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बिहार में बाढ़ की समस्या

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हाल ही में बिहार में बाढ़ ने 11.84 लाख लोगों को प्रभावित किया है, जिससे कई लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं। प्रभावितों को हवाई मार्ग से भोजन के पैकेट गिराए जा रहे हैं और वे आश्रय स्थलों में रह रहे हैं। इस संकट के दौरान, जल जनित बीमारियों के प्रति उनकी संवेदनशीलता बढ़ गई है।

  • उत्तर बिहार में बाढ़ का खतरा: हर साल उत्तर बिहार में बाढ़ आती है, जिससे लाखों लोग अपनी फसलें और पशुधन खो देते हैं। यह चक्र तब तक जारी रहता है जब तक कि कोई स्थायी समाधान नहीं निकलता। बिहार की भौगोलिक स्थिति और दशकों से चल रही अदूरदर्शी योजनाएं इस समस्या के मुख्य कारण हैं।
  • बिहार का भूगोल और बाढ़: बिहार भारत का सबसे अधिक बाढ़-प्रवण राज्य है, जहां उत्तर बिहार की 76 प्रतिशत जनसंख्या बाढ़ के खतरे में रहती है। यहाँ की नदियाँ, जो हिमालय से निकलती हैं, बारिश के दौरान पानी का बहाव बहुत ज्यादा होता हैं।
  • बिहार के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बाढ़ को चार श्रेणियों में विभाजित किया है:
  1. अचानक आने वाली बाढ़ – जो नेपाल में बारिश के कारण होती है।
  2. नदी की बाढ़ – जिसमें बाढ़ का समय 24 घंटे होता है।
  3. जल निकासी की भीड़ – जिसमें बाढ़ पूरे मानसून मौसम तक बनी रहती है।
  4. स्थायी जल भराव – जो कई कारणों से होती है, जैसे गाद से भरी नदियाँ और जल निकासी चैनलों का अतिक्रमण।

तटबंध और कोसी नदी:

  • कोसी नदी, जिसे ‘बिहार का शोक’ कहा जाता है, ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।
  • स्वतंत्रता के बाद, 1950 के दशक में कोसी के बहाव को रोकने के लिए तटबंध बनाए गए थे, लेकिन ये स्थायी समाधान नहीं साबित हुए हैं।
  • तटबंधों ने नदी के मार्ग को संकीर्ण कर दिया है, जिससे तलछट का स्तर बढ़ रहा है और बाढ़ की संभावना बढ़ गई है।
  • इस बार बाढ़ की स्थिति और भी गंभीर है क्योंकि नेपाल में कोसी पर बने बीरपुर बैराज से 6 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो पिछले छह दशकों में सबसे अधिक है।

बिहार में बाढ़ का प्रभाव:

  • बिहार में बाढ़ का असर केवल जान-माल के नुकसान तक सीमित नहीं है। इसमें फसलों, बुनियादी ढांचे, पशुधन की हानि और राज्य से बाहर पलायन की आर्थिक लागत भी शामिल है।
  • राज्य सरकार हर साल बाढ़ प्रबंधन और राहत के लिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये खर्च करती है।

संभावित समाधान:

  • कोसी पर बांध बनाने का प्रस्ताव लंबे समय से किया जा रहा है, लेकिन इसके लिए नेपाल की भागीदारी भी आवश्यक है।
  • हाल ही में, बिहार के उपमुख्यमंत्री ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री से कोसी पर “एक अतिरिक्त बैराज” बनाने का अनुरोध किया है। हालांकि, तटबंधों के अनुभव से यह स्पष्ट है कि कोसी समस्या का स्थायी समाधान इंजीनियरिंग उपायों से नहीं निकल सकता।

निष्कर्ष: बिहार में बाढ़ की समस्या जटिल है, और इसके लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें संरचनात्मक उपायों के साथ-साथ नीतिगत और सामाजिक उपाय भी शामिल हों।

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