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बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी 2024

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हाल ही में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी 2024 (BAHS) जारी की। इसे राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (26 नवंबर) के अवसर पर जारी किया गया। यह दिन डॉ. वर्गीज कुरियन (भारत में श्वेत क्रांति के जनक) की जयंती मनाने के लिए समर्पित है।

बेसिक एनिमल हसबैंड्री स्टैटिस्टिक्स 2024: मुख्य बिंदु

  1. दूध उत्पादन:
    • 2023-24 में कुल उत्पादन: 239.30 मिलियन टन, जो 2022-23 की तुलना में 78% अधिक है।
    • भारत का स्थान: दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश।
    • शीर्ष राज्य: उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश।
    • प्रति व्यक्ति उपलब्धता: 2022-23 में 459 ग्राम प्रतिदिन से बढ़कर 2023-24 में 471 ग्राम प्रतिदिन।
  2. अंडा उत्पादन:
    • 2023-24 में कुल उत्पादन: 142.77 अरब अंडे, 2022-23 की तुलना में 18% अधिक।
    • भारत का स्थान: वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा अंडा उत्पादक।
    • शीर्ष राज्य: आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना।
  3. मांस उत्पादन:
    • 2023-24 में कुल उत्पादन: 10.25 मिलियन टन, जो 2022-23 की तुलना में 95% अधिक है।
    • शीर्ष राज्य: पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र।
  4. ऊन उत्पादन:
    • 2023-24 में कुल उत्पादन: 33.69 मिलियन किलोग्राम, पिछले वर्ष की तुलना में 22% वृद्धि।
    • शीर्ष राज्य: राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और गुजरात।
  5. पशुधन क्षेत्र की प्रगति:
    • वृद्धि दर (2014-15 से 2022-23): 7.38% (वार्षिक चक्रवृद्धि दर)।
    • कृषि सकल मूल्य वर्धित (GVA) में हिस्सेदारी: 2014-15 में 32% से बढ़कर 2022-23 में 30.38%।
    • 21वां पशुधन गणना अभियान: वर्तमान में चल रहा है, जो पशुधन से जुड़े नए आंकड़े उपलब्ध कराएगा।

पशुपालन: एक परिचय

पशुपालन का मतलब पशुओं को पालना और उनकी नस्ल सुधार करना है, जिससे उनकी गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाया जा सके।

पशुपालन का महत्व:

  1. आर्थिक योगदान: 2021-22 में कृषि और संबंधित क्षेत्रों के सकल मूल्य वर्धित (GVA) में पशुपालन का योगदान 19% रहा।
  2. जीविका का साधन: लगभग 8 करोड़ किसान और भूमिहीन मजदूर इससे अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं।
  3. खाद्य सुरक्षा: दूध, मांस, अंडे आदि का उत्पादन कर खाद्य सुरक्षा में मदद करता है।

पशुपालन से जुड़े प्रमुख चुनौतियां:

  1. बढ़ती बीमारियां: लंपी स्किन डिजीज और फुट एंड माउथ डिजीज जैसी बीमारियां पशुओं को प्रभावित कर रही हैं।
  2. कम उत्पादकता: देशी नस्लों की उत्पादकता कम है, जिससे पशुपालन की आय सीमित हो जाती है।
  3. टीकाकरण की कमी: पशुओं में पर्याप्त टीकाकरण नहीं होने से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

पशुपालन में सुधार के लिए सरकारी कदम:

  1. राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM): देशी गायों की उत्पादकता और नस्ल सुधार के लिए शुरू किया गया।
  2. राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM): पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने, उनके स्वास्थ्य में सुधार, और चारे की व्यवस्था पर ध्यान।
  3. डेयरी प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचा विकास कोष (DIDF): दूध प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन के लिए आधारभूत संरचना को समर्थन।
  4. पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (AHIDF): डेयरी और मांस प्रसंस्करण में निजी निवेश के लिए वित्तीय सहायता।
  5. पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण (LHDC): बीमारियों की निगरानी, निदान, और इलाज के लिए कार्यक्रम।
  6. पशु आधार: पशुओं की बेहतर प्रबंधन और ट्रैकिंग के लिए एक अनोखी पहचान प्रणाली।

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