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संदर्भ:
ईरान परमाणु समझौता: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई को एक पत्र भेजकर नए परमाणु समझौते पर वार्ता करने की पेशकश की। हालांकि, ईरान ने अमेरिका के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत फिर से शुरू करने से इनकार कर दिया।
2015 ईरान परमाणु समझौता (Iran Nuclear Deal):
- परिचय:
- यह समझौता संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) के नाम से जाना जाता है।
- 2013 से 2015 के बीच ईरान और P5+1 (चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, अमेरिका + जर्मनी) के बीच वार्ता के बाद यह समझौता हुआ।
- समझौते की शर्तें:
- ईरान की परमाणु गतिविधियों में कटौती – ईरान ने अपने सेंट्रीफ्यूज, समृद्ध यूरेनियम और भारी पानी के भंडार को काफी हद तक कम करने पर सहमति जताई।
- IAEA की निगरानी – अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) को ईरान के परमाणु स्थलों का निरीक्षण करने की अनुमति मिली ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह गुप्त रूप से परमाणु हथियार विकसित न कर सके।
- पश्चिमी देशों की सहमति:
- परमाणु प्रतिबंधों में छूट – पश्चिमी देशों ने ईरान पर लगे परमाणु प्रसार से जुड़े प्रतिबंध हटाने पर सहमति दी।
- आंशिक प्रतिबंध जारी – मानवाधिकार हनन और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से जुड़े प्रतिबंध यथावत रहे।
- अमेरिका की भूमिका – अमेरिका ने तेल निर्यात प्रतिबंध हटाने पर सहमति दी लेकिन वित्तीय लेन-देन पर प्रतिबंध जारी रखा, जिससे ईरान के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर असर पड़ा।
- प्रभाव:
- ईरान की अर्थव्यवस्था में सुधार – कई वर्षों की मंदी, मुद्रा अवमूल्यन और मुद्रास्फीति झेलने के बाद ईरान की अर्थव्यवस्था स्थिर हुