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हाल ही में, वक्फ बोर्ड ने कर्नाटक के ऐतिहासिक बीदर किले में स्थित 17 स्मारकों को अपनी संपत्ति के रूप में चिन्हित किया है, जिससे यह स्थल फिर से चर्चा में आया है।
बीदर किले के बारे में:
बीदर किला कर्नाटक के उत्तरी पठार में स्थित बीदर शहर में है। इस किले का इतिहास 500 वर्ष से भी अधिक पुराना है, जिसकी नींव पश्चिमी चालुक्य वंश के शासनकाल में पड़ी थी। बहमनी सुल्तान अहमद शाह वली ने 1430 में बीदर को अपनी राजधानी बनाकर इस किले का पुनर्निर्माण किया, जिससे यह एक प्रभावशाली किला बन गया।
वास्तुकला:
बीदर किला ट्रैप रॉक से बना है और किले की दीवारों के निर्माण में पत्थर और गारे का उपयोग किया गया है। इसके प्रवेश द्वार पर एक ऊंचा गुंबद है, जिसके भीतरी भाग को चमकीले रंगों से सजाया गया है। बीदर किला वास्तुकला में इस्लामी और फ़ारसी तत्वों का सम्मिश्रण दिखाता है। इसकी मुख्य विशेषताएं हैं:
- सात मुख्य प्रवेश द्वार
- 37 अष्टकोणीय बुर्ज, जिनमें धातु की ढाल वाली तोपें हैं
- मस्जिदें और महल
- 30 से अधिक इस्लामी स्मारक
बहमनी साम्राज्य के बारे में:
- बहमनी साम्राज्य की स्थापना 1347 में हुई थी जब तुर्की गवर्नर अलाउद्दीन हसन बहमन शाह ने दिल्ली सल्तनत के सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक के खिलाफ विद्रोह कर स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।
- यह दक्षिण भारत में सत्ता में आने वाला पहला स्वतंत्र इस्लामी राज्य था और इसके अंतर्गत वर्तमान कर्नाटक, महाराष्ट्र, और आंध्र प्रदेश के क्षेत्र शामिल थे।
- बहमनी साम्राज्य की राजधानी पहले अहसानाबाद (गुलबर्गा) में थी, जिसे बाद में बीदर में स्थानांतरित कर दिया गया।
- इस राज्य में कुल 14 सुल्तानों ने शासन किया, जिनमें अलाउद्दीन बहमन शाह, मुहम्मद शाह प्रथम, और फिरोज शाह प्रमुख थे।
- महमूद गवन के मार्गदर्शन में बहमनी साम्राज्य अपने चरम पर पहुंचा। वह 1458 से 1481 तक लगभग 23 वर्षों तक बहमनी सुल्तानों के प्रधानमंत्री रहे।
- गवन ने गोवा पर विजय प्राप्त कर साम्राज्य का विस्तार किया, जो उस समय विजयनगर साम्राज्य के अधीन था।
- हालांकि, लगभग 1518 में विजयनगर साम्राज्य के शासक कृष्णदेव राय ने बहमनी साम्राज्य के अंतिम शासक को पराजित कर दिया।
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