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संदर्भ:
30 दिसंबर 1906 को ढाका में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग (AIML) की स्थापना हुई, जिसने भारत के विभाजन में अहम भूमिका निभाई।
अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के बारे में:
- अखिल भारतीय मुस्लिम लीग (जिसे मुस्लिम लीग के नाम से जाना जाता है) ब्रिटिश भारत में 1906 में स्थापित एक राजनीतिक दल था।
- यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विकल्प के रूप में बनाया गया था।
- इसका उद्देश्य भारतीय मुसलमानों के हितों का प्रतिनिधित्व करना था।
गठन के कारण:
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की प्रतिक्रिया: कांग्रेस के राष्ट्रवादी रुख के कारण मुसलमानों को लगा कि उनकी सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक पहचान का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है।
- मुगल साम्राज्य का पतन: मुगलों के पतन और ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों के चलते मुसलमान अपनी पारंपरिक आर्थिक और राजनीतिक प्रभुत्व खो बैठे।
- शैक्षिक संस्थानों की स्थापना: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों ने मुसलमानों में अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा दिया।
प्रमुख प्रस्ताव:
- लखनऊ समझौता (1916):
- बाल गंगाधर तिलक की अगुवाई में कांग्रेस और मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग ने लखनऊ समझौता किया।
- इसमें हिंदू-मुस्लिम संयुक्त राजनीतिक कार्रवाई और मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल की सहमति बनी।
- लाहौर प्रस्ताव (1940):
- जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग एक जन आंदोलन में तब्दील हुई।
- मार्च 1940 में हुए इस अधिवेशन में मुसलमानों के लिए स्वतंत्र राज्य की मांग की गई।
- प्रस्ताव में कहा गया कि “हिंदू राष्ट्र” के वर्चस्व में कांग्रेस मुसलमानों के साथ न्याय नहीं करेगी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी:
- स्वतंत्र भारत में एकता की मांग: मुस्लिम लीग ने शुरू में स्वतंत्र भारत में एकता की वकालत की, लेकिन उन्हें डर था कि हिंदू बहुसंख्यक आबादी के कारण मुसलमानों का दबदबा खत्म हो सकता है।
- प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के बाद का सहयोग: मुस्लिम लीग ने कांग्रेस के साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के तहत स्वराज (होम रूल) की मांग की।
- जिन्ना के 14 सूत्रीय प्रस्ताव (1920-30):
- मोहम्मद अली जिन्ना ने मुसलमानों के अधिकारों को समेकित कर 14 सूत्रीय प्रस्ताव पेश किए।
- इसमें संघीय सरकार बनाने और केंद्रीय सरकार में मुसलमानों के लिए एक-तिहाई प्रतिनिधित्व की मांग शामिल थी।
- द्वितीय विश्व युद्ध (1939):
- ब्रिटेन ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा भारत की सहमति के बिना की।
- कांग्रेस ने इसका विरोध किया, जबकि मुस्लिम लीग ने ब्रिटिश शासन की आलोचना करते हुए भी युद्ध का समर्थन किया, ताकि स्वतंत्रता वार्ता में बेहतर स्थिति हासिल की जा सके।
- ‘दो राष्ट्र सिद्धांत‘ (1940):
- जिन्ना ने ब्रिटिश भारत के वर्तमान क्षेत्रों से एक अलग मुस्लिम राज्य की मांग शुरू की।
- पाकिस्तान के विचार को भारतीय मुसलमानों के बीच व्यापक समर्थन मिला।