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संदर्भ:
भारत में जंगल में आग लगने की घटनाएँ: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच मौसमों (2019-2024) में भारत में दर्ज कुल वनाग्नि (Forest Fire) घटनाओं का लगभग 50% केवल पांच राज्यों से है। इन राज्यों में 5 लाख से अधिक वनाग्नि (Forest Fire) की घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं, जो पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर गंभीर प्रभाव डालती हैं।
भारत में जंगल में आग – प्रमुख तथ्य:
- राष्ट्रीय आपदा के रूप में मान्यता: 2019 में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने जंगल की आग को राष्ट्रीय आपदाओं में शामिल किया।
- संवेदनशील वन क्षेत्र:
- ISFR 2021 रिपोर्ट के अनुसार, देश के 36% वन क्षेत्र नवंबर से जून के बीच बार-बार आग लगने के प्रति संवेदनशील हैं।
- इनमें से 2.81% क्षेत्र अत्यधिक अग्नि-प्रवण और 7.85% बहुत उच्च अग्नि-प्रवण श्रेणी में आते हैं।
- सबसे अधिक प्रभावित राज्य (2019-2024): ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में 50% जंगल की आग की घटनाएं दर्ज की गईं।
- 2023-24 में सबसे अधिक घटनाएं: उत्तराखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ शीर्ष तीन राज्य रहे जहां सबसे अधिक आग की घटनाएं हुईं।
भारत में जंगल की आग के कारण:
- प्राकृतिक कारण:
- बिजली गिरना: आकाशीय बिजली जब सूखी पत्तियों या अन्य ज्वलनशील पदार्थों पर गिरती है, तो आग भड़क सकती है।
- ज्वालामुखी विस्फोट: लावा बहकर जंगलों में फैलता है और आग लगने का कारण बनता है।
- उच्च तापमान: गर्म और शुष्क मौसम, साथ ही घने जंगल, आग फैलाने में सहायक होते हैं।
- मानवजनित कारण: जलती हुई बीड़ी, सिगरेट, खुली आग, बिजली के तारों से निकली चिंगारी आदि से जंगल में आग लग सकती है।
भारत में जंगल की आग का प्रभाव:
- जैव विविधता का नुकसान: वनस्पति, पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं को भारी नुकसान।
- मिट्टी का कटाव: मिट्टी खुली रहने से उपजाऊ परत बह जाती है।
- मिट्टी की उर्वरता में कमी: मिट्टी का जैविक पदार्थ और नाइट्रोजन भंडार नष्ट।
- झूम खेती पर असर: छोटे झूम चक्र से मिट्टी की उर्वरता घटती है।
- वन्यजीवों को नुकसान: आवास नष्ट होने से शिकार और मृत्यु का खतरा।
- वायु प्रदूषण: हानिकारक गैसों और धुएं का उत्सर्जन।
- जलवायु परिवर्तन: कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से पर्यावरण प्रभावित।
भारत में जंगल की आग रोकने के लिए उठाए गए कदम:
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) 2019: संशोधित NDMP 2019 में जंगल की आग को एक आपदा के रूप में शामिल किया गया।
- फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम: 2004 से FSI ने जंगल की आग की रीयल-टाइम निगरानी के लिए यह प्रणाली विकसित की।
- जनवरी 2019 में उन्नत संस्करण NASA और ISRO से प्राप्त उपग्रह डेटा का उपयोग करता है।
- फायर वेदर इंडेक्स आधारित प्रणाली (FFDRS): आग के लिए संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान।
- जोखिम कम करने और संसाधन आवंटन में मदद।
- वन अग्नि जियो–पोर्टल: भारत में जंगल की आग से संबंधित जानकारी के लिए एकल स्रोत के रूप में कार्य करता है।
- राष्ट्रीय वन अग्नि कार्य योजना (NAPFF): 2018 में MoEF&CC द्वारा शुरू की गई।
- जंगल की आग को कम करने के लिए समुदायों को जानकारी देना, सशक्त बनाना और उन्हें प्रोत्साहित करना।