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हाल ही में नीति आयोग ने “घरेलू कोकिंग कोल उपलब्धता बढ़ाने और आयात निर्भरता घटाने” पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू उत्पादन को मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण उपाय सुझाए गए हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- कोकिंग कोयला संसाधन (2023):
- भारत में प्राइम कोकिंग कोयले के सिद्ध भौगोलिक संसाधन 13 बिलियन टन और मीडियम कोकिंग कोयले के 16.5 बिलियन टन आँके गए हैं।
- आयात पर निर्भरता:
- पिछले 5 वर्षों में भारत द्वारा आयात किए गए कुल कोयले में कोकिंग कोयले का हिस्सा 22-27% रहा।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में पहली बार भारत में कोकिंग कोयला आयात का मूल्य ₹1 ट्रिलियन (1 लाख करोड़ रुपये) से अधिक हो गया।
- वित्तीय वर्ष 2022-23 में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 54% कोकिंग कोयला निर्यात किया।
- मूल्य में अस्थिरता:
- कोकिंग कोयले की कीमतें अत्यधिक अस्थिर हैं क्योंकि इस पर मुख्य रूप से कुछ गिने-चुने देश (जैसे ऑस्ट्रेलिया) का प्रभुत्व है।
- इस्पात उत्पादन में भूमिका:
- कोकिंग कोयला भारत में इस्पात उत्पादन की लागत का लगभग 42% हिस्सा है।
- इस्पात मंत्रालय आयात बिल को कम करने और आयात स्रोतों में विविधता लाने के लिए प्रयास कर रहा है।
- महत्त्वपूर्ण खनिज का दर्जा:
- नीतिआयोग सरकार को कोकिंग कोयले को ‘महत्त्वपूर्ण खनिज’ घोषित करने की सलाह दे सकता है।
- यह कदम घरेलू धातुकर्म कोयले के उत्पादन को बढ़ावा देने और भारत के इस्पात क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करेगा।
कोकिंग कोयला क्या है?
- परिचय:
- कोकिंग कोयला जिसे मेटलर्जिकल कोयला भी कहा जाता है, एक प्राकृतिक तलछटी चट्टान है।
- यह बिटुमिनस कोयले का प्रकार है जिसमें थर्मल कोयले की तुलना में अधिक कार्बन, कम राख और नमी होती है।
- इस्पात उत्पादन में इसकी अहम भूमिका है, क्योंकि यह इस्पात की लागत का 42% भाग बनाता है।
- इस्पात उत्पादन में उपयोग:
- कोकिंग कोयले को उच्च तापमान पर कार्बोनाइज करके कोक बनाया जाता है।
- कोक का उपयोग ब्लास्ट फर्नेस में पिग आयरन बनाने के लिए किया जाता है, जहां यह आयरन ओर को घटाने वाले एजेंट और फर्नेस चार्ज को सहारा देने वाले संरचनात्मक सामग्री के रूप में कार्य करता है।
- विश्व के प्रमुख उत्पादक (2022):
- चीन: 676 मिलियन टन (62%)
- ऑस्ट्रेलिया: 169 मिलियन टन (15%)
- रूस: 96 मिलियन टन (9%)
- अमेरिका: 55 मिलियन टन (5%)
- कनाडा: 34 मिलियन टन (3%)
- भारत का परिप्रेक्ष्य:
- भारत में बड़े भंडार होने के बावजूद 85% कोकिंग कोयले का आयात किया जाता है।
- अप्रैल-सितंबर 2023 में भारत ने 6 मिलियन टन कोकिंग कोयला आयात किया, जिसमें रूस से आयात में 200% की वृद्धि हुई
- भारत का कोकिंग कोल आयात वित्त वर्ष 2023-24 (वित्त वर्ष 2024) में 6% बढ़कर 89 मिलियन टन (mnt) हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह 54.45 मिलियन टन था। बिगमिंट के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2024 में ईंधन का आयात 14% बढ़कर 5.22 मिलियन टन हो गया, जबकि फरवरी 2024 में यह 4.56 मिलियन टन था।
भारत के लिए कोकिंग कोल का महत्व–
- परिचय: कोकिंग कोयला, जिसे मेटलर्जिकल कोयला या “मेट कोल” भी कहते हैं, इस्पात निर्माण में उपयोग होता है।
- मुख्य भूमिका: यह कोक बनाने में जरूरी है, जो इस्पात निर्माण की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण घटक है।
- विशेष गुण: इस कोयले में उच्च कार्बन सामग्री, कम सल्फर और फॉस्फोरस होना चाहिए।
- इसे इस्पात निर्माण के लिए उपयुक्त बनाने के लिए मजबूत कोकिंग गुण आवश्यक हैं।
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