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भारत का रक्षा निर्यात

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत का रक्षा निर्यात ₹21,000 करोड़ का रिकॉर्ड पार कर गया है, जो एक दशक पहले ₹2,000 करोड़ था। उन्होंने कहा कि 2029 तक रक्षा निर्यात को ₹50,000 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

मुख्य बिंदु:

  1. रक्षा निर्यात में वृद्धि और लक्ष्य:
    • भारत का रक्षा निर्यात ₹2,000 करोड़ से बढ़कर ₹21,000 करोड़ हो गया है।
    • 2029 तक ₹50,000 करोड़ का लक्ष्य।
    • स्वदेशी रक्षा उपकरणों का निर्यात बढ़ा।
  2. नई युद्ध विधाओं और प्रशिक्षण:
    • सूचना युद्ध, एआई आधारित युद्ध, साइबर हमले जैसी नई चुनौतियों का सामना।
    • सैनिकों को उन्नत प्रशिक्षण देने की आवश्यकता।
  3. सैन्य एकजुटता और अंतरराष्ट्रीय संबंध:
    • तीनों सेनाओं के बीच समन्वय बढ़ाने की योजना।
    • मोरक्को ने भारतीय रक्षा कंपनियों को निवेश के लिए आमंत्रित किया।

भारत की रक्षा क्षेत्र में प्रगति के मुख्य पहलू:

  1. रक्षा निर्यात में वृद्धि:
    • भारत के रक्षा निर्यात में पिछले छह वर्षों (FY24 तक) में लगभग 28% की सीएजीआर से वृद्धि दर्ज की गई है।
    • अगले पांच वर्षों (FY24 से FY29) में रक्षा निर्यात 19% की दर से बढ़ने का अनुमान है।
    • निर्यात में विमान, नौसैनिक प्रणाली, मिसाइल तकनीक, और सैन्य उपकरण जैसे उत्पाद शामिल हैं।
  2. स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा:
    • मेक इन इंडिया जैसी पहलों के जरिए भारत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।
    • विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता घटाकर, भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को सशक्त बना रहा है।
  3. रक्षा बजट का आवंटन:
    • भारत का रक्षा बजट लगातार 90% से 2.8% तक GDP का हिस्सा रहा है।
    • 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए रक्षा क्षेत्र के लिए 22 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

भारत का रक्षा निर्यात :

  • लक्ष्य और उपलब्धियां:
    • 2028-29 तक ₹50,000 करोड़ रक्षा निर्यात का लक्ष्य।
    • FY 2023-24 में ₹21,083 करोड़ का निर्यात, पिछले वित्तीय वर्ष से 5% की वृद्धि।
  • निर्यात में योगदान:
    • निजी क्षेत्र का हिस्सा 60%, जबकि DPSUs का 40%
    • भारत के लगभग 100 स्थानीय फर्म 85 देशों को रक्षा सामग्री निर्यात कर रहे हैं।
  • मुख्य आयातक देश:
    • 2000 से 2023 के बीच म्यांमार 31% निर्यात के साथ सबसे बड़ा आयातक।
    • इसके बाद श्रीलंका (19%), मॉरीशस, नेपाल, आर्मेनिया, वियतनाम और मालदीव।
  • रक्षा उत्पादन में वृद्धि:
    • 2016-17 में ₹74,054 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में ₹1,08,684 करोड़।
    • इसमें से 96% उत्पादन निजी कंपनियों द्वारा।

रक्षा उत्पादन से जुड़ी चुनौतियां:

  1. निजी क्षेत्र की सीमित भागीदारी।
  2. गुणवत्ता और अंतरराष्ट्रीय मानकों की कमी।
  3. वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा।
  4. इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी।
  5. अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश की कमी।
  6. विदेशी आयात पर निर्भरता।
  7. सशस्त्र बलों और उद्योगों के बीच समन्वय की कमी।

आगे की राह:

  1. रक्षा निर्यात से प्राप्त राजस्व का उपयोग अनुसंधान बजट और पूंजीगत व्यय बढ़ाने में।
  2. चीन की असंगत निर्यात नीति और भू-राजनीतिक अवसरों का उपयोग।
  3. अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन कर उत्पाद की गुणवत्ता और विश्वास बढ़ाना।
  4. सार्वजनिकनिजी भागीदारी को प्रोत्साहन और अंतरराष्ट्रीय विपणन में निवेश।
  5. पिनाका, आकाश, ध्रुव जैसे उच्च मूल्य वाले हथियारों के निर्यात को बढ़ावा।

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