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भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग

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संदर्भ:

भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग: भारत और ऑस्ट्रेलिया समुद्री, स्थलीय और वायु क्षेत्रों में सहयोग और अंतरसंचालन को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। दोनों देशों ने सामुद्रिक डोमेन जागरूकता, सूचनाओं के आदानप्रदान, रक्षा उद्योग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग को प्राथमिकता देने के साथ-साथ एकदूसरे के क्षेत्रों से तैनाती और बहुपक्षीय भागीदारों के साथ सहयोग को बढ़ाने का निर्णय लिया।

भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग : मुख्य बिंदु

  1. रणनीतिक साझेदारी को व्यापक बनाना: द्विपक्षीय संबंधों से परे क्षेत्रीय और बहुपक्षीय ढाँचे में तालमेल
    • क्वाड (भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका): इंडो-पैसिफिक सुरक्षा ढाँचे को मजबूत करना।
    • आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस (ADMM-Plus): क्षेत्रीय सुरक्षा संवादों का विस्तार।
    • हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA): समुद्री सुरक्षा और ब्लू इकोनॉमी में सहयोग को बढ़ावा देना।
  2. रक्षा उद्योग और विज्ञानतकनीक सहयोग:
    • रक्षा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, सह-विकास और सैन्य उपकरणों के सह-उत्पादन पर चर्चा।
    • उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग।
  3. समुद्री सुरक्षा और इंटरऑपरेबिलिटी में सुधार:
    • समुद्री क्षेत्र में जागरूकता और जानकारी साझा करने में सहयोग।
    • AUSINDEX और मालाबार जैसी संयुक्त नौसेना अभ्यासों को मजबूत करना।

भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग का महत्व:

  1. रक्षा सहयोग:
    • व्यापक रणनीतिक साझेदारी (2020): भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपनी रक्षा साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
    • महत्वपूर्ण समझौते: 2021 में म्यूचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट (MLSA) पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे रक्षा आपूर्ति और सहयोग को बढ़ावा मिला।
  2. हिंदप्रशांत सुरक्षा एवं समुद्री रणनीति:
    • क्षेत्रीय चुनौतियां: चीन की आक्रामक गतिविधियों से दक्षिण चीन सागर में सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रही हैं।
    • नौसैनिक सहयोग: भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों समुद्री शक्तियां हैं और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए नौसैनिक सहयोग को मजबूत कर रहे हैं।
  3. उभरते खतरों का सामना:
    • साइबर सुरक्षा: डिजिटल युग में साइबर हमलों से निपटने के लिए दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं।
    • अंतरिक्ष सुरक्षा: सैन्य उद्देश्यों के लिए उपग्रह सुरक्षा और अंतरिक्ष तकनीक में सहयोग।
    • हाइब्रिड युद्ध रणनीति: आधुनिक युद्ध तकनीकों से निपटने के लिए संयुक्त रक्षा अनुसंधान।
  4. रक्षा व्यापार एवं औद्योगिक सहयोग:
    • मेक इन इंडिया और ऑस्ट्रेलियाई रक्षा उद्योग की रणनीति का तालमेल।
  5. संभावित निवेश क्षेत्र:
    • मिसाइल सिस्टम और रडार तकनीक
    • मानव रहित हवाई और नौसैनिक प्लेटफॉर्म
    • संयुक्त जहाज निर्माण परियोजनाएं
  6. रणनीतिक स्वायत्तता और रक्षा साझेदारी में विविधता:
    • ऑस्ट्रेलिया: पारंपरिक सहयोगियों (अमेरिका, ब्रिटेन) पर निर्भरता कम करके भारत के साथ रक्षा संबंध मजबूत कर रहा है।
    • भारत: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने गठजोड़ को व्यापक कर रहा है, जिससे अमेरिका, फ्रांस और जापान के साथ संबंधों को भी बल मिल रहा है।

आगे की राह (Way Forward):

  • रक्षा सहयोग विस्तार – संयुक्त सैन्य अभ्यास, इंटेलिजेंस शेयरिंग और साइबर सुरक्षा को मजबूत करना।
  • हिंदप्रशांत में भूमिका – समुद्री सुरक्षा बढ़ाना, चीन की आक्रामकता का सामना करना और क्वाड जैसी साझेदारियों को गहरा करना।
  • रक्षा औद्योगिक साझेदारी – मिसाइल, ड्रोन और रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन व शोध में सहयोग बढ़ाना।
  • रणनीतिक स्वायत्तता – नई साझेदारियों को बढ़ावा देना और स्थानीय रक्षा उत्पादन को प्राथमिकता देना।
  • नीतिगत कूटनीतिक समन्वय – रक्षा नीति समन्वय और इंडो-पैसिफिक में साझेदार देशों के साथ सहयोग बढ़ाना।

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