बायोपाइरेसी का अर्थ है जैविक संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान का बिना अनुमति के शोषण, जिसमें कम्पनियों, शोधकर्ताओं या देशों द्वारा इन संसाधनों का वाणिज्यिक लाभ के लिए उपयोग किया जाता है, बिना स्रोत समुदाय या देश को मुआवजा दिए। इस अवधारणा के अंतर्गत स्वदेशी पौधों, जानवरों, या पारंपरिक ज्ञान पर पेटेंट का दावा करना शामिल है।
बायोपाइरेसी के प्रकार:
सामान्य बायोपाइरेसी:
- पारंपरिक औषधीय पौधों पर बिना अनुमति के पेटेंट हासिल करना।
- जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्रों से आनुवंशिक संसाधनों का अनधिकृत संग्रह करना।
डिजिटल बायोपाइरेसी: डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके आनुवंशिक डेटा और जैविक जानकारी को बिना अनुमति के संग्रह करना और उसका उपयोग करना। इसमें आनुवंशिक अनुक्रमों के डेटाबेस से जानकारी लेकर उसे व्यावसायिक रूप से उपयोग करना भी शामिल है, जिससे भौतिक संसाधनों की आवश्यकता को दरकिनार किया जा सकता है।
भारत में बायोपाइरेसी से सुरक्षा के उपाय:
भारत में जैविक विविधता और पारंपरिक ज्ञान की रक्षा के लिए कई कानूनी प्रावधान हैं:
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002: इस कानून के तहत विदेशी संस्थाओं को भारतीय जैविक संसाधनों तक पहुंचने के लिए अनुमति लेनी होती है। इसके अंतर्गत व्यावसायिक लाभों का स्थानीय समुदायों के साथ साझा करना अनिवार्य है।
- पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 (पीपीवीएफआर): यह अधिनियम किसानों और पारंपरिक पौध किस्मों के अधिकारों की रक्षा करता है और कम्पनियों को पारंपरिक फसल किस्मों पर पेटेंट का दावा करने से रोकता है।
- पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल): यह पारंपरिक ज्ञान का एक डिजिटल संग्रह है, जो विशेष रूप से भारतीय औषधीय ज्ञान को पेटेंट से बचाने में मदद करता है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून और समझौते:
- जैव विविधता पर कन्वेंशन (सीबीडी), 1992: यह संधि जैव विविधता का संरक्षण, इसके सतत उपयोग और लाभों का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करती है।
- नागोया प्रोटोकॉल, 2010: यह सीबीडी का अनुपूरक है और यह सुनिश्चित करता है कि आनुवंशिक संसाधनों से प्राप्त लाभों का समान रूप से बंटवारा किया जाए।
- ट्रिप्स समझौता (बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधी पहलू), 1995: यह समझौता पेटेंट के मानकों को निर्धारित करता है, लेकिन बायोपाइरेसी के मुद्दों को पूरी तरह से कवर नहीं करता।
- खाद्य और कृषि के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि (आईटीपीजीआरएफए), 2001: इसे बीज संधि भी कहा जाता है, जो पौधों के आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से उत्पन्न लाभों को साझा करने की दिशा में कार्य करता है।
चुनौतियाँ:
- कानून का प्रवर्तन: विश्व स्तर पर बायोपाइरेसी कानूनों का प्रभावी प्रवर्तन कठिन है।
- लाभ-साझाकरण: स्वदेशी समुदायों के लिए उचित मुआवजा सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है।
- डिजिटल बायोपाइरेसी का विनियमन: डिजिटल बायोपाइरेसी से निपटने के लिए वर्तमान ढांचे पर्याप्त नहीं हैं।
बायोपाइरेसी से निपटने के लिए भारत समेत विभिन्न देश लगातार अपने कानूनी ढांचे को सुदृढ़ कर रहे हैं, ताकि जैविक संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
पेटेंट क्या है?
पेटेंट एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार है जो किसी नए और उपयोगी आविष्कार के लिये सरकार द्वारा दिए गए विशेषाधिकार को दर्शाता है। पेटेंट का उद्देश्य आविष्कारक को अपने आविष्कार के बदले एक निश्चित समयावधि के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान करना होता है, जिससे वह अपने आविष्कार का अनन्य उपयोग, निर्माण, बिक्री और वितरण कर सके। पेटेंट धारक की अनुमति के बिना कोई भी अन्य व्यक्ति उस आविष्कार का उपयोग नहीं कर सकता है।
भारत में पेटेंट प्रणाली:
- भारत में पेटेंट प्रणाली पेटेंट अधिनियम, 1970 के तहत शासित होती है, जिसमें समय-समय पर संशोधन किए गए हैं, जैसे कि वर्ष 2003 और वर्ष 2005 में, और हाल ही में पेटेंट (संशोधन) नियम, 2024 के अनुसार इसे अद्यतन किया गया है।
- यह अधिनियम भारत में पेटेंट अधिकारों की प्रक्रिया, पेटेंट के दायरे, और आविष्कारकों के अधिकारों का संरक्षण करता है।
पेटेंट की अवधि:
भारत में पेटेंट की अवधि आवेदन की तिथि से लेकर 20 वर्ष तक होती है। यदि पेटेंट पेटेंट सहयोग संधि (PCT) के अंतर्गत राष्ट्रीय चरण में दायर किया गया हो, तो यह अवधि अंतर्राष्ट्रीय फाइलिंग तिथि से 20 वर्ष होगी।
पेटेंट सहयोग संधि (PCT):
- पेटेंट सहयोग संधि (PCT) एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जिसमें 150 से अधिक देश शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य पेटेंट प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाना है। PCT के तहत आविष्कारक एकल आवेदन दाखिल कर सकते हैं, जो सभी सदस्य देशों में मान्य होता है।
- इस प्रक्रिया से आविष्कारक को समय, लागत और संसाधनों की बचत होती है और वह अपने आविष्कार का वैश्विक स्तर पर संरक्षण प्राप्त कर सकता है।
PCT आवेदन विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के अंतर्राष्ट्रीय ब्यूरो या आवेदक के राष्ट्रीय पेटेंट कार्यालय में दायर किया जा सकता है।
Explore our Books: https://apnipathshala.com/product-category/books/
Explore Our test Series: https://tests.apnipathshala.com/