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उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP)

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सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने हाल ही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (CPI And IIP) के आंकड़े जारी करने का समय बदलकर शाम 5:30 बजे से शाम 4 बजे कर दिया है। इस बदलाव का उद्देश्य इन आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए अधिक समय देना और भारत के प्रमुख वित्तीय बाजारों के बंद होने के समय के साथ इसे संरेखित करना है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI):

  • परिभाषा: CPI खुदरा मुद्रास्फीति का माप है जो देश की आबादी द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों के आधार पर तय होता है।
  • प्रकाशन: इसे राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किया जाता है और इसमें अखिल भारतीय स्तर पर ग्रामीण, शहरी, तथा संयुक्त (राष्ट्रीय) डेटा शामिल होता है।
  • आधार वर्ष: वर्तमान में, 2012 को आधार वर्ष मानकर CPI की गणना की जाती है।
  • श्रेणियां: CPI में विभिन्न श्रेणियां शामिल होती हैं जैसे खाद्य एवं पेय पदार्थ, वस्त्र, आवास, ईंधन एवं प्रकाश, और मनोरंजन। वर्तमान में CPI की गणना 299 मदों को ध्यान में रखकर की जाती है।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP):

  • परिभाषा: IIP एक आर्थिक संकेतक है जो किसी अर्थव्यवस्था में औद्योगिक उत्पादन के स्तर को मापता है, जो चयनित औद्योगिक उत्पादों की उत्पादन मात्रा में अल्पकालिक परिवर्तन को दर्शाता है।
  • प्रकाशन: इसे MoSPI के तहत NSO द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • आधार वर्ष: IIP की गणना 2011-12 को आधार वर्ष मानकर की जाती है।
  • घटक: IIP के अंतर्गत तीन मुख्य क्षेत्र हैं – खनन, विनिर्माण, और बिजली। इसके अलावा, इसे उपयोग आधारित श्रेणियों में भी वर्गीकृत किया गया है जैसे बुनियादी सामान, पूंजीगत सामान, और उपभोक्ता टिकाऊ सामान।

CPI And IIP डेटा का महत्व:

  • CPI: यह प्रमुख मुद्रास्फीति सूचक है जो परिवारों द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन को ट्रैक करता है। इसका उपयोग मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण और मूल्य स्थिरता की निगरानी के लिए किया जाता है।
  • IIP: यह औद्योगिक गतिविधि का माप है और अल्पकालिक औद्योगिक विकास के संकेतक के रूप में कार्य करता है। इसका उपयोग नीति निर्धारण और अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के आकलन में किया जाता है।

समय में बदलाव का उद्देश्य और चिंताएँ

2013 में डेटा लीक की घटनाओं के कारण डेटा रिलीज का समय शाम 5:30 बजे रखा गया था ताकि दिन के व्यापार को प्रभावित होने से बचाया जा सके। हालांकि, अब इसे शाम 4 बजे कर दिया गया है ताकि डेटा विश्लेषण के लिए अधिक समय मिल सके। हालांकि, इस नए समय के कारण सरकारी बांड और विदेशी मुद्रा बाजार पर संभावित प्रभाव को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।

मंत्रालय का कहना है कि यह बदलाव उनकी पारदर्शिता और सुगमता की प्रतिबद्धता के अनुरूप है और डेटा रिलीज के दिन बेहतर संरेखण सुनिश्चित करता है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI):

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) भारत सरकार का एक स्वतंत्र मंत्रालय है, जो सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन से संबंधित कार्यों के लिए समर्पित है। इसकी स्थापना 15 अक्टूबर 1999 को सांख्यिकी विभाग और कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग के विलय के बाद की गई थी। मंत्रालय के दो मुख्य स्कंध हैं:

1.   सांख्यिकी स्कंध: इसे राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के नाम से भी जाना जाता है। इसके अंतर्गत:

    • केन्द्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ): यह देश की प्रमुख सांख्यिकीय गतिविधियों और राष्ट्रीय लेखा के संकलन में कार्यरत है।
    • संगणक केंद्र: सांख्यिकी डेटा का प्रसंस्करण और विश्लेषण करता है।
    • राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ): यह सर्वेक्षणों के माध्यम से नमूना डेटा संग्रह करता है और उसे विश्लेषण के लिए प्रस्तुत करता है।

2.   कार्यक्रम कार्यान्वयन स्कंध: इसके अंतर्गत तीन मुख्य प्रभाग हैं:

    • बीस सूत्री कार्यक्रम: राष्ट्रीय विकास और सामाजिक कल्याण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यरत है।
    • आधारभूत संरचना प्रबोधन और परियोजना प्रबोधन: विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन और प्रगति की निगरानी करता है।
    • सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS): सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए निधि उपलब्ध कराता है।

इनके अतिरिक्त, मंत्रालय में दो अन्य प्रमुख संस्थाएं भी हैं:

  • राष्ट्रीय सांख्यिकीय आयोग: यह देश में सांख्यिकीय प्रणाली की गुणवत्ता और स्थायित्व सुनिश्चित करता है।
  • भारतीय सांख्यिकीय संस्थान: यह एक स्वायत्त संस्थान है, जिसे संसद द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया गया है।

मंत्रालय की भूमिका और कार्य:

मंत्रालय देश में जारी सांख्यिकी की गुणवत्ता और विस्तार पर ध्यान केंद्रित करता है। इसका डेटा प्रशासनिक स्रोतों, सर्वेक्षणों, और केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा एकत्रित गणनाओं पर आधारित होता है। वैज्ञानिक नमूना पद्धतियों का उपयोग कर डेटा एकत्र किया जाता है और क्षेत्रीय स्टाफ के माध्यम से क्षेत्रीय स्तर पर जानकारी एकत्र की जाती है।

गुणवत्ता और मानकीकरण:

मंत्रालय डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न तकनीकी और सलाहकार समितियों जैसे कि राष्ट्रीय लेखा संबंधी सलाहकार समिति और औद्योगिक सांख्यिकी व मूल्य सूचकांक तकनीकी सलाहकार समिति की सहायता लेता है। यह मानक सांख्यिकीय तकनीकों का पालन करते हुए विस्तृत जांच के बाद डेटा तैयार करता है, ताकि देश की अर्थव्यवस्था और विकास का सही आकलन हो सके।

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