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भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने अपनी मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए एक व्यापक डिजिटल परिवर्तन पहल शुरू की है, जिसे “अन्न दर्पण” नामक एक नई एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन प्रणाली के रूप में कार्यान्वित किया जा रहा है। यह पहल उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत 100 दिन की उपलब्धियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अन्न दर्पण प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ:
- डिजिटल परिवर्तन: अन्न दर्पण प्रणाली भारतीय खाद्य निगम के सभी स्तरों पर आपूर्ति श्रृंखला के संचालन और सेवाओं को आधुनिक और सुव्यवस्थित बनाने पर केंद्रित है। यह मंडियों, मिलों, डिपो, क्षेत्रीय और मुख्यालय स्तरों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगी।
- तकनीकी सुधार: यह प्रणाली उन्नत प्रौद्योगिकी और अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए बनाई जा रही है। इसके तहत क्लाउड होस्टिंग, सर्विस मेश आर्किटेक्चर, और एपीआई-आधारित एकीकरण जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
- बेहतर प्रदर्शन और उत्पादकता: आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जाएगा।
- डेटा-संचालित निर्णय: यह प्रणाली डेटा एनालिटिक्स का उपयोग कर निर्णय लेने की प्रक्रिया को अधिक जानकारीपूर्ण और प्रभावी बनाएगी। एक केंद्रीकृत एनालिटिक्स प्लेटफ़ॉर्म इसके लिए विकसित किया जा रहा है।
- इंटरएक्टिव और उपयोगकर्ता-अनुकूल डिज़ाइन: इस नई प्रणाली का उपयोगकर्ता इंटरफेस सहज और सरल होगा, जिससे उपयोगकर्ताओं को इसे संचालित करने में आसानी होगी।
- सचलता-प्रथम दृष्टिकोण: प्रणाली को किसी भी समय और किसी भी स्थान से आसानी से उपयोग किया जा सकेगा।
मेसर्स कोफोर्ज लिमिटेड की भूमिका:
मेसर्स कोफोर्ज लिमिटेड को इस प्रणाली के डिजाइन, विकास, कार्यान्वयन और रखरखाव के लिए चुना गया है। 14 जून 2024 को अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के बाद यह प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू की गई। कोफोर्ज लिमिटेड ने भारतीय खाद्य निगम के संचालन का गहन अध्ययन कर आवश्यकताओं का विश्लेषण और दस्तावेजीकरण किया है।
प्रमुख उद्देश्य:
- आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता और उत्पादकता को अनुकूलित करना।
- इंटरफेस को उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाना।
- डेटा के माध्यम से रणनीतिक निर्णय लेने में मदद करना।
- भारतीय खाद्य निगम की आंतरिक और बाहरी प्रणालियों का एकीकरण करना।
- मौजूदा प्रणालियों को विलय कर अतिरेक को समाप्त करना और कार्यकुशलता बढ़ाना।
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के बारे में:भारतीय खाद्य निगम (FCI) की स्थापना 1964 में खाद्य निगम अधिनियम के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य भारत की खाद्य नीति के तीन प्रमुख उद्देश्यों को पूरा करना है:
FCI की भूमिका:अपनी स्थापना के बाद से, FCI ने भारत की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने खाद्य संकट प्रबंधन प्रणाली को स्थिर और भरोसेमंद प्रणाली में परिवर्तित किया है। इसके माध्यम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली और बफर स्टॉक प्रबंधन में सुधार हुआ है, जिससे देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। वाहन स्थान ट्रैकिंग प्रणाली (VLTS):FCI ने वाहनों और ट्रकों की वास्तविक समय में आवाजाही को ट्रैक करने के लिए नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) – उत्तराखंड इकाई के सहयोग से वाहन स्थान ट्रैकिंग प्रणाली (VLTS) विकसित की है। इस प्रणाली के तहत ट्रकों की गतिविधियों को भू-निर्देशांक और मानचित्रों के माध्यम से ऑनलाइन निगरानी की जाती है। इससे खाद्यान्नों की आपूर्ति शृंखला में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित की जाती है। FCI की यह पहल न केवल आपूर्ति शृंखला को कुशल बनाती है, बल्कि किसानों और आम नागरिकों दोनों के हितों की रक्षा करने में मदद करती है। |
निष्कर्ष: अन्न दर्पण प्रणाली भारतीय खाद्य निगम की आपूर्ति श्रृंखला को डिजिटल रूप से सक्षम बनाकर उसे आधुनिक और कुशल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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