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डिजिटल वृक्ष आधार पहल

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संदर्भ:

जम्मू-कश्मीर सरकार ने क्षेत्र में घटते चिनार के पेड़ों के संरक्षण के लिए “डिजिटल वृक्ष आधार पहल” शुरू किया है। इस पहल के तहत चिनार के पेड़ों की जनगणना की जाएगी और प्रत्येक पेड़ को एक विशिष्ट पहचान संख्या दी जाएगी, ताकि उनकी निगरानी और संरक्षण प्रभावी तरीके से किया जा सके।

डिजिटल वृक्ष आधार पहल के बारे में:

  • क्या है डिजिटल वृक्ष आधार पहल ?
    • आधार नंबर की तरह, प्रत्येक पेड़ को एक विशिष्ट पहचान संख्या (Tree Aadhaar) दी जाती है।
    • इस पहल के तहत पेड़ों पर मेटल कार्ड लगाए जाते हैं, जिनमें बारकोड होता है।
    • बारकोड के माध्यम से पेड़ की स्थान, ऊंचाई और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी उपलब्ध होती है।
  • तकनीकी उपयोग:
    • इस पहल में QR कोड और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) तकनीक का उपयोग किया जाता है।
    • GIS एक कंप्यूटर प्रणाली है, जो भौगोलिक रूप से संदर्भित जानकारी का विश्लेषण और प्रदर्शन करती है।
  • डिजिटल वृक्ष आधार पहल के मुख्य उद्देश्य:
    • कश्मीर घाटी और चिनाब क्षेत्र में चिनार पेड़ों की जनगणना करना।
    • चिनार पेड़ों की स्थिति की निगरानी और संरक्षण सुनिश्चित करना।

चिनार वृक्ष के बारे में:

विज्ञानिक नाम: प्लैनटस ओरिएंटालिस वर. कश्मेरियाना (Platanus orientalis var. cashmeriana)

विशेषताएँ:

  • चिनार एक मैपल के समान विशाल छत्र वाला वृक्ष है।
  • यह मुख्य रूप से पूर्वी हिमालय में ठंडे जलवायु और पर्याप्त जल आपूर्ति वाले क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • इसकी ऊंचाई 30 मीटर तक हो सकती है और तने की परिधि 10-15 मीटर तक होती है।
  • वृक्ष को 30-50 वर्षों में परिपक्वता प्राप्त होती है, और पूर्ण आकार में आने में 150 वर्ष लगते हैं।

चिनारनाम की उत्पत्ति:

  • इस नाम को मुगलों द्वारा दिया गया, संभवतः सम्राट जहांगीर द्वारा।
  • यह नाम फारसी वाक्यांश “चे नार अस्त” से प्रेरित है, जिसका अर्थ है यह कौन सी ज्वाला है?”— जो कि शरद ऋतु में इसकी गहरे लाल पत्तियों की सुंदरता को दर्शाता है।

चिनार वृक्ष का पर्यावास और विशिष्टता:

  • पर्यावास:
    • चिनार वृक्ष मुख्य रूप से पूर्वी हिमालय क्षेत्र में पाया जाता है और ठंडी जलवायु तथा पर्याप्त जल आपूर्ति में पनपता है।
    • यह वृक्ष जम्मू के चिनाब घाटी और पीर पंजाल घाटी में उगते हैं।
  • विशिष्टता: इसकी पत्तियाँ मौसम के अनुसार रंग बदलती हैं, गर्मियों में गहरा हरा और शरद ऋतु में चमकदार लाल, एम्बर और पीले रंग में परिवर्तित हो जाती हैं।
  • चिनार वृक्ष के क्षय के कारण:
    • शहरीकरण: निर्माण और अधोसंरचना विकास के कारण प्राकृतिक आवास का विनाश।
    • जलवायु परिवर्तन: वर्षा के बदलते पैटर्न और अत्यधिक तापमान में वृद्धि से इसके विकास पर प्रतिकूल प्रभाव।
    • अवैध कटाई: संरक्षित स्थिति के बावजूद इसे लकड़ी के लिए अवैध रूप से काटा जाता है।
    • कीट और रोग: पर्यावरणीय तनाव के कारण रोगों और कीटों की संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

 

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