सामान्य अध्ययन पेपर – II: भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, भारतीय प्रवासी |
चर्चा में क्यों?
वॉशिंगटन के संघीय न्यायाधीश जॉन कफेनौअर ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जन्मसिद्ध नागरिकता संबंधी कार्यकारी आदेश को अस्थायी रूप से रोक दिया है। न्यायाधीश ने इसे “स्पष्ट रूप से असंवैधानिक” करार दिया।
अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता का परिचय
जन्मसिद्ध नागरिकता एक ऐसा कानूनी सिद्धांत है जो जन्म स्थान के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है। यह सुनिश्चित करता है कि देश में जन्म लेने वाले सभी व्यक्तियों को समान अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्त हों, चाहे उनके माता-पिता की राष्ट्रीयता या आव्रजन स्थिति कुछ भी हो।
- अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता मुख्य रूप से संविधान के चौदहवें संशोधन (Fourteenth Amendment) के तहत शासित होती है।
- यह अमेरिकी आव्रजन कानून का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कानूनी सिद्धांत लैटिन शब्द jus soli पर आधारित है, जिसका अर्थ है “भूमि का अधिकार”।
- चौदहवां संशोधन और इसका महत्व: चौदहवां संशोधन 1868 में गृहयुद्ध के बाद पारित हुआ था। इस संशोधन का नागरिकता खंड (Citizenship Clause) यह सुनिश्चित करता है कि जो भी व्यक्ति अमेरिकी भूमि पर जन्म लेता है, उसे अमेरिकी नागरिकता प्राप्त होगी, चाहे उसके माता-पिता की राष्ट्रीयता कुछ भी हो। इसके अपवाद केवल वे बच्चे हैं जिनके माता-पिता विदेशी राजनयिक या विदेशी अधिकारियों के रूप में अमेरिका में रह रहे होते हैं।
- जन्मसिद्ध नागरिकता के प्रकार: अमेरिका में नागरिकता दो प्रकार से दी जाती है:
- Jus Soli (जन्मस्थल का अधिकार): इस सिद्धांत के तहत, अमेरिका में जन्म लेने वाले सभी बच्चे स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिक बन जाते हैं, सिवाय उन बच्चों के जिनके माता-पिता विदेशी राजनयिक या युद्धकाल में शत्रु राष्ट्रों के नागरिक होते हैं।
- Jus Sanguinis (रक्त संबंधी अधिकार): इस सिद्धांत के अनुसार, अगर कोई बच्चा विदेश में जन्मा है और उसके माता-पिता में से कम से कम एक अमेरिकी नागरिक हैं, तो उसे अमेरिकी नागरिकता मिल सकती है, भले ही वह अमेरिका की धरती पर न जन्मा हो। इस सिद्धांत के तहत नागरिकता प्राप्त करने के लिए माता-पिता को कुछ निवास संबंधी आवश्यकताएं पूरी करनी होती हैं।
- जन्मसिद्ध नागरिकता का महत्व: जन्मसिद्ध नागरिकता अमेरिकी पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह आप्रवासी समुदायों के एकीकरण में मदद करती है। इस सिद्धांत से आर्थिक और राजनीतिक लाभ भी होते हैं। अमेरिका में जन्मे बच्चे समाज के विभिन्न वर्गों और संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे देश की सामाजिक संरचना मजबूत होती है। इसके अलावा, ये बच्चे देश की अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं और राजनीति तथा समाज में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता का विकास
- प्रारंभिक नींव: अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता का आधार सामान्य कानून सिद्धांत “jus soli” पर आधारित था, जिसके तहत देश की सीमा के भीतर जन्मे व्यक्तियों को नागरिकता दी जाती थी। यह विचार उपनिवेशी अमेरिका और प्रारंभिक कानूनी ढांचे को प्रभावित करता था।
- 1790 का नेचुरलाइजेशन एक्ट: नागरिकता पर पहला औपचारिक कानून 1790 में आया, जिसने केवल “मुक्त श्वेत व्यक्तियों” को नागरिकता दी, जो उस समय की नस्लीय दृष्टिकोण को दर्शाता था।
