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जलवायु परिवर्तन और वायुमंडलीय नदियों का स्थानांतरण

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हाल ही में साइंस एडवांसेज में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा के जलवायु वैज्ञानिक क़िंगुआ डिंग और उनके सहकर्मियों ने पाया है कि पिछले चार दशकों में वायुमंडलीय नदियाँ ध्रुवों की ओर लगभग 6 से 10 डिग्री स्थानांतरित हो गई हैं।

वायुमंडलीय नदियाँ:

वायुमंडलीय नदियाँ आकाश में जल वाष्प की लंबी, संकरी पट्टियाँ होती हैं जो भारी बारिश और तूफान लाने के लिए जानी जाती हैं। ये नदियाँ अमेरिका के पश्चिमी तट और अन्य क्षेत्रों में उच्च अक्षांशों की ओर स्थानांतरित हो रही हैं, जिससे वैश्विक मौसम पैटर्न में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो रहे हैं।

वायुमंडलीय नदियों की विशेषताएँ:

वायुमंडलीय नदियाँ केवल अमेरिका के पश्चिमी तट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये दुनिया के कई हिस्सों में बनती हैं।

  • ये औसत वार्षिक अपवाह का 50 प्रतिशत तक प्रदान करती हैं, विशेषकर दक्षिण-पूर्व एशिया, न्यूज़ीलैंड, उत्तरी स्पेन, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम, और दक्षिण-मध्य चिली में।
  • कैलिफोर्निया जैसे क्षेत्रों में, वायुमंडलीय नदियाँ वार्षिक वर्षा का 50 प्रतिशत तक योगदान देती हैं।

2023 में, इन नदियों ने सूखा समाप्त करने के लिए इतनी बारिश और बर्फ लाई कि क्षेत्र के कुछ हिस्सों में स्थिति में सुधार हुआ।

वायुमंडलीय नदियों का परिवर्तनशील व्यवहार:

वायुमंडलीय नदियाँ आमतौर पर समुद्र तल से 1000 फीट की ऊँचाई पर होती हैं, और इनका उद्गम उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से नमी की आपूर्ति के साथ होता है।

  • जलवायु वैज्ञानिकों की विशेष रुचि वायुमंडलीय नदियों के सामूहिक व्यवहार में है।
  • इन नदियों की अस्थिरता जेट धारा के प्रभाव के कारण होती है, जो उन्हें विभिन्न दिशाओं में ध्रुव की ओर मोड़ने की अनुमति देती है।

अध्ययन के निष्कर्ष: यह अध्ययन दर्शाता है कि:

  • पिछले चार दशकों में, वायुमंडलीय नदियाँ ध्रुवों की ओर खिसक रही हैं।
  • 1979 के बाद से 50 डिग्री उत्तर और 50 डिग्री दक्षिण में गतिविधि बढ़ी है, जबकि 30 डिग्री उत्तर और 30 डिग्री दक्षिण में यह घटी है।
  • उत्तरी अमेरिका में, इसका अर्थ है कि ब्रिटिश कोलंबिया और अलास्का में अधिक वायुमंडलीय नदियाँ बह रही हैं।

वैश्विक श्रृंखला प्रतिक्रिया और वायुमंडलीय नदियों का बदलाव:

  • समुद्र की सतह का तापमान और इसकी भूमिका: समुद्र की सतह के तापमान में परिवर्तन एक महत्वपूर्ण कारक है, जो वैश्विक जलवायु प्रणाली को प्रभावित करता है। 2000 के बाद से, पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में ठंडा होने की प्रवृत्ति देखी गई है। यह शीतलन विश्वभर में वायुमंडलीय परिसंचरण पर असर डालता है। विशेष रूप से, यह परिवर्तन ला नीना की स्थितियों से संबंधित है, जो वायुमंडलीय नदियों को ध्रुवों की ओर धकेलने में सहायक होती हैं।
  • वायुमंडलीय नदियों की गतिशीलता: ला नीना स्थितियों में, जब पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र का तापमान ठंडा होता है, वाकर परिसंचरण मजबूत होता है। यह परिसंचरण वर्षा पैटर्न को प्रभावित करता है, जिससे उष्णकटिबंधीय वर्षा बेल्ट का विस्तार होता है। इस विस्तारित वर्षा के परिणामस्वरूप उच्च दबाव विसंगतियाँ और हवा का पैटर्न बनता है, जो वायुमंडलीय नदियों को ध्रुवों की ओर ले जाता है।
  • अल नीनो का प्रभाव : इसके विपरीत, अल नीनो स्थितियों के दौरान, समुद्र की सतह का तापमान बढ़ता है, जिससे वायुमंडलीय नदियों का प्रवाह भूमध्य रेखा के करीब बना रहता है। यह स्थिति सूखे और जलवायु परिवर्तन के जोखिम को बढ़ा सकती है।
  • जलवायु मॉडल और प्राकृतिक परिवर्तनशीलता: जलवायु मॉडल में वायुमंडलीय नदियों में भविष्य में होने वाले परिवर्तनों की भविष्यवाणी करने में कठिनाई होती है। वर्तमान में, प्राकृतिक परिवर्तनशीलता, जैसे उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में बदलाव, इन मॉडलों में कम आंकी जा रही है। इस संबंध को समझने से भविष्यवाणियों में सुधार किया जा सकता है, जो वर्षा के पैटर्न और पानी की उपलब्धता को प्रभावित करते हैं।
  • ध्रुवों की ओर वायुमंडलीय नदियों का परिवर्तन:
  • उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों: जहां वायुमंडलीय नदियाँ कम होती जा रही हैं, वहाँ लंबे समय तक सूखा और पानी की कमी हो सकती है, जैसे कैलिफोर्निया और दक्षिणी ब्राजील में।
  • उच्च अक्षांश: ध्रुवों की ओर बढ़ने वाली वायुमंडलीय नदियाँ अधिक तीव्र वर्षा, बाढ़, और भूस्खलन का कारण बन सकती हैं, विशेषकर अमेरिका के प्रशांत उत्तरपश्चिम और यूरोप में।
  • आर्कटिक का प्रभाव: आर्कटिक में, बढ़ती वायुमंडलीय नदियाँ समुद्री बर्फ के पिघलने की गति को तेज कर सकती हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देती हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि ग्रीष्म ऋतु में वायुमंडलीय नदी गतिविधि ने 1979 से सम्पूर्ण आर्कटिक क्षेत्र में नमी में 36 प्रतिशत की वृद्धि में योगदान दिया।
  • भविष्य की चुनौतियाँ: वर्तमान में देखे गए बदलाव मुख्य रूप से प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण हैं, लेकिन मानव-प्रेरित ग्लोबल वार्मिंग भी इसमें योगदान दे रही है। भविष्य में, वायुमंडलीय नदियों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि की उम्मीद है। यह बदलाव एल नीनो और ला नीना के बीच के प्राकृतिक उतार-चढ़ाव के कारण अनिश्चित हैं।

निष्कर्ष: जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ता है, वायुमंडलीय नदियों की दिशा और उनके द्वारा लाई जाने वाली वर्षा में बदलाव होता रहेगा। इन परिवर्तनों को समझना और उनके अनुसार अनुकूलित होना आवश्यक है, ताकि समुदाय बदलती जलवायु में भी सफलतापूर्वक विकसित हो सकें।

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