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अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN ) ने हाल ही में “कृषि और संरक्षण” शीर्षक से एक व्यापक रिपोर्ट जारी की है, जो कृषि और जैव विविधता के बीच जटिल संबंधों का गहन विश्लेषण करती है। यह रिपोर्ट कृषि के जैव विविधता पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभावों का आकलन करती है, साथ ही उन सिफारिशों पर भी प्रकाश डालती है जो इन दोनों क्षेत्रों के बीच संतुलन स्थापित कर सकती हैं।
कृषि का जैव विविधता पर प्रभाव:
नकारात्मक प्रभाव:
- IUCN की रेड लिस्ट में शामिल 34% संकटग्रस्त प्रजातियों पर कृषि के कारण सीधा खतरा है।
- कृषि के प्रत्यक्ष खतरों में प्राकृतिक आवासों का कृषि भूमि, चारागाह भूमि, वृक्षारोपण, और सिंचाई क्षेत्र में रूपांतरण शामिल है।
- अप्रत्यक्ष खतरों में आक्रामक विदेशी प्रजातियों का प्रवेश, पोषक तत्वों का अतिभार, मृदा अपरदन, कृषि रसायनों का उपयोग, और जलवायु परिवर्तन जैसे कारक शामिल हैं।
सकारात्मक प्रभाव:
- IUCN की रेड लिस्ट में शामिल लगभग 17% प्रजातियों के लिए कृषि क्षेत्र महत्वपूर्ण निवास स्थान प्रदान करता है।
जैव विविधता का कृषि पर प्रभाव:
सकारात्मक प्रभाव:
- पारिस्थितिकी तंत्र कृषि का समर्थन करता है, विशेष रूप से प्रावधान सेवाओं (जैसे बायोमास और आनुवंशिक सामग्री का उत्पादन) और विनियमन सेवाओं (जैसे जलवायु विनियमन, परागण, जल प्रवाह का नियंत्रण) के माध्यम से।
- ये सेवाएं कृषि को स्थिरता प्रदान करने में सहायक होती हैं, जिससे किसानों को फसल उत्पादन में मदद मिलती है।
नकारात्मक प्रभाव:
- जैव विविधता की कमी कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, जैसे कि फसलों पर कीटों का हमला और रोगाणुओं का प्रसार। इससे उत्पादन घटता है और कृषि को नुकसान पहुंचता है।
कृषि को संरक्षण के साथ जोड़ने की सिफारिशें:
- कृषि स्थिरता:
- उन स्थानों और प्रजातियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए जो कृषि गतिविधियों से नष्ट हो सकती हैं।
- खाद्य सुरक्षा और आर्थिक उत्पादन को संरक्षित करते हुए कृषि गतिविधियों का सतत विकास किया जाए।
- पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का संरक्षण: जलवायु, मिट्टी और पानी की प्राकृतिक स्थिति को बनाए रखना, जो कृषि के लिए अत्यावश्यक हैं।
- कृषि और संरक्षण नीतियों का समन्वय: वैश्विक स्तर पर कृषि सब्सिडियों का सिर्फ 5% से कम हिस्सा हरित सब्सिडी के रूप में दिया जाता है। यह रिपोर्ट कृषि और संरक्षण नीतियों को बेहतर तरीके से संरेखित करने की आवश्यकता पर जोर देती है।
- खाद्य नीति में सुधार: भोजन की बर्बादी को कम करना, साथ ही मांस की खपत को सीमित करना और इसके स्थान पर सकारात्मक आहार परिवर्तन को बढ़ावा देना।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN):· अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) एक विशिष्ट सदस्यता संघ है, जिसमें सरकारें और नागरिक समाज दोनों शामिल हैं। · इसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और टिकाऊ प्रबंधन को बढ़ावा देना है। · IUCN को वर्ष 1948 में स्थापित किया गया था और · इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के ग्लैंड शहर में स्थित है। IUCN के मुख्य कार्य1. वैश्विक संरक्षण का नेतृत्व: IUCN दुनिया की प्राकृतिक स्थिति को संरक्षित करने और पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए एक वैश्विक प्राधिकरण के रूप में काम करता है। 2. वैश्विक नीतियां और दिशानिर्देश: यह पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक नीतियों, अनुसंधान और संरक्षण परियोजनाओं के विकास में योगदान देता है। 3. रेड लिस्ट जारी करना: IUCN की रेड लिस्ट दुनिया की सबसे व्यापक सूची है, जिसमें पौधों और जानवरों की प्रजातियों की वैश्विक संरक्षण स्थिति का आकलन किया जाता है। यह सूची संरक्षण में सुधार लाने और विलुप्त होने से प्रजातियों को बचाने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करती है। |
निष्कर्ष: ICUCN की यह रिपोर्ट दर्शाती है कि कृषि और जैव विविधता एक-दूसरे के साथ जटिल रूप से जुड़े हुए हैं। जहाँ एक ओर कृषि जैव विविधता को नुकसान पहुंचा सकती है, वहीं दूसरी ओर जैव विविधता कृषि को आवश्यक पारिस्थितिक सेवाएं प्रदान करती है। इस संतुलन को बनाए रखने के लिए ठोस नीतिगत सुधारों और स्थिरता को अपनाने की आवश्यकता है।
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