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हाल ही में पटना के निकट बिहटा में बिहार के पहले ड्राई पोर्ट का उद्घाटन किया गया है। यह ड्राई पोर्ट कई महत्वपूर्ण लाभों के साथ राज्य के आर्थिक विकास में सहायक साबित हो सकता है।
क्या है ड्राई पोर्ट?
शुष्क बंदरगाह या अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (ICD) एक रसद सुविधा है जो कार्गो हैंडलिंग, भंडारण और परिवहन के लिए बंदरगाह या हवाई अड्डे से दूर स्थित होती है। यह समुद्री या हवाई बंदरगाहों और अंतर्देशीय क्षेत्रों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है, जिससे माल की कुशल आवाजाही में सुविधा होती है। वर्तमान में, भारत में लगभग 330 से अधिक ड्राई पोर्ट कार्यशील हैं।
ड्राई पोर्ट के मुख्य लाभ:
- लॉजिस्टिक्स दक्षता: ड्राई पोर्ट लॉजिस्टिक्स प्रक्रियाओं के अनुकूलन की अनुमति देते हैं, जिससे बंदरगाहों में प्रतीक्षा और कार्गो हैंडलिंग में लगने वाला समय कम हो जाता है, और इस तरह प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होता है।
- लाभप्रदता: रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थापित ड्राई पोर्ट आवश्यक वस्तुओं की सटीक संख्या की गणना और निर्माण में सहायता करते हैं, जिससे समग्र परिवहन लागत को कम किया जा सकता है।
- कार्गो प्रवाह में वृद्धि: ड्राई पोर्ट की उपस्थिति नए कार्गो प्रवाह को आकर्षित करती है, जिससे आर्थिक प्रभाव में वृद्धि होती है और कंटेनरों के टर्नअराउंड समय में कमी आती है।
- आर्थिक लाभ: ड्राई पोर्ट रोजगार और आय सृजन में सहायता करते हैं, साथ ही जनसंख्या के लिए विश्वसनीय वस्तु आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।
- बंदरगाह विस्तार: ये बंदरगाहों के प्रभाव को आस-पास के क्षेत्रों तक विस्तारित करने की अनुमति देते हैं, जिससे परिवहन लिंक के व्यापक नेटवर्क का विकास संभव होता है।
- समय की बचत: ड्राई पोर्ट से ट्रांसशिपमेंट का समय कम हो जाता है और अंतिम उपभोक्ता तक माल की डिलीवरी तेजी से होती है।
ड्राई पोर्ट के समक्ष चुनौतियाँ
- अत्यधिक निवेश लागत: ड्राई पोर्ट की स्थापना के लिए बुनियादी ढाँचे जैसे सड़क, रेलवे, गोदाम, और उपकरणों पर अत्यधिक निवेश की आवश्यकता होती है, जो अक्सर छोटे या नए निवेशकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- माल प्राप्तकर्ता को क्षति: माल को बंदरगाह के बजाय टर्मिनल से ले जाने पर माल प्राप्तकर्ता (Consignee) को नुकसान हो सकता है। उन्हें परिवहन की लागत को कवर करने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जो कुछ क्षेत्रों में ड्राई पोर्ट के कार्यान्वयन में बाधा बन सकता है।
- कार्गो संबंधी बाधाएँ: ड्राई पोर्ट पर केवल सीमित प्रकार के कार्गो का भंडारण किया जा सकता है। विशेष उपकरण या वस्तुओं के लिए भंडारण की स्थिति में सीमाएँ हो सकती हैं, जिससे कुछ उत्पादों की आवाजाही प्रभावित हो सकती है।
- संगठन की जटिलता: ड्राई पोर्ट के प्रबंधन के लिए परिवहन के विभिन्न साधनों, सीमा शुल्क सेवाओं और अन्य संरचनाओं के बीच समन्वय की आवश्यकता होती है। कुशल संचालन सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है।
- पर्यावरण संबंधी मुद्दे: लंबी दूरी के परिवहन से अतिरिक्त कार्बन उत्सर्जन और ईंधन की खपत बढ़ सकती है, जिसका पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
बिहटा ड्राई पोर्ट के बारे में:
बिहटा ड्राई पोर्ट लगभग सात एकड़ में फैला हुआ है और इसे प्रिस्टीन मगध इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और राज्य उद्योग विभाग द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मोड पर स्थापित किया गया है। इसे वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा अंतर्देशीय कंटेनर डिपो के रूप में मंजूरी दी गई है।
बिहार के लिए ड्राई पोर्ट का महत्व:
- यह बिहार जैसे भू-आबद्ध राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जहाँ निर्यात की वस्तुएँ मुख्य रूप से कृषि-आधारित, वस्त्र, और चमड़े के उत्पादों के रूप में होती हैं, जो विभिन्न स्थानों पर निर्मित होते हैं।
- ड्राई पोर्ट का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह कस्टम क्लीयरेंस प्रक्रियाओं को सरल बनाता है, जिससे बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर भीड़भाड़ कम होती है।
- यह बिहार की दीर्घकालिक औद्योगिक आकांक्षाओं को पूरा करने के साथ-साथ राज्य के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को स्थिरता और मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
- बिहटा ड्राई पोर्ट कोलकाता बंदरगाह, हल्दिया, विशाखापत्तनम, मुंद्रा और अन्य प्रमुख बंदरगाहों से रेल द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह राज्य के आयातकों और निर्यातकों के लिए आधुनिक भंडारण सुविधा प्रदान करके एक वन-स्टॉप समाधान के रूप में कार्य करेगा।
- बिहार सरकार के आंकड़ों के अनुसार, राज्य ने 2022-23 में 20,000 करोड़ रुपये का निर्यात दर्ज किया। बिहटा ड्राई पोर्ट की स्थापना से राज्य की निर्यात क्षमता में और वृद्धि होगी।
निष्कर्ष: बिहार का पहला ड्राई पोर्ट न केवल राज्य के व्यापारिक और आर्थिक परिवेश को बदल सकता है, बल्कि यह देश के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे स्थानीय उद्योगों को लाभ होगा और राज्य के विकास में गति मिलेगी।
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