संदर्भ:
वैश्विक मुक्त भाषण सूचकांक 2024: अमेरिका स्थित थिंक टैंक “द फ्यूचर ऑफ फ्री स्पीच“ द्वारा किए गए एक वैश्विक सर्वेक्षण में भारत को 33 देशों में से 24वां स्थान मिला है। यह रैंकिंग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति सार्वजनिक समर्थन के आधार पर दी गई है।
वैश्विक मुक्त भाषण सूचकांक 2024 के बारे में:
परिचय:
- फ्यूचर ऑफ फ्री स्पीच (The Future of Free Speech) एक स्वतंत्र अमेरिकी थिंक टैंक है जिसने यह रिपोर्ट ‘Who in the World Supports Free Speech?’ शीर्षक से जारी की।
- यह रिपोर्ट 33 देशों में लोगों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति रवैये का मूल्यांकन करती है, जिसमें रुझान, क्षेत्रीय विविधताएँ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सामने आने वाली चुनौतियाँ शामिल हैं।
- रिपोर्ट में यह बताया गया है कि विवादास्पद भाषणों की सुरक्षा के प्रति समर्थन में कमी आई है, हालांकि कई देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति समर्थन मजबूत है।
भारत की रैंकिंग:
- ग्लोबल फ्री स्पीच इंडेक्स 2024 में भारत को 33 देशों में 24वां स्थान प्राप्त हुआ है, और इसका स्कोर 62.6 है।
- भारतीय आमतौर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को महत्वपूर्ण मानते हैं, लेकिन 37% उत्तरदाताओं का मानना है कि सरकार की नीतियों की आलोचना पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
- यह प्रतिशत सर्वेक्षण किए गए सभी देशों में सबसे अधिक है।
- भारत इस सामान्य रुझान से भिन्न है, क्योंकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति सार्वजनिक समर्थन और वास्तविक सुरक्षा में मेल नहीं दिखता, जिससे सरकार द्वारा अभिव्यक्ति पर बढ़ते प्रतिबंधों का संकेत मिलता है।
वैश्विक मुख्य बिंदु:
- नॉर्वे (87.9) और डेनमार्क (87.0) रैंकिंग में सबसे आगे हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता दर्शाते हैं।
- इंडोनेशिया (56.8), मलेशिया (55.4), और पाकिस्तान (57.0) ने सबसे अधिक सुधार दिखाया है, हालांकि वे अभी भी निचले पायदान पर हैं।
- कई लोकतांत्रिक देशों जैसे अमेरिका, इज़राइल, और जापान में 2021 के बाद से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थन में गिरावट आई है।
- हंगरी (85.5) और वेनेज़ुएला (81.8) ने उच्च स्कोर हासिल किया है, जो यह दर्शाता है कि सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति सार्वजनिक दृष्टिकोण में असंगति है।
भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार नागरिकों को अपनी राय स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की अनुमति देता है।
- यह अधिकार विभिन्न रूपों में अभिव्यक्ति को शामिल करता है, जैसे कि भाषण, लेखन, कला, डिजिटल मीडिया, सूचना का अधिकार (RTI), और यहां तक कि न बोलने का अधिकार भी।
- हालांकि, यह अधिकार अनुच्छेद 19(2) के तहत सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और शालीनता जैसे कारणों के आधार पर युक्तिसंगत प्रतिबंधों के अधीन होता है।
भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चुनौतियाँ:
- कानूनी और राजनीतिक प्रतिबंध:
- देशद्रोह कानून (IPC धारा 124A) का राजनीतिक असहमति दबाने के लिए इस्तेमाल।
- UAPA के तहत पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी आवाज़ों को निशाना बनाए जाने की आलोचना।
- IT नियम 2021 सरकार को डिजिटल सामग्री नियंत्रित करने की शक्ति देते हैं, जिससे सेंसरशिप की चिंताएँ बढ़ती हैं।
- आत्म–सेंसरशिप में वृद्धि:
- कानूनी कार्रवाई और ऑनलाइन उत्पीड़न के डर से खुली अभिव्यक्ति में कमी।
- मीडिया पर राजनीतिक और आर्थिक दबाव, जिससे पक्षपाती रिपोर्टिंग या विवादास्पद मुद्दों से बचाव।
- चुनिंदा समर्थन: सिद्धांत रूप में स्वतंत्रता का समर्थन, लेकिन राजनीतिक या धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ होने पर विरोध।