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मुख्य बिंदु (Key Points):
- अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद बिटकॉइन (bitcoin) की कीमत 80,000 डॉलर से ऊपर पहुंच गई है। 12 नवंबर को इसकी कीमत करीब 87,880 डॉलर रही।
- क्रिप्टो (Crypto) में बड़ा उछाल देखा गया है, और बिटकॉइन की कीमत 100,000 डॉलर तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।
- 2025 में 2 लाख डॉलर छूने के संभावना।
- ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान अमेरिका को दुनिया की ‘क्रिप्टो कैपिटल’ (crypto capital) बनाने का वादा किया था, जिससे क्रिप्टोकरेंसी बाजार में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- इस साल बिटकॉइन (bitcoin) की कीमत में 80 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
- बिटकॉइन के साथ-साथ डोज़कॉइन (Dogecoin) जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrencies) में भी भारी उछाल दर्ज किया गया है, जिसमें एलन मस्क का समर्थन एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप का अभियान (Trump’s campaign):
डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनाव अभियान के दौरान वादा किया था कि वह अमेरिका को डिजिटल संपत्ति (क्रिप्टो) उद्योग का केंद्र बनाएंगे। ट्रम्प ने एक रणनीतिक बिटकॉइन भंडार बनाने की योजना बनाई है और डिजिटल संपत्तियों के पक्ष में नियामक नियुक्त करने की बात कही है।
- बिटकॉइन की बढ़ती कीमत: 2024 में अब तक बिटकॉइन की कीमत में लगभग 94% की बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी अमेरिकी एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) की बढ़ती मांग और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के कारण हुई है।
- शेयर बाजार और सोने से अधिक रिटर्न: मंगलवार के चुनाव परिणामों के बाद, बिटकॉइन पर रिटर्न शेयर बाजार और सोने जैसे निवेश विकल्पों से भी अधिक है।
- ETF में रिकॉर्ड निवेश: ब्लैकरॉक इंक के iShares Bitcoin Trust (जिसका मूल्य $35 बिलियन है) से समर्थित अमेरिकी ईटीएफ ने गुरुवार को लगभग $1.4 बिलियन का रिकॉर्ड शुद्ध निवेश प्राप्त किया।
- निवेशकों का रुझान: DACM निवेश फर्म के संस्थापक रिचर्ड गाल्विन के अनुसार, चुनाव के पहले संस्थागत निवेशकों ने अपना जोखिम कम किया था, लेकिन अब ट्रम्प की जीत के बाद फिर से निवेश कर रहे हैं, जिससे बिटकॉइन की खरीदारी का दबाव बढ़ रहा है।
- बाइडेन प्रशासन से अलग नजरिया: ट्रम्प का दृष्टिकोण राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन से बिल्कुल अलग है। बाइडेन के प्रशासन के तहत, SEC के चेयरमैन गैरी गेंसलर ने क्रिप्टो उद्योग पर धोखाधड़ी और कदाचार का आरोप लगाया है।
- क्रिप्टो उद्योग का समर्थन: ट्रम्प के क्रिप्टो उद्योग के प्रति समर्थन के कारण, डिजिटल संपत्ति कंपनियों ने उनके चुनाव अभियान पर बड़ी राशि खर्च की है।
- क्रिप्टो बिलों की संभावना: नोएल एचेसन के अनुसार, ट्रम्प के समर्थन और सीनेट तथा हाउस में बहुमत के कारण क्रिप्टो से जुड़े बिलों के पास होने की संभावना बढ़ गई है।
क्रिप्टोकरेंसी क्या है (What is cryptocurrency)?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है, जो ऑनलाइन उपयोग के लिए बनाई गई है। इसमें सुरक्षा के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग होता है, जिससे इसे सुरक्षित रखा जाता है।
