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भारत की प्रजनन दर 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे पहुंच गई है। यह गिरावट जीवनशैली, स्वास्थ्य समस्याओं और आर्थिक दबाव जैसे विभिन्न कारणों से प्रभावित है।
भारत की घटती प्रजनन दर: मुख्य बिंदु
- प्रजनन दर में गिरावट: भारत की प्रजनन दर 1950 में 2 थी, जो 2024 में घटकर 2 बच्चों प्रति महिला हो गई है।
- प्रतिस्थापन स्तर से नीचे: वर्तमान प्रजनन दर 1 के प्रतिस्थापन स्तर से कम है, जिससे भविष्य में जनसंख्या घटने की संभावना है।
- वैश्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप: यह बदलाव वैश्विक प्रजनन दर में गिरावट के अनुरूप है, लेकिन भारत के लिए यह नई चुनौतियां और अवसर दोनों पेश करता है।
- कारण: जीवनशैली में बदलाव, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, और आर्थिक दबाव इस गिरावट के प्रमुख कारण हैं।
- प्रभाव: जनसंख्या में कमी से दीर्घकालिक सामाजिक और आर्थिक संरचना पर असर पड़ सकता है।
- अवसर और चुनौतियां: घटती प्रजनन दर से संसाधनों पर दबाव कम हो सकता है, लेकिन श्रमशक्ति और वृद्धावस्था में सहयोग की कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
प्रजनन दर में गिरावट के कारण:
- शहरीकरण और आधुनिक जीवनशैली:
- शिक्षा, करियर, और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर उपलब्धता के कारण महिलाएं छोटे परिवार को प्राथमिकता देती हैं।
- विवाह में देरी और करियर पर फोकस से प्रजनन अवधि कम हो जाती है।
- परिवार नियोजन और जागरूकता: गर्भनिरोधक और परिवार नियोजन सेवाओं की आसान पहुंच से लोग अपने परिवार का आकार तय कर पा रहे हैं।
- आर्थिक दबाव: बढ़ती जीवनयापन लागत और महंगे शहरों में कई बच्चों का पालन-पोषण कठिन हो गया है।
- महिला सशक्तिकरण: शिक्षा और रोजगार में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने छोटे परिवारों को बढ़ावा दिया है।
प्रजनन दर में गिरावट के सकारात्मक प्रभाव:
- जीवन स्तर में सुधार: कम आश्रितों के कारण परिवारों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आवास की सुविधा मिल सकती है।
- संसाधनों का सतत प्रबंधन: धीमी जनसंख्या वृद्धि से जल, भूमि और ऊर्जा जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव कम होता है।
- महिला सशक्तिकरण पर ध्यान: छोटे परिवार महिलाओं को शिक्षा और करियर के अवसरों को अपनाने का मौका देते हैं।
प्रजनन दर में गिरावट के नकारात्मक प्रभाव:
- आबादी का बुढ़ापा: 2050 तक भारत में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में भारी वृद्धि से स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ेगा।
- श्रम की कमी: श्रम प्रधान उद्योगों में छोटे कार्यबल से आर्थिक वृद्धि बाधित हो सकती है।
- युवाओं की घटती संख्या: वर्तमान में भारत की 25 वर्ष से कम आयु की जनसंख्या लाभकारी है, लेकिन प्रजनन दर में गिरावट से यह लाभ भविष्य में समाप्त हो सकता है।
भारत में प्रजनन दर से जुड़े आंकड़े:
- लैंसेट अध्ययन: भारत की प्रजनन दर लगातार घट रही है। 2050 तक यह 29 तक गिर सकती है, जो प्रतिस्थापन स्तर (2.1) से काफी कम है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21): देश की कुल प्रजनन दर (TFR) राष्ट्रीय स्तर पर 0 हो गई है। शहरी क्षेत्रों में यह 1.6 और ग्रामीण क्षेत्रों में 2.1 है।
- ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज अध्ययन (2021): 1950 में भारत की TFR 6.18 थी, जो 1980 में 60 और 2021 में 1.91 तक गिर गई।