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संदर्भ:
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 17 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान घटकर 11 महीनों के निचले स्तर $623 बिलियन पर पहुंच गया।
मुख्य बिंदु:
- विदेशी मुद्रा भंडार में कमी: 1.9 अरब डॉलर की कमी आई है विदेशी मुद्रा भंडार में, जो कि गैर-डॉलर संपत्तियों के पुनर्मूल्यांकन और केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की मांग को पूरा करने के लिए डॉलर की बिक्री के कारण हुई।
- विदेशी मुद्रा और सोने का मूल्य: विदेशी मुद्रा संपत्तियों में 2.9 अरब डॉलर की गिरावट आई, जबकि सोने का मूल्य 1 अरब डॉलर बढ़ा।
- सोने का महत्व: इस वित्तीय वर्ष में विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिरता बनाए रखने में सोने का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, क्योंकि विदेशी मुद्रा संपत्तियाँ गिर रही हैं।
- निचले स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार: विदेशी मुद्रा भंडार का वर्तमान स्तर फरवरी 23, 2024 से कम है, जब यह 619 अरब डॉलर था।
- कुल गिरावट: 27 सितंबर 2024 को 705 अरब डॉलर के शिखर से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब 82 अरब डॉलर घट चुका है।
विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves):
- परिभाषा: विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) वह आरक्षित संपत्तियाँ हैं जो केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्राओं में रखते हैं।
- इसमें क्या शामिल है: विदेशी मुद्राएँ, बॉंड, ट्रेजरी बिल्स और अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल होती हैं।
- कानूनी ढांचा: भारत में, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 के तहत RBI को Forex Reserves का संरक्षक (Custodian) नियुक्त किया गया है।
- विदेशी मुद्रा भंडार का संघटन: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार निम्नलिखित से बना है:
- विदेशी मुद्रा संपत्तियाँ (FCAs): जैसे US डॉलर, यूरो, पाउंड स्टर्लिंग, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर और जापानी येन में रखी जाती हैं।
- सोना: RBI के पास Forex Reserves के रूप में रखा जाता है।
- SDR (Special Drawing Rights): यह IMF के पास रखी जाने वाली रिजर्व मुद्रा है।
- RTP (Reserve Tranche Position): यह IMF के पास रखी जाने वाली रिजर्व पूंजी है।
- प्रमुख योगदानकर्ता: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ा योगदान विदेशी मुद्रा संपत्तियों का है, इसके बाद सोने का स्थान है।
विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) का महत्व/आवश्यकता:
- संकट प्रबंधन: संकट के समय में बाहरी जोखिमों को सीमित करना, ताकि विदेशी मुद्रा तरलता बनाए रखी जा सके और संकट के दौरान झटकों को सहन किया जा सके।
- वित्तीय दायित्वों को पूरा करना: विदेशी मुद्रा भंडार कर्ज चुकाने और आयातों को वित्तपोषित करने में मदद करता है।
- निवेशकों का भरोसा: बाजारों, विशेष रूप से क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को यह विश्वास दिलाना कि बाहरी दायित्वों को हमेशा पूरा किया जा सकता है।
- अन्य कारण: विदेशी मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप करने की क्षमता को बढ़ाना आदि।