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नीति आयोग ने ‘भविष्य की महामारी की तैयारी और आपातकालीन प्रतिक्रिया – कार्रवाई के लिए एक रूपरेखा’ नामक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में विशेषज्ञ समूह ने देश को भविष्य की किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल या महामारी से निपटने के लिए एक व्यापक योजना का सुझाव दिया है।
भविष्य की महामारी चुनौतियाँ:
- COVID-19 महामारी आखिरी नहीं हैं, तेजी से बदलते पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानव-पशु संबंधों के कारण भविष्य में और भी बड़े संक्रमण का खतरा हो सकता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि भविष्य में 75% सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे जानवरों से फैलने वाली बीमारियों (ज़ूनोटिक रोग) से होंगे।
- इस खतरे को ध्यान में रखते हुए, नीति आयोग ने विशेषज्ञ समूह का गठन किया। इस समूह ने COVID-19 के अनुभव से सीखे गए सबक और सामने आई कमियों का विश्लेषण किया। इसका उद्देश्य भविष्य में बेहतर तरीके से महामारी और स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए एक कार्य योजना तैयार करना था।
भारत की COVID-19 प्रतिक्रिया:
भारत ने महामारी के दौरान कई महत्वपूर्ण कदम उठाए:
- अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए उद्योगों और शोधकर्ताओं को फंडिंग दी गई।
- सार्वजनिक-निजी साझेदारी और वैश्विक सहयोग की दिशा में कदम उठाए गए।
- महामारी से निपटने के लिए डिजिटल उपकरणों में निवेश किया गया, जिससे बड़ी जनसंख्या का डेटा प्रबंधित करने में सहायता मिली।
प्रमुख सिफारिशें:
रिपोर्ट में 100 दिनों के भीतर प्रभावी प्रतिक्रिया देने की बात कही गई है, क्योंकि शुरुआती 100 दिन महामारी के प्रकोप में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इस रिपोर्ट ने चार प्रमुख क्षेत्रों में सिफारिशें दी हैं:
- नियमन, कानून, वित्त और प्रबंधन: महामारी से निपटने के लिए एक सुदृढ़ कानून और वित्तीय प्रणाली बनानी चाहिए।
- डेटा प्रबंधन और निगरानी: एक सशक्त निगरानी प्रणाली होनी चाहिए, जिससे बीमारियों का जल्दी पता लगाया जा सके और उन्हें रोका जा सके।
- अनुसंधान और नवाचार: नए टीकों और तकनीकों के लिए अनुसंधान केंद्र और कौशल विकास के लिए केंद्र स्थापित किए जाएं।
- साझेदारी और सामुदायिक सहभागिता: स्थानीय और वैश्विक स्तर पर समुदायों, निजी क्षेत्र और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग बढ़ाया जाए।
रिपोर्ट का महत्व:
इस रिपोर्ट को तैयार करने में 60 से अधिक विशेषज्ञों और हितधारकों से परामर्श लिया गया। इसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों, और COVID-19 की अग्रिम पंक्ति में काम करने वाले लोगों का सहयोग लिया गया। रिपोर्ट में सीखे गए सबक और भविष्य के लिए आवश्यक तैयारियों पर चर्चा की गई है।
यह रिपोर्ट देश की महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य देश को भविष्य की किसी भी स्वास्थ्य आपातकाल के लिए तैयार करना है, जिससे बेहतर और तेज़ी से कार्रवाई की जा सके।
महामारी प्रबंधन के लिए मौजूदा ढाँचा:
- ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता‘ राज्य सूची के प्रविष्टि 6 (सातवीं अनुसूची) के अंतर्गत आता है।
- समवर्ती सूची की प्रविष्टि 29 के तहत केंद्र और राज्य, दोनों को संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए कानून बनाने का अधिकार है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमन (2005) सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
- 1897 का महामारी रोग अधिनियम (EDA) इस विषय पर मुख्य कानून है।
- एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम बीमारी की निगरानी के लिए कार्य करता है।
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नीति आयोग:
- राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्था, जिसे नीति आयोग भी कहा जाता है, का गठन 1 जनवरी, 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक प्रस्ताव के माध्यम से किया गया था।
- नीति आयोग भारत सरकार का प्रमुख नीति से संबंधित ‘थिंक टैंक’ है, जो निदेशात्मक और नीतिगत इनपुट प्रदान करता है।
- नीति आयोग भारत सरकार के लिए कार्यनीतिक और दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों को तैयार करते हुए, केंद्र और राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों को उपयुक्त तकनीकी सलाह भी प्रदान करता है।
- नीति आयोग भारत सरकार के सर्वोत्कृष्ट मंच के रूप में कार्य करता है जो राज्यों को राष्ट्रीय हित में एक साथ कार्य करने के लिए लाता है, और जिससे सहयोगी संघवाद को बढ़ावा मिलता है।
- 06 जून 2019 को, प्रधान मंत्री ने नीति आयोग के पुनर्गठन को मंजूरी दी।
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