्स और इनर्टियल नेविगेशन सिस्टम (RINS) शामिल हैं।
- 2012 में अपने परीक्षण प्रक्षेपण के दौरान Agni-4 ने 20 मिनट में 3,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की थी। यह उस समय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा उड़ाया गया सबसे लंबी दूरी का मिशन था।
अग्नि-V मिसाइल (Agni-V Missile):
- अग्नि-V का पहला परीक्षण अप्रैल 2012 में हुआ। यह एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जो ठोस ईंधन द्वारा संचालित होती है। इसका रेंज 5000 से 5500 किमी है और यह 5 टन का परमाणु युद्धक्षेपक ले जा सकती है।
अग्नि मिसाइलों का महत्व (Importance of Agni Missiles):
अग्नि मिसाइल श्रृंखला ने भारत की तकनीकी, वैज्ञानिक, सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण जगह बनाई है।
- परमाणु प्रतिकार में वृद्धि (Enhancing nuclear deterrence): अग्नि श्रेणी की मिसाइलें भारत की भूमि आधारित परमाणु प्रतिकार की रीढ़ हैं और चीन-भारत शक्ति संतुलन के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं। अग्नि-V परियोजना चीन के खिलाफ भारत के परमाणु प्रतिकार को मजबूत करने के लिए है, जिसे Dongfeng-41 जैसी मिसाइलें हैं जिनकी रेंज 12,000-15,000 किमी तक होती है।
- रक्षा शस्त्रागार में वृद्धि (Enhancing Defence Arsenal): अग्नि-V के साथ भारत के रक्षा शस्त्रागार को एक महत्वपूर्ण वृद्धि मिली है, इसे भारत की पहली सच्ची अंतरमहाद्वीपीय रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) माना जाता है।
- ICBM क्लब में शामिल (Joining the ICBM club): अग्नि-V को शामिल करने के साथ, भारत अब विश्व के पांच अन्य देशों के साथ ICBM क्लब में शामिल हो गया है: अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन, और ब्रिटेन।
- पहले हमले के जवाब में परमाणु प्रतिकार (Nuclear retaliation in response to a first strike): भारत की परमाणु नीति “कोई पहला उपयोग नहीं” के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें परमाणु हमले के जवाब में ही हथियारों का उपयोग किया जाएगा। नीति के अनुसार, पहले हमले के जवाब में परमाणु प्रतिकार विशाल होगा और अस्वीकार्य क्षति पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया जाएगा।
भारत में मिसाइल प्रौद्योगिकी का इतिहास (History of Missile Technology in India):
- स्वतंत्रता के समय: भारत के पास स्वदेशी मिसाइल ( indigenous missile) क्षमताएँ नहीं थीं।
- 1958: सरकार ने विशेष हथियार विकास टीम (Special Weapon Development Team) बनाई।
- 1962: यह टीम विकसित होकर रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (DRDL) बनी। इसे दिल्ली से हैदराबाद स्थानांतरित किया गया।
- 1972: परियोजना डेविल (Project Devil) शुरू की गई, जो एक मध्यम-रेंज की सतह से सतह तक की मिसाइल के विकास के लिए थी। इस दौरान कई इंफ्रास्ट्रक्चर और परीक्षण सुविधाओं की स्थापना की गई।
- 1982: DRDL ने एकीकृत मार्गदर्शित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के तहत कई मिसाइल प्रौद्योगिकियों पर काम करना शुरू किया।
भारत की मिसाइल प्रणालियाँ (Missile Systems of India)
भारत की दो महत्वपूर्ण मिसाइल प्रणालियाँ हैं: अग्नि और पृथ्वी, जिन्हें स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड द्वारा उपयोग में लाया जाता है।
- अग्नि (रेंज लगभग 5000 किमी): यह भारत की एकमात्र अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जो केवल कुछ देशों के पास उपलब्ध है।
- पृथ्वी: यह एक छोटी रेंज की सतह से सतह तक की मिसाइल है, जिसकी रेंज 350 किमी है। हालांकि इसकी रेंज छोटी है, लेकिन इसके रणनीतिक उपयोग हैं।
भारत ने अप्रैल 2019 में एक एंटी-सैटेलाइट सिस्टम का परीक्षण भी किया। एक संशोधित एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल, पृथ्वी डिफेंस व्हीकल Mk 2, का उपयोग एक लो-ऑर्बिट सैटेलाइट को मार गिराने के लिए किया गया। इस परीक्षण के बाद, भारत केवल अमेरिका, रूस और चीन के पीछे इस क्षमता में है।
अग्नि-5 मिसाइल का पहला परीक्षण (Agni-5 missile first test):
मार्च में, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने MIRV-सुसज्जित अग्नि-5 मिसाइल का पहला परीक्षण किया। अग्नि-5 की रेंज 5,000 किलोमीटर है, और इसे भारत की दीर्घकालिक सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मिसाइल पूरे एशियाई महाद्वीप, चीन के उत्तरी हिस्सों और कई यूरोपीय क्षेत्रों को कवर कर सकती है, जिससे यह भारत के शस्त्रागार में एक शक्तिशाली जोड़ है। अग्नि-5 की विशेषता इसका MIRV (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle) तकनीक है।
बैलिस्टिक मिसाइल बनाम क्रूज़ मिसाइल (Ballistic Missile vs Cruise Missile):
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बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile):
- इसमें प्रक्षेप्य गति और प्रक्षेपवक्र गुरुत्वाकर्षण (gravity), वायु प्रतिरोध (air resistance) और कोरिओलिस बल (Coriolis force) पर निर्भर करती है।
- यह पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर जाती है और पुनः उसमें प्रवेश करती है।
- लंबी दूरी की मिसाइलें (300 किमी से 12,000 किमी तक)।
- उदाहरण: पृथ्वी-I, पृथ्वी-II, अग्नि-I, अग्नि-II और धनुष मिसाइलें।
क्रूज़ मिसाइल (Cruise Missile):
- यह तुलनात्मक रूप से गति के लिए सीधे प्रक्षेपवक्र ( relatively straight trajectory) का अनुसरण करती है।
- इसका उड़ान पथ पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर ही होता है।
- कम दूरी की मिसाइलें (1000 किमी तक की रेंज)।
- उदाहरण: ब्रह्मोस मिसाइल।
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