- ड्रेड स्कॉट केस (1857): अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अफ्रीकी अमेरिकियों को नागरिकता से वंचित कर दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि जन्मसिद्ध नागरिकता के लिए कानूनी सुरक्षा की आवश्यकता थी।
- चौदहवां संशोधन (1868): गृहयुद्ध के बाद, चौदहवें संशोधन के तहत यह स्पष्ट किया गया कि अमेरिकी भूमि पर जन्मे सभी व्यक्तियों को नागरिकता मिलनी चाहिए, सिवाय विदेशी राजनयिकों और शत्रु देशों के नागरिकों के बच्चों के।
- वोंग किम आर्क केस (1898): इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह पुष्टि की कि अमेरिका में जन्मे अप्रवासी बच्चों को नागरिकता मिलनी चाहिए। इसके बाद से ही जन्मसिद्ध नागरिकता को आधार मानकर वहां के लोगों को नागरिकता प्रदान की जा रही हैं।
भारत और अमेरिका के नागरिकता सिद्धांतों की तुलना
- अमेरिका: अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता का सिद्धांत “jus soli” (जन्मस्थल का अधिकार) पर आधारित है, जिसका मतलब है कि अमेरिका में जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति अमेरिकी नागरिक होगा।
- भारत: भारत में जन्मसिद्ध नागरिकता का सिद्धांत लागू नहीं है। भारत में जन्मसिद्ध नागरिकता कुछ शर्तों के तहत ही दी जाती है, जैसा कि 1955 के नागरिकता कानून (जो 2003 में संशोधित हुआ) में वर्णित है। यदि दोनों माता-पिता भारतीय नागरिक हैं या एक भारतीय नागरिक है और दूसरा अवैध आप्रवासी नहीं है, तो बच्चा भारतीय नागरिक होगा।
ट्रंप जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करना क्यों चाहते हैं?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने या सीमित करने पर जोर दिया है। उनके इस रुख के पीछे कुछ मुख्य तर्क थे:
- “एंकर बेबीज़” और जन्म पर्यटन (Birth Tourism): ट्रंप और उनके समर्थकों का मानना है कि जन्मसिद्ध नागरिकता विदेशियों के लिए “जन्म पर्यटन” (Birth Tourism) को बढ़ावा देती है। इसका मतलब है कि कुछ देशों के नागरिक, जिनकी आप्रवासन नीतियां अमेरिका से कमजोर हैं, अमेरिका में अपने बच्चों को जन्म देने के लिए आते हैं। इन बच्चों को जन्म के समय ही अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है, और इसके बाद उनके माता-पिता को अमेरिका में रहकर काम करने और परिवार को साथ लाने का रास्ता मिल जाता है। इस प्रक्रिया को “एंकर बेबीज़” कहा जाता है, क्योंकि जन्म लेने वाले बच्चे अपने परिवार के लिए स्थायी रूप से अमेरिका में रहने का रास्ता खोल देते हैं। यह स्थिति अमेरिकी संसाधनों पर दबाव डालती है।
- सुरक्षा जोखिम (Security Risks): ट्रंप ने यह भी तर्क दिया कि जन्मसिद्ध नागरिकता के कारण अमेरिकी आप्रवासन कानूनों का दुरुपयोग हो सकता है। उनका कहना था कि इस सिद्धांत का उपयोग उन देशों द्वारा किया जा सकता है, जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखे जाते हैं। इससे अमेरिकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है, क्योंकि यह संभावित रूप से दुश्मन देशों के व्यक्तियों को अमेरिका में आने और वहां रहकर खुफिया जानकारी एकत्र करने का अवसर दे सकता है।
- जनसांख्यिकीय परिवर्तन और सांस्कृतिक संरचना (Demographic Changes and Cultural Shifts): ट्रंप ने यह भी चिंता व्यक्त की कि अमेरिका में जन्मे बच्चों की संख्या में वृद्धि से देश की जनसांख्यिकी और सांस्कृतिक संरचना पर असर पड़ेगा। उनका मानना था कि जन्मसिद्ध नागरिकता का सिद्धांत अमेरिकी नागरिकता की अवधारणा को कमजोर कर रहा है, क्योंकि यह देश में बढ़ते हुए अप्रवासी समुदायों को अमेरिकी समाज में समाहित होने का अवसर देता है। इससे अमेरिका की पहचान और सांस्कृतिक विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता का भारत पर प्रभाव
अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने से भारतीय समुदायों और उनके लक्ष्यों पर कई प्रकार के सामाजिक, आर्थिक और कानूनी प्रभाव पड़ सकते हैं। यह परिवर्तन न केवल अमेरिका की आप्रवासन नीति को प्रभावित करेगा, बल्कि भारतीय आप्रवासी समुदाय के लिए भी गंभीर परिणाम उत्पन्न कर सकता है।
- H-1B वीजा धारकों और ग्रीन कार्ड आवेदकों पर प्रभाव: भारत से बड़ी संख्या में पेशेवर लोग, विशेष रूप से IT क्षेत्र में, अमेरिका में H-1B वीजा पर काम करते हैं। 2023 तक, लगभग एक मिलियन से अधिक भारतीय आप्रवासी ग्रीन कार्ड के लिए लंबी प्रतीक्षा में थे। यदि जन्मसिद्ध नागरिकता समाप्त होती है, तो ऐसे पेशेवरों के बच्चों को अमेरिका में जन्म के समय नागरिकता नहीं मिल पाएगी।
- अमेरिका में भारतीय छात्रों पर प्रभाव: 2024 में, भारत से लगभग 331,602 छात्र अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए गए थे। भारतीय छात्र अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करने के बाद अक्सर वहीँ नौकरी करने और स्थायी रूप से बसने का विकल्प चुनते हैं। यदि ये छात्र अपनी पढ़ाई के दौरान बच्चे पैदा करते हैं, तो उन बच्चों को जन्मसिद्ध नागरिकता का लाभ नहीं मिल सकेगा। इसका मतलब है कि इन बच्चों को अमेरिका में नागरिकता के लिए अलग से प्रक्रिया का पालन करना होगा, जो पहले से कहीं अधिक जटिल हो सकती है।
- आर्थिक प्रभाव: अमेरिकी जन्मसिद्ध नागरिकता के तहत जन्मे भारतीय बच्चे अक्सर प्रारंभिक शिक्षा के लिए भारत लौट आते हैं और फिर उच्च शिक्षा या काम के लिए अमेरिका वापस जाते हैं। इन व्यक्तियों के माता-पिता भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं और इनसे भारत को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। 2024 में भारत ने कुल $129.1 बिलियन रेमिटेंस प्राप्त किए, जिसमें अमेरिकी प्रवासी का हिस्सा बहुत महत्वपूर्ण था। यदि जन्मसिद्ध नागरिकता समाप्त होती है, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था और विदेशी मुद्रा भंडार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
जन्मसिद्ध नागरिकता में बदलाव की कानूनी चुनौतियाँ
- संविधान संशोधन की आवश्यकता: जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी, जो एक जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट दोनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता है और फिर 50 में से 38 राज्यों से अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
- गणराज्य पार्टी का प्रभाव: ट्रंप के कार्यकाल के दौरान, गणराज्य पार्टी में बहुमत में है। लेकिन फिर भी, संविधान में संशोधन के लिए दोनों दलों का समर्थन बहुत आवश्यक होगा। इस मुद्दे पर वैचारिक मतभेद होने के कारण संशोधन होना मुश्किल हो सकता है।
- न्यायिक समीक्षा: किसी भी विधायी प्रक्रिया को न्यायिक समीक्षा का सामना करना पड़ेगा। अमेरिकी न्यायालय ने पहले भी जन्मसिद्ध नागरिकता संबंधी फैसले लिए है, जो अधिकतर नागरिकता कानून बनाए रखने के पक्ष में है। इससे पता चलता है कि ट्रंप सरकार को अनेक न्यायिक प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ सकता है, जो अंततः चुनौतीपूर्ण होना तय है।
यूपीएससी पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)
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