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संदर्भ:
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था के आकलन के लिए आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के फ्रेमवर्क को अपनाने वाला पहला विकासशील देश बन गया है। यह रिपोर्ट पारंपरिक उद्योगों जैसे व्यापार, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं, बीमा (BFSI) और शिक्षा में डिजिटल योगदान को भी शामिल करती है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था पर रिपोर्ट की मुख्य निष्कर्ष (Key Findings):
- डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान: 2022-23 में भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का राष्ट्रीय आय में 74% योगदान था, जो 2024-25 तक 13.42% तक बढ़ने का अनुमान है।
- तेजी से विकास दर: डिजिटल अर्थव्यवस्था समग्र अर्थव्यवस्था की तुलना में लगभग दोगुनी तेजी से बढ़ रही है और 2029-30 तक राष्ट्रीय आय में लगभग 20% का योगदान कर सकती है।
- अन्य क्षेत्रों से अधिक हिस्सेदारी: छह वर्षों के भीतर डिजिटल अर्थव्यवस्था का हिस्सा देश में कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों से बड़ा हो जाएगा।
- रोजगार सृजन: 2022-23 में डिजिटल अर्थव्यवस्था ने 67 मिलियन (1.46 करोड़) श्रमिकों को रोजगार दिया, जो कुल कार्यबल का 2.55% है।
- सभी क्षेत्रों में विस्तार: डिजिटल अर्थव्यवस्था केवल ICT उद्योगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे आर्थिक तंत्र में तेजी से फैल रही है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास के लिए सिफारिशें:
- नियमात्मक अनिश्चितता को कम करना: डिजिटल प्लेटफॉर्म और मध्यस्थों के लिए नियमों को स्पष्ट और स्थिर बनाना आवश्यक है।
- डिजिटल साक्षरता और कौशल विकास: डिजिटल साक्षरता बढ़ाने और डिजिटल कौशल के विकास के लिए संयुक्त प्रयास अपनाने चाहिए।
- व्यवसाय करने में आसानी: डिजिटल क्षेत्र में व्यवसाय करने के लिए प्रक्रियाओं को सरल और सुगम बनाया जाए।
- साइबर सुरक्षा और विश्वास बढ़ाना: डिजिटल लेनदेन में सुरक्षा को बढ़ावा देकर उपयोगकर्ताओं का विश्वास सुनिश्चित करना।
- स्थायी ब्रॉडबैंड नेटवर्क का निर्माण: मोबाइल कवरेज को मजबूत करने के लिए स्थायी और मजबूत फिक्स्ड-लाइन ब्रॉडबैंड नेटवर्क विकसित करना।
भविष्य की संभावनाएँ (Future Projections):
- डिजिटल अर्थव्यवस्था समग्र अर्थव्यवस्था की तुलना में लगभग दोगुनी तेजी से बढ़ेगी।
- 2030 तक यह राष्ट्रीय आय का लगभग एक-पाँचवां हिस्सा (20%) योगदान दे सकती है।
- इस विकास में डिजिटल प्लेटफॉर्म, मध्यस्थ और विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ता डिजिटलीकरण मुख्य भूमिका निभाएंगे।
डेटा और मापन से जुड़ी चुनौतियाँ (Challenges in Data and Measurement):
- रिपोर्ट में प्रस्तुत अनुमानों को सीमित डेटा उपलब्धता के कारण रूढ़िवादी माना गया है।
- प्रमुख कमी वाले क्षेत्रों में छोटे डिजिटल प्लेटफॉर्म, अनौपचारिक क्षेत्र का डिजिटलीकरण, और स्वास्थ्य व लॉजिस्टिक्स जैसे पारंपरिक क्षेत्रों का डिजिटलीकरण शामिल हैं।