Download Today Current Affairs PDF
हाल ही में ब्रसेल्स में भारत-यूरोपीय संघ ऊर्जा पैनल की 10वीं बैठक आयोजित हुई। बैठक में दोनों पक्षों की ऊर्जा संक्रमण प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई और भारत-ईयू स्वच्छ ऊर्जा एवं जलवायु साझेदारी 2021-2024 के दूसरे चरण की उपलब्धियों की समीक्षा की गई।
बैठक के मुख्य बिंदु:
- तकनीकी सहयोग और 51 गतिविधियां पूरी की गईं: दोनों पक्षों ने 9 क्षेत्रों में विभाजित 51 गतिविधियों में तकनीकी सहयोग के तहत संयुक्त पहल पूरी की।
- ग्रीन हाइड्रोजन सहयोग का खाका तैयार : भारत और ईयू ने ग्रीन हाइड्रोजन नीतियों, प्रौद्योगिकी, और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए सहयोग की रूपरेखा बनाई।
- अंतरराष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन सम्मेलनों में भागीदारी :
- ईयू और उसके सदस्य देशों ने भारत में आयोजित ग्रीन हाइड्रोजन इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस 2024 में हिस्सा लिया।
- भारत यूरोपीय हाइड्रोजन वीक 2024 का विशेष देश भागीदार बना।
- स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं पर दीर्घकालिक शोध प्रतिबद्धताएं : भारत-ईयू ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल के तहत स्वच्छ और हरित तकनीकों में संयुक्त अनुसंधान का समर्थन किया गया।
- तीसरे चरण (2025-2028) की कार्य योजना अपनाई गई : भारत-ईयू स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु साझेदारी के अगले चरण में पांच प्राथमिक क्षेत्रों पर गहन सहयोग होगा:
- ग्रीन हाइड्रोजन
- अपतटीय पवन ऊर्जा (Offshore Wind)
- क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और बिजली बाजार एकीकरण
- ऊर्जा दक्षता और स्मार्ट ग्रिड
- ऊर्जा और जलवायु कूटनीति
- अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में ईयू की भागीदारी : पैनल ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में ईयू और इसके सदस्य देशों की सक्रिय भागीदारी का स्वागत किया।
- जी20 और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के साथ सहयोग पर जोर : भारत और ईयू ने स्वच्छ ऊर्जा के लिए जी20 और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के साथ सहयोग को और गहरा करने पर सहमति जताई।
भारत–ईयू स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु साझेदारी:
परिचय:
- यह साझेदारी 2016 में भारत-ईयू शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू की गई थी।
- इसका वित्त पोषण यूरोपीय संघ के पार्टनरशिप इंस्ट्रूमेंट के तहत किया जाता है और इसे भारत में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
- इस परियोजना के कार्यान्वयन में PwC इंडिया, NIRAS A/S, EUROCHAMBRES, और Council on Energy, Environment and Water (CEEW) साझेदार हैं।
उद्देश्य:
- स्वच्छ ऊर्जा और पेरिस समझौते के कार्यान्वयन में सहयोग को मजबूत करना।
- जलवायु अनुकूल ऊर्जा स्रोतों, जैसे सौर और पवन ऊर्जा, को बढ़ावा देना।
- ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency – EE), नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy – RE), और जलवायु परिवर्तन (Climate Change – CC) पर ध्यान केंद्रित करना।
प्रमुख क्षेत्र:
- ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency):
-
- ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ECBC): ऊर्जा कुशल इमारतों को बढ़ावा देना।
- Nearly Zero Energy Building (nZEB): ऊर्जा की खपत को न्यूनतम स्तर तक लाना।
- नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy):
-
- लार्ज–स्केल सोलर पीवी: बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पादन।
- सोलर पीवी रूफटॉप: छतों पर सौर ऊर्जा प्रणाली की स्थापना।
- अपतटीय पवन ऊर्जा (Offshore Wind): समुद्री क्षेत्रों में पवन ऊर्जा उत्पादन।
- ऊर्जा भंडारण (Energy Storage): ऊर्जा संग्रहण के लिए नई तकनीकों का विकास।
- ग्रीन हाइड्रोजन: स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का भविष्य।
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change):
-
- अनुकूलन (Adaptation): जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने की तैयारी।
- शमन (Mitigation): ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी।
- कूलिंग और कोल्ड–चेन: ताप प्रबंधन और ठंडी आपूर्ति श्रृंखला के लिए उपाय।
- ज्ञान प्रबंधन (Knowledge Management): जलवायु और ऊर्जा पर शोध और डेटा साझा करना।
- अन्य क्षेत्र:
-
- स्मार्ट ग्रिड: उन्नत ऊर्जा वितरण प्रणाली।
- सतत वित्त (Sustainable Finance): स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता।