Apni Pathshala

ज़मीनी स्तर पर ओजोन प्रदूषण

Download Today Current Affairs PDF

ज़मीनी स्तर पर ओजोन प्रदूषण: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने केंद्र सरकार से दिल्ली में ओजोन स्तर को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की सिफारिशों के कार्यान्वयन पर जवाब मांगा है।

CPCB रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

  1. मानकों से अधिक ओज़ोन स्तर: कई निगरानी स्टेशनों पर ओज़ोन का स्तर राष्ट्रीय मानक (100 µg/m³, 8 घंटे) से अधिक पाया गया।
  2. उच्चतम स्तर:
    • नेहरू नगर:9 µg/m³ (56 दिन)
    • पटपड़गंज:3 µg/m³ (45 दिन)
    • आरके पुरम:4 µg/m³ (अप्रैल-मई 2023 में खतरनाक स्तर)
    • अरविंदो मार्ग: 38 दिनों तक ऊंचे स्तर दर्ज किए गए।
  3. ट्रैफिकप्रभावित क्षेत्र: भारी ट्रैफिक वाले क्षेत्रों में अप्रैल-मई 2023 के दौरान खतरनाक ओज़ोन स्तर देखे गए।
  4. प्रमुख कारण:
    • वाहनों से उत्सर्जन, बायोमास जलाना, औद्योगिक गतिविधियां।
    • सीमा पार उत्सर्जन और जैविक स्रोत भी योगदान देते हैं।

ज़मीनी स्तर पर ओजोन प्रदूषण क्या है?

  1. परिभाषा:
    • जमीनी स्तर का ओजोन (O₃) पृथ्वी की सतह के पास बनने वाला ओजोन है, जो वायुमंडल में रासायनिक प्रतिक्रियाओं से बनता है।
    • यह समताप मंडल में मौजूद सुरक्षात्मक ओजोन परत से अलग है और एक हानिकारक प्रदूषक के रूप में कार्य करता है।
  2. स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव: जमीनी स्तर का ओजोन गंभीर स्वास्थ्य खतरों और पर्यावरणीय क्षति का कारण बनता है।
  3. निर्माण प्रक्रिया:
    • प्रकार: यह एक द्वितीयक प्रदूषक है (प्रत्यक्ष रूप से उत्सर्जित नहीं होता)।
    • रासायनिक प्रतिक्रिया: यह नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) के बीच प्रतिक्रियाओं से बनता है।
    • स्रोत:
      • NOx: वाहन, पावर प्लांट, औद्योगिक प्रक्रियाएँ।
      • VOCs: वाहन, पेट्रोल पंप, सॉल्वेंट, कचरा जलाना।
    • स्थिति: सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में यह प्रतिक्रिया होती है, जिससे ओजोन का निर्माण धूप वाले और गर्म दिनों में अधिक होता है।

जमीनी स्तर के ओजोन प्रदूषण का प्रभाव:

  1. स्वास्थ्य प्रभाव:
    • स्वसन समस्याएँ: जमीनी स्तर का ओजोन श्वसन समस्याओं का कारण बनता है और अस्थमा और हृदय रोग जैसी स्थितियों को और बढ़ाता है।
    • दीर्घकालिक प्रभाव: लगातार ओजोन के संपर्क में आने से फेफड़ों की क्षमता घट सकती है और स्थायी क्षति हो सकती है।
    • 2050 तक संभावित परिणाम: अगर उत्सर्जन को नियंत्रित नहीं किया गया, तो भारत में 2050 तक ओजोन के संपर्क में आने से एक मिलियन से अधिक मौतें हो सकती हैं।
  2. पर्यावरणीय प्रभाव:
    • कृषि पर प्रभाव: ओजोन फसलों को नुकसान पहुँचाता है, जिससे कृषि उत्पादन में कमी आती है।
    • वनों पर प्रभाव: ओजोन पेड़ों की वृद्धि और प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करता है, जिससे वनस्पति जीवन पर बुरा असर पड़ता है।

ओजोन नियंत्रण के लिए सुझाव:

  • प्रमुख अवयवों का नियंत्रण: ओजोन नियंत्रण मुख्य रूप से इसके उत्प्रेरकों को कम करके प्राप्त किया जा सकता है, जैसे कि नाइट्रस ऑक्साइड (NOx), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs), मीथेन, और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)।
  • स्थानीय नियंत्रण की सीमाएं: उत्प्रेरकों का स्थानीय स्तर पर नियंत्रण ओजोन स्तरों को महत्वपूर्ण रूप से कम नहीं कर सकता है, क्योंकि ओजोन और इसके उत्प्रेरक दोनों लंबी दूरी तक यात्रा कर सकते हैं।
  • राष्ट्रीय स्तर पर पहल: इन उत्प्रेरकों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहल और नीतियाँ आवश्यक हैं।

Share Now ➤

क्या आपको Apni Pathshala के Courses, RNA PDF, Current Affairs, Test Series और Books से सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए? तो हमारी विशेषज्ञ काउंसलर टीम आपकी सिर्फ समस्याओं के समाधान में ही मदद नहीं करेगीं, बल्कि आपको व्यक्तिगत अध्ययन योजना बनाने, समय का प्रबंधन करने और परीक्षा के तनाव को कम करने में भी मार्गदर्शन देगी।

Apni Pathshala के साथ अपनी तैयारी को मजबूत बनाएं और अपने सपनों को साकार करें। आज ही हमारी विशेषज्ञ टीम से संपर्क करें और अपनी सफलता की यात्रा शुरू करें

📞 +91 7878158882

Related Posts

Scroll to Top