Download Today Current Affairs PDF
एलन मस्क की कंपनी SpaceX 19 नवंबर को भारत के भारी संचार उपग्रह GSAT-20 को अमेरिका के केप कैनवेरल से लॉन्च करेगी।
GSAT-20 उपग्रह का स्पेसएक्स से प्रक्षेपण – मुख्य बिंदु
- प्रक्षेपण तिथि और स्थान
- जीसैट-20 (GSAT-20) को 19 नवंबर को अमेरिका के केप कैनेवरल से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
- उपग्रह का महत्व
- यह भारत का एक भारी संचार उपग्रह है जिसका वजन 4,700 किलोग्राम है।
- यह 14 वर्षों तक कार्य करेगा और दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करेगा।
SpaceX का योगदान
- प्रक्षेपण रॉकेट: जीसैट-20 को स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा।
- क्षमता: फाल्कन-9 रॉकेट 8,300 किलोग्राम तक के पेलोड को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट तक पहुंचा सकता है।
स्पेसएक्स का चयन क्यों किया गया?
- भारतीय रॉकेट की सीमा: जीसैट-20 का वजन इसरो के एलवीएम-3 (बाहुबली) रॉकेट की क्षमता से अधिक है।
- फ्रेंच कंपनी पर निर्भरता समाप्त: पहले इसरो एरियनस्पेस पर निर्भर था, लेकिन उनके पास अब कार्यशील रॉकेट नहीं हैं।
- विश्वसनीय और किफायती विकल्प: भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए स्पेसएक्स एक भरोसेमंद और किफायती विकल्प है।
लॉन्च का सौदा
- इसरो के वाणिज्यिक भाग, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के प्रमुख राधाकृष्णन दुरईराज ने बताया कि इसरो को स्पेसएक्स के साथ यह प्रक्षेपण सौदा एक उचित कीमत पर मिला है।
महत्व
- संचार नेटवर्क का सशक्तिकरण: जीसैट-20 भारत के संचार ढांचे को मजबूत करेगा।
- रणनीति में बदलाव: यह भारत के उपग्रह प्रक्षेपण रणनीति में बदलाव को दर्शाता है, जिसमें एरियनस्पेस की अनुपलब्धता के कारण स्पेसएक्स पर निर्भरता बढ़ी है।
- लाभकारी समझौता: स्पेसएक्स के साथ यह सौदा किफायती और भारत के लिए लाभकारी माना जा रहा है।
इसरो का परिचय
- स्थापना:
इसरो (ISRO) की स्थापना 15 अगस्त 1969 को हुई थी। इसे भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) के स्थान पर बनाया गया। - मुख्यालय:
इसरो का मुख्यालय बेंगलुरु में स्थित है। - कार्य:
- अंतरिक्ष अन्वेषण (Space Exploration)।
- अंतरिक्ष आधारित सेवाएं जैसे संचार, नेविगेशन।
- अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग।
- संबंधित तकनीकों का विकास।
- सैटेलाइट्स:
इसरो विभिन्न प्रकार के सैटेलाइट्स का संचालन करता है:- रिमोट सेंसिंग, संचार और इमेजिंग के लिए।
- नेविगेशन के लिए GAGAN और IRNSS सिस्टम।
इसरो के प्रमुख अनुसंधान केंद्र
- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC):
- तिरुवनंतपुरम में स्थित।
- लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) बनाने का कार्य।
- यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC):
- बेंगलुरु में स्थित।
- सैटेलाइट्स डिजाइन और विकास।
- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC):
- श्रीहरिकोटा में स्थित।
- सैटेलाइट्स और लॉन्च व्हीकल्स को एकीकृत और लॉन्च करना।
- लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC):
- वलियामला और बेंगलुरु में स्थित।
- लिक्विड और क्रायोजेनिक स्टेज का विकास।
- स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (SAC):
- अहमदाबाद में स्थित।
- सेंसर्स और रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट्स का विकास।
- नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC):
- हैदराबाद में स्थित।
- सैटेलाइट डेटा रिसीव, प्रोसेस और वितरण।
इसरो की गतिविधियां
- मौसम पूर्वानुमान।
- प्रसारण सेवाएं।
- आपदा प्रबंधन।
- नेविगेशन।
- भू-स्थानिक सूचना प्रणाली (GIS)।
- टेलीमेडिसिन (दूरस्थ चिकित्सा)।
- दूरस्थ शिक्षा।
- मानचित्रण।
स्पेसएक्स: मुख्य तथ्य
- स्थापना और उद्देश्य:
- 2001 में एलन मस्क ने अंतरिक्ष प्रक्षेपण लागत घटाने और मंगल पर उपनिवेश बनाने के उद्देश्य से स्थापना की।
- मुख्यालय:
- टेक्सास के ब्राउन्सविले के पास स्पेसएक्स स्टारबेस।
- प्रमुख उपलब्धियां:
- 2008: फाल्कन 1 की सफल कक्षीय उड़ान।
- 2015: फाल्कन 9 रॉकेट के पहले चरण की सफल लैंडिंग।
- 2017: रॉकेट का पहला पुन: प्रक्षेपण।
- 2018: फाल्कन हैवी की पहली उड़ान।
- 2019: स्टारलिंक उपग्रह इंटरनेट सेवा की शुरुआत।
- नासा के साथ साझेदारी:
- अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए वाणिज्यिक आपूर्ति मिशन।
- नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत चंद्र लैंडर का विकास।
- स्टारशिप:
- सबसे बड़ा और पूरी तरह से पुन: उपयोग योग्य प्रक्षेपण वाहन।
- 2024 में राजस्व:
- $10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक।
- भविष्य की योजनाएं:
- मंगल ग्रह पर मानव बस्ती और अंतरिक्ष अन्वेषण में नई ऊंचाइयां।
Explore our Books: https://apnipathshala.com/product-category/books/
Explore Our test Series: https://tests.apnipathshala.com/