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संदर्भ:
एंटीवेनम: भारत में हर साल 58,000 से अधिक सर्पदंश (Snakebite) से संबंधित मौतों के साथ, भारत को दुनिया का ‘स्नेकबाइट कैपिटल’ माना जाता है। इन चिंताजनक आंकड़ों के बीच, सर्पदंश (Snakebite) से बचाव और उपचार के लिए एंटीवेनम की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है।
सांप के काटने से विषाक्तता (Snakebite Envenoming):
सांप के काटने से विषाक्तता एक गंभीर और संभावित रूप से जानलेवा समस्या है, जिसमें विषैले सांप के काटने से होने वाली जटिल चिकित्सीय समस्याएँ समय पर उचित उपचार न मिलने पर मृत्यु या स्थायी अपंगता का कारण बन सकती हैं।
एंटीवेनम क्या है?
- एंटीवेनम (Antivenom) या एंटीवेनिन (Antivenin) सांप के काटने के उपचार के लिए जीवन रक्षक दवाएँ हैं।
- यह विष के विशिष्ट टॉक्सिन्स को बांधकर उन्हें निष्क्रिय करता है, जिससे शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें सुरक्षित रूप से समाप्त कर सके।
सांप का विष कितना घातक होता है?
सांप का विष अत्यधिक घातक होता है और इसमें कई प्रकार के विषैले प्रोटीन होते हैं:
- हीमोटॉक्सिन्स (Haemotoxins): रक्त कोशिकाओं को नष्ट करता है और थक्का जमने की प्रक्रिया को बाधित करता है।
- न्यूरोटॉक्सिन्स (Neurotoxins): तंत्रिका संकेतों को अवरुद्ध करके लकवा उत्पन्न करता है।
- साइटोटॉक्सिन्स (Cytotoxins): काटे गए स्थान के ऊतकों को घोलता है।
एंटीवेनम का उत्पादन:
- अल्बर्ट कैलमेटे ने 1890 के दशक में पहली बार घोड़ों का उपयोग करके एंटीवेनम विकसित किया था।
- उत्पादन प्रक्रिया:
- विषैले सांपों से विशेषज्ञों द्वारा विष निकाला जाता है।
- विष को नियंत्रित मात्रा में घोड़ों को इंजेक्ट किया जाता है, जिससे उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी विकसित करती है।
- घोड़ों के रक्त से एंटीबॉडी निकालकर इसे शुद्ध किया जाता है।
- पॉलीवैलेंट एंटीवेनम (PVA): भारत में उपयोग किए जाने वाले PVA कई सांप प्रजातियों के खिलाफ प्रभावी होते हैं, लेकिन कुछ दुर्लभ प्रजातियों के लिए इनकी प्रभावशीलता सीमित होती है।
भारत में एंटीवेनम से संबंधित चुनौतियाँ:
- स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच: समय पर उपचार प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
- प्रशासनिक समस्याएँ: दवा के अनुचित उपयोग, अपर्याप्त सुविधाएँ और सांस्कृतिक मान्यताओं के कारण उपचार में देरी होती है।
- संरचनात्मक कमी: एंटीवेनम को ठंडे तापमान में रखने की आवश्यकता होती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक बुनियादी ढाँचे और बिजली की आपूर्ति की कमी है।
- उच्च लागत: उत्पादन की उच्च लागत के कारण आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए यह दवा कम सुलभ होती है।
भारत में एंटीवेनम उत्पादन और इरुला जनजाति की भूमिका:
- इरुला जनजाति की विशेषज्ञता:
- तमिलनाडु की इरुला जनजाति सांपों का विष निकालने में विशेषज्ञ मानी जाती है।
- ये पारंपरिक तरीकों से सांप पकड़कर सुरक्षित रूप से उनका विष निकालते हैं।
- एकत्रित विष को फार्मा कंपनियों को बेचा जाता है, जिससे एंटीवेनम तैयार किया जाता है।
- भारत में प्रमुख एंटीवेनम निर्माता:
- भारत में कई कंपनियां एंटीवेनम उत्पादन में शामिल हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- भारत सीरम्स एंड वैक्सीन
- हाफकिन बायोफार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन
- ViNS बायोप्रोडक्ट्स
- ये कंपनियां विष को शुद्ध कर, उसे एंटीवेनम दवाओं में परिवर्तित करती हैं।
- भारत में कई कंपनियां एंटीवेनम उत्पादन में शामिल हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
भारत के ‘बिग फोर’ विषैले सांप:
- भारतीय कोबरा (Naja naja)
- कॉमन क्रेट (Bungarus caeruleus)
- रसेल वाइपर (Daboia russelii)
- सॉ-स्केल्ड वाइपर (Echis spp.)