- विकेंद्रीकृत मुद्रा: यह किसी भी सरकार या संस्था द्वारा नियंत्रित नहीं होती, यानी यह एक स्वतंत्र मुद्रा है।
- उदाहरण: बिटकॉइन, एथेरियम और लाइटकॉइन इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
क्रिप्टोकरेंसी की नई इकाइयाँ माइनिंग (mining) नामक प्रक्रिया से बनाई जाती हैं, जिसमें शक्तिशाली कंप्यूटर जटिल गणितीय समस्याओं को हल करते हैं और इस प्रक्रिया में नए सिक्के उत्पन्न होते हैं। लोग इन्हें ब्रोकर से भी खरीद सकते हैं और फिर इन्हें क्रिप्टोग्राफिक वॉलेट में सुरक्षित रख सकते हैं, जहाँ से वे इन्हें भेज या खर्च कर सकते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी का काम करने का तरीका (How cryptocurrencies work):
क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होती है, और यह सरकारी मुद्रा से अलग होती है, क्योंकि ये केंद्रीय बैंकों से स्वतंत्र रूप से काम करती हैं। इसके मुख्य सिद्धांत हैं:
- विकेन्द्रीकरण (Decentralisation): क्रिप्टोकरेंसी किसी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा जारी नहीं की जाती। नेटवर्क नोड्स में वितरित होता है जो लेजर को बनाए रखते और अपडेट करते हैं। इससे मुद्रा के जारी करने और लेन-देन पर केंद्रीकृत नियंत्रण से बचाव होता है।
- ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technology): लेन-देन को एन्क्रिप्टेड ‘ब्लॉक्स’ में रिकॉर्ड किया जाता है, जिन्हें क्रोनोलॉजिकल तरीके से एक साथ जोड़ा जाता है और नेटवर्क में वितरित किया जाता है। इससे सभी लेन-देन का एक अपरिवर्तनीय और पारदर्शी लेजर बनता है, जिसे सहमति एल्गोरिदम द्वारा सत्यापित किया जाता है।
- एन्क्रिप्शन (Encryption): लेन-देन को सुरक्षित करने और नेटवर्क में गुमनाम रूप से साइन अप करने के लिए सार्वजनिक-निजी कुंजी, डिजिटल सिग्नेचर और हैश फंक्शंस जैसी क्रिप्टोग्राफी का उपयोग किया जाता है। उन्नत क्रिप्टोग्राफी लेन-देन की सुरक्षा और वैधता सुनिश्चित करती है।
- स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स (Smart Contracts): ये स्व-निष्पादित प्रोग्रामेबल कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं जो बिना किसी मध्यस्थ के पक्षों के बीच स्वचालित लेन-देन की अनुमति देते हैं। एथीरियम एक प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है जो स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग करके विकेन्द्रीकृत एप्लिकेशन बनाने की सुविधा देता है।
- आपूर्ति की सीमाएँ (Supply Limits): कई क्रिप्टोकरेंसी, जैसे बिटकॉइन, की कुल आपूर्ति सीमित होती है। नए सिक्के जटिल गणितीय समस्याओं को हल करके ‘माइन’ किए जाते हैं। सीमित आपूर्ति के साथ, अधिक अपनाने से मूल्य में वृद्धि होती है, जिसे ‘डिजिटल गोल्ड’ कहा जाता है।
- सहमति प्रोटोकॉल (Consensus Protocols): नेटवर्क के प्रतिभागी निर्धारित नियमों और प्रोटोकॉल का पालन करके लेन-देन को सत्यापित करते हैं। उदाहरण के लिए, बिटकॉइन ‘प्रूफ-ऑफ-वर्क’ प्रणाली का उपयोग करता है, जिसमें खनिक जटिल गणनात्मक समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं और बिटकॉइन में पुरस्कार प्राप्त करते हैं।
- हेर-फेर में कठिनाई (Difficulty in manipulation): क्रिप्टोग्राफी और विकेंद्रीकरण के कारण ब्लॉकचेन में किसी प्रकार की हेर-फेर करना लगभग असंभव होता है।
क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग कैसे करें (How to use cryptocurrency)?
