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केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री, श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा विदेशी निवेश के लिए नियमों को सरल बनाने की घोषणा के अनुसरण में, वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग (DEA) ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 की धारा 15 के साथ पठित धारा 46 के तहत विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग कार्यवाही) नियम, 2024 को अधिसूचित किया है। ये संशोधित नियम 2000 में जारी किए गए मौजूदा विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग कार्यवाही) नियमों का स्थान लेंगे।
कंपाउंडिंग कार्यवाही नियमों की समीक्षा और सुधार:
व्यापार करने में आसानी को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए, मौजूदा नियमों और विनियमों को सुव्यवस्थित और तर्कसंगत बनाने की एक व्यापक पहल के तहत, भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से कंपाउंडिंग कार्यवाही नियमों की विस्तृत समीक्षा की गई है।
नई प्रक्रियाएँ और डिजिटल भुगतान:
कंपाउंडिंग से संबंधित आवेदनों के निपटारे की प्रक्रिया को तेज़ और सुव्यवस्थित करने के लिए, नए नियमों में आवेदन शुल्क और कंपाउंडिंग राशि के लिए डिजिटल भुगतान के विकल्पों की शुरुआत की गई है। इसके अतिरिक्त, नियमों में अस्पष्टता को समाप्त करने और प्रक्रिया को स्पष्ट करने के लिए प्रावधानों का सरलीकरण और युक्तिकरण किया गया है।
निवेशकों और व्यवसायों के लिए लाभ:
ये संशोधन सरकार की ‘निवेश में आसानी’ और ‘व्यवसाय करने में आसानी’ को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
आवेदन शुल्क और मौद्रिक सीमा में वृद्धि:
- नई नियमावली के अनुसार, कंपाउंडिंग आवेदन दाखिल करने की फीस को दोगुना करके 10,000 रुपये प्लस जीएसटी कर दिया गया है, जो पहले 5,000 रुपये थी।
- इसके अलावा, आरबीआई के सहायक महाप्रबंधक रैंक के अधिकारी अब 60 लाख रुपये तक के कंपाउंडिंग आवेदन पर निर्णय ले सकते हैं, जो पहले 10 लाख रुपये था।
वरिष्ठ अधिकारियों के लिए नई मौद्रिक सीमाएँ:
- उप महाप्रबंधक और महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों के लिए मौद्रिक सीमा को क्रमश: 5 करोड़ रुपये और 5 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
- इसके अलावा, आरबीआई के मुख्य महाप्रबंधक को 5 करोड़ रुपये से अधिक के कंपाउंडिंग मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त होगा।
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विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999:
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) का मुख्य उद्देश्य भारत में बाहरी व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाना है, साथ ही भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देना है। FEMA भारत में विदेशी मुद्रा लेनदेन की प्रक्रियाओं, औपचारिकताओं, और व्यवहार से संबंधित प्रावधानों को नियंत्रित करता है। विदेशी मुद्रा से संबंधित लेनदेन को FEMA के तहत दो मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
- चालू खाता लेनदेन
- पूंजी खाता लेनदेन
पूंजी खाता लेनदेन:
FEMA की धारा 2(e) के अनुसार, “पूंजी खाता लेनदेन” वे लेनदेन होते हैं जो भारत में रहने वाले व्यक्तियों की विदेश में परिसंपत्तियों या देनदारियों में परिवर्तन करते हैं, या भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों की भारत में परिसंपत्तियों या देनदारियों में परिवर्तन करते हैं। इसमें FEMA की धारा 6(3) में संदर्भित लेनदेन शामिल हैं, जैसे:
- भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी प्रतिभूति का हस्तांतरण या जारी करना।
- भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का हस्तांतरण या जारी करना।
- विदेशी मुद्रा में उधार लेना या देना।
- भारत में निवासी व्यक्ति और विदेश में निवासी व्यक्ति के बीच रुपए में उधार लेना या देना।
- भारत और विदेश के बीच मुद्रा या मुद्रा नोटों का निर्यात, आयात या धारण।
- भारत में अचल संपत्ति का हस्तांतरण या अधिग्रहण, आदि।
चालू खाता लेनदेन:
FEMA की धारा 2(जे) के अनुसार, “चालू खाता लेनदेन” वे लेनदेन होते हैं जो पूंजी खाता लेनदेन के अलावा होते हैं। इसमें शामिल हैं:
- विदेशी व्यापार और सेवाओं से संबंधित अल्पकालिक बैंकिंग और ऋण सुविधाओं के लिए भुगतान।
- ऋण पर ब्याज और निवेश से शुद्ध आय के रूप में भुगतान।
- विदेश में जीवन-यापन के खर्च के लिए धन प्रेषण।
- विदेश यात्रा और परिवार के चिकित्सा देखभाल से संबंधित खर्च।
FEMA की धारा 5 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति प्राधिकृत व्यक्ति को विदेशी मुद्रा बेच सकता है या निकाल सकता है, बशर्ते कि यह चालू खाता लेनदेन हो, और इसके लिए केंद्रीय सरकार उचित प्रतिबंध लगा सकती है।
FEMA, 1999 के प्रमुख प्रावधान:
FEMA, 1999 के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
- विदेशी मुद्रा लेन-देन
- विदेशी मुद्रा धारण
- चालू खाता लेनदेन
- पूंजी खाता लेनदेन
- वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात
- विदेशी मुद्रा की प्राप्ति और प्रत्यावर्तन
- प्राधिकृत व्यक्तियों से संबंधित प्रावधान
- उल्लंघन और दंड
- प्रवर्तन निदेशालय और अन्य विविध प्रावधान
प्रमुख FEMA विनियम:
कुछ महत्वपूर्ण FEMA विनियम निम्नलिखित हैं:
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन (चालू खाता लेनदेन) नियम, 2000
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन (अनुमेय पूंजी खाता लेनदेन) विनियम, 2000
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा में उधार लेना या देना) विनियम, 2000
- एफईएम (भारत के बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण और हस्तांतरण) विनियम, 2015
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गारंटी) विनियम, 2000
- एफईएम (बीमा) विनियम, 2015
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण और हस्तांतरण) विनियम, 2000
ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंधन की विभिन्न पहलुओं को समन्वित और व्यवस्थित करते हैं।
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