संदर्भ:
वित्त मंत्रालय ने गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत मध्यम और दीर्घकालिक जमा (Medium & Long-term deposits) बंद करने की घोषणा की है। हालांकि, बैंक अपनी सुविधा के अनुसार 1-3 साल के अल्पकालिक स्वर्ण जमा (Short-Term Gold Deposits) जारी रख सकते हैं।
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम / Gold Monetisation Scheme (GMS):
- परिचय:
- GMS की घोषणा 15 सितंबर 2015 को की गई थी।
- यह ‘Gold Deposit Scheme’ और ‘Gold Metal Loan’ योजना को मिलाकर बनाया गया है।
- उद्देश्य:
- भारत की लंबी अवधि की स्वर्ण आयात (Gold Imports) पर निर्भरता कम करना।
- घरेलू और संस्थागत सोने को औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाना।
- GMS के प्रमुख घटक:
- शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (1-3 वर्ष):
- ब्याज दर: बदलती रहती है (Variable Interest Rate)।
- बैंक इस पर खुद निर्णय लेते हैं।
- मध्यम अवधि की सरकारी जमा (5-7 वर्ष): ब्याज दर 25% प्रति वर्ष।
- दीर्घकालिक सरकारी जमा (12-15 वर्ष): ब्याज दर 5% प्रति वर्ष।
- शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (1-3 वर्ष):
ब्याज दर निर्धारण:
- मध्यम और दीर्घकालिक सरकारी जमा (MLTGD) की ब्याज दर केंद्र सरकार और RBI मिलकर तय करते हैं।
- शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट की ब्याज दर बैंक स्वयं तय करते हैं।
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (GMS) की विशेषताएँ:
- न्यूनतम और अधिकतम जमा सीमा
- न्यूनतम जमा: 10 ग्राम सोना (सोने की छड़ें, सिक्के, आभूषण – बिना रत्न या अन्य धातु)।
- अधिकतम जमा: कोई ऊपरी सीमा नहीं, व्यक्ति और संस्थान असीमित मात्रा में सोना जमा कर सकते हैं।
- ब्याज और लाभ
- ब्याज रुपये में नहीं, सोने में मिलता है, जिससे मुद्रा विनिमय दरों के प्रभाव से सुरक्षा मिलती है।
- ब्याज कर मुक्त (Tax-Free) है, जो इसे एक लाभकारी निवेश विकल्प बनाता है।
- शुद्धता जांच और पारदर्शिता
- सोने की शुद्धता का परीक्षण CPTCs (Collection & Purity Testing Centres) द्वारा किया जाता है।
- अधिकतम पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए केवल प्रमाणित सोना ही स्वीकार किया जाता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) योजना:
- 2015 में लॉन्च किया गया।
- मुख्य उद्देश्य:
- भौतिक सोने की मांग को कम करना।
- लोगों की बचत को वित्तीय परिसंपत्तियों (Financial Assets) की ओर मोड़ना।
- ब्याज दर:
- प्रारंभिक निवेश पर 5% वार्षिक ब्याज।
- ब्याज हर छह महीने में निवेशक के बैंक खाते में जमा होता है।
- GMS और SGB दोनों योजनाएँ भारत की गोल्ड आयात निर्भरता को कम करने और वित्तीय बचत को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई हैं।