- डिजिटल वॉलेट (Digital wallet): क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करने के लिए एक डिजिटल वॉलेट की आवश्यकता होती है। यह एक सॉफ्टवेयर है जो उपयोगकर्त्ता की सार्वजनिक और निजी कुंजियों को सुरक्षित रखता है।
- कुंजी का उपयोग (Use of keys): सार्वजनिक और निजी कुंजियों का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी भेजने, प्राप्त करने और ब्लॉकचेन पर लेन-देन सत्यापित करने के लिए किया जाता है।
ब्लॉकचेन (Blockchain):
क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा जब कोई ट्रांज़ैक्शन होता है तो वो ब्लॉक में दर्ज होता है. ब्लॉक में सीमित ट्रांज़ैक्शन ही दर्ज हो सकते हैं.
एक ब्लॉक भरने के बाद ट्रांज़ैक्शन दूसरे ब्लॉक में दर्ज होता है. ऐसा एक ब्लॉक अगले ब्लॉक से जुड़ता चला जाता है. इसी चेन को ब्लॉकचेन कहते हैं.
- प्रमुख उपयोग: ब्लॉकचेन तकनीक बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की नींव है, लेकिन इसका उपयोग डिजिटल मुद्रा से परे भी कई क्षेत्रों में किया जा सकता है, जैसे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स, सप्लाई चेन प्रबंधन, और डेटा प्रबंधन में।
वर्चुअल एसेट (Virtual Assets):
वर्चुअल एसेट का मतलब उन संपत्तियों से है, जिन्हें हम वास्तविक रूप से छू नहीं सकते। इसमें क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) जैसे बिटकॉइन, इथीरियम, और डॉजकॉइन शामिल हैं, जिन्हें डिजिटल रूप में खरीदा और बेचा जा सकता है। साथ ही इसमें नॉन-फंजिबल टोकन (NFT) भी शामिल हैं।
- NFT का उदाहरण: जैसे कि दुनिया का पहला भेजा गया एसएमएस, जिसका एक व्यक्ति ने NFT बना लिया है। यह एक अनोखा डिजिटल संपत्ति है जिसे खरीदा और बेचा जा सकता है।
- पेंटिंग्स और डिजिटल आर्ट: कई लोगों ने पेंटिंग्स और डिजिटल आर्ट को NFT के रूप में तैयार कर लिया है, जिन्हें वर्चुअल दुनिया में बेचा या खरीदा जा सकता है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी स्थिति (Legal Status of Cryptocurrencies in India):
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी स्थिति अभी भी अनिश्चित और बदलाव की प्रक्रिया में है।
- RBI की चेतावनियाँ: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग के विरुद्ध कई बार चेतावनियाँ जारी की हैं, यह कहते हुए कि ये निवेशकों के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं और कानूनी मुद्रा नहीं मानी जातीं।
- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: 2018 में, RBI ने वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन करने से रोकने के लिए एक सर्कुलर जारी किया था, जिसे 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया, जिससे क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग को वैधता मिली।
- 2022 में कराधान: केंद्रीय बजट 2022-23 में सरकार ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी क्रिप्टोकरेंसी या आभासी संपत्ति के हस्तांतरण पर 30% कर लागू होगा, जिससे क्रिप्टो निवेशकों पर कराधान की स्पष्टता बढ़ी है।
- ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी और डिजिटल मुद्रा: सरकार ने ब्लॉकचेन तकनीक के संभावित उपयोग को समझने और केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) जारी करने की संभावना पर विचार करने के लिए एक पैनल भी स्थापित किया है।
क्रिप्टोकरेंसी का महत्व (Importance of Cryptocurrency):
क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है, जो पारदर्शिता, सुरक्षा और व्यवसायों को सशक्त बनाती है।
- आर्थिक सशक्तिकरण (Economic Empowerment): क्रिप्टोकरेंसी बिना मध्यस्थों के धन हस्तांतरण को सरल और सस्ता बनाती है।
- सुरक्षा में वृद्धि (Enhanced Security): एन्क्रिप्शन और ब्लॉकचेन तकनीक लेन-देन की सुरक्षा और पारदर्शिता प्रदान करती है।
- भ्रष्टाचार की रोकथाम (Preventing Corruption): पीयर-टू-पीयर नेटवर्क पर आधारित क्रिप्टोकरेंसी भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करती है।
- व्यवसाय सशक्तिकरण (Business Empowerment): स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स जैसी सुविधाओं के साथ क्रिप्टोकरेंसी व्यापारों को टेक्नोलॉजिकल बदलाव में मदद करती है।
- पारदर्शिता (Transparency): अधिकांश क्रिप्टो प्रोटोकॉल खुले-स्रोत कोड पर आधारित होते हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ती है।
- पारंपरिक बैंकिंग से स्वतंत्रता (Independence from Traditional Banking): क्रिप्टोकरेंसी पारंपरिक बैंकों से स्वतंत्र होती है, खासकर भ्रष्ट देशों में।
- वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion): क्रिप्टोकरेंसी, जैसे Celo, लोगों को बिना बैंक के वित्तीय सेवाएं प्रदान करती है।
- विकेन्द्रीकृत वित्तीय सेवाएं (Decentralized Financial Services): क्रिप्टोकरेंसी लोन, बचत और बीमा जैसी सेवाएं विकेन्द्रीकृत अनुप्रयोगों के जरिए देती है।
क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी मुख्य चुनौतियाँ (Key challenges associated with cryptocurrencies):
- अस्थिरता और जोखिम (Volatility and risk): क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में बहुत तेज़ी से बदलाव होता है, जिससे इसका मूल्यांकन अस्थिर हो जाता है। इसकी वजह से व्यवसायों के लिए इसे एक स्थिर भुगतान विकल्प के रूप में स्वीकार करना कठिन और जोखिम भरा हो जाता है।
- विनियमन की कमी और कानूनी अस्पष्टता (Lack of regulation and legal ambiguity): क्रिप्टोकरेंसी के लिए स्पष्ट नियमों की कमी है, जिससे यह समझना मुश्किल हो जाता है कि इसे कानूनी रूप से कैसे इस्तेमाल किया जाए। यह अभी तक तय नहीं है कि क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा, संपत्ति, या सुरक्षा के रूप में मानें। इस अनिश्चितता के कारण मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण जैसी अवैध गतिविधियों का खतरा बढ़ता है।
- विज्ञापनों की भरमार और भ्रामक जानकारी (Flood of advertisements and misleading information): त्वरित लाभ कमाने के लिए क्रिप्टोकरेंसी को एक आकर्षक निवेश विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है। युवाओं को लुभाने के लिए भ्रामक ऑनलाइन और ऑफलाइन विज्ञापन किए जाते हैं, जो अक्सर असत्यापित या अतिशयोक्तिपूर्ण वादों पर आधारित होते हैं।
- समग्र अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव (Effects on the overall economy and financial stability): क्रिप्टोकरेंसी का अनियमित बाजार भारतीय निवेशकों के लिए उच्च जोखिम का कारण बनता है, जो समग्र अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
- स्टॉक मार्केट और लेन-देन में समस्याएँ (Problems in stock market and transactions): भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन पर कोई नियंत्रण नहीं है। शेयर बाजार की तरह इसमें गारंटी का भी अभाव है, जिससे यह अधिक जोखिमपूर्ण बन जाता है।
- ब्लॉकचेन की सीमित क्षमता (Limited capacity of blockchain): ब्लॉकचेन तकनीक कम संख्या में उपयोगकर्ताओं के लिए अच्छी तरह काम करती है। लेकिन जैसे-जैसे उपयोगकर्ता बढ़ते हैं, लेन-देन की प्रक्रिया में समय और लागत अधिक हो जाती है, जो उपयोगकर्ताओं को इससे जोड़ने में बाधा बन सकती है।
- सुरक्षा समस्याएँ और गोपनीयता का उल्लंघन (Security issues and privacy violations): ब्लॉकचेन नेटवर्क पर हैकिंग और मैलवेयर के खतरे बने रहते हैं। इससे गोपनीयता का उल्लंघन, अवैध सामग्री और कॉपीराइट के उल्लंघन जैसी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।
- ऊर्जा की अत्यधिक खपत (Excessive energy consumption): क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग में बहुत अधिक ऊर्जा का उपयोग होता है, जिससे यह पर्यावरण के लिए हानिकारक बन सकता है और जलवायु परिवर्तन में भी योगदान करता है।
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