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CE20 क्रायोजेनिक इंजन

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हाल ही में, इसरो ने तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में अपने CE20 क्रायोजेनिक इंजन का समुद्री स्तर हॉट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया। यह सफलता भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन “गगनयान” सहित भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

CE20 क्रायोजेनिक इंजन के बारे में:

  1. क्या है CE20 क्रायोजेनिक इंजन?
    • यह एक रॉकेट इंजन है, जो तरल गैसों को ईंधन और ऑक्सीडाइज़र के रूप में उपयोग करता है।
    • इन गैसों को अत्यंत ठंडे तापमान पर तरल रूप में रखा जाता है।
    • इसे इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर ने विकसित किया है और यह लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3) के ऊपरी चरण को शक्ति प्रदान करता है।
  2. उपयोग की जाने वाली गैसें:
    • तरल ऑक्सीजन (LOX): ऑक्सीडाइज़र के रूप में काम करता है, जो -183°C पर तरल बनता है।
    • तरल हाइड्रोजन (LH2): ईंधन के रूप में कार्य करता है, जो -253°C पर तरल बनता है।
    • इन दोनों के बीच होने वाली रासायनिक प्रतिक्रिया से जोर (थ्रस्ट) उत्पन्न होता है।
  3. प्रमुख विशेषताएँ:
    • इंजन को पुनः शुरू करने की क्षमता: मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर से लैस, यह इंजन मिशन के दौरान दोबारा शुरू हो सकता है, जो गगनयान जैसे मिशनों के लिए बेहद जरूरी है।
    • नोजल सुरक्षा प्रणाली: नोजल में बहाव के अलग होने और कंपन को कम करके प्रदर्शन में सुधार करता है और परीक्षण प्रक्रियाओं को सरल बनाता है।
    • उच्च दक्षता: यह अधिक जोर उत्पन्न करता है और रॉकेट की पेलोड क्षमता बढ़ाता है।
  4. अनुप्रयोग: इसे रॉकेट के ऊपरी चरणों में उपयोग किया जाता है, जहाँ उच्च दक्षता उपग्रहों और अंतरिक्ष यानों को कक्षा में स्थापित करने के लिए आवश्यक होती है।

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में क्रायोजेनिक इंजनों का महत्व:

  1. अंतरिक्ष कार्यक्रम को बढ़ावा:
    • क्रायोजेनिक इंजन रॉकेट की दक्षता और जोर (थ्रस्ट) को बढ़ाते हैं।
    • यह भारत को गगनयान, उपग्रह प्रक्षेपण और ग्रहों की खोज जैसे मिशनों के लिए भारी पेलोड वाले शक्तिशाली रॉकेट लॉन्च करने में सक्षम बनाता है।
  2. स्वदेशी विकास और आत्मनिर्भरता:
    • क्रायोजेनिक तकनीक में भारत की महारत विदेशी तकनीक पर निर्भरता को कम करती है।
    • भारत उन छह देशों में शामिल है, जिन्होंने अमेरिका, फ्रांस, रूस, चीन और जापान के साथ अपने क्रायोजेनिक इंजन विकसित किए हैं।
  3. बेहतर पेलोड क्षमता: क्रायोजेनिक इंजन उच्च विशिष्ट आवेग (स्पेसिफिक इम्पल्स) प्रदान करते हैं, जिससे रॉकेट अधिक भारी पेलोड ले जा सकते हैं और दूरस्थ मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दे सकते हैं।

भविष्य की संभावनाएँ:

  1. बेहतर परीक्षण विधियाँ: यह परीक्षण उन्नत क्रायोजेनिक इंजन परीक्षण विधियों के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है, जिससे भविष्य में उच्च जोर वाले मिशनों को समर्थन मिलेगा।
  2. मानव अंतरिक्ष अन्वेषण: इन उन्नतियों से भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन “गगनयान” और भारी पेलोड वाले रॉकेट लॉन्च करने की क्षमता को मजबूती मिलेगी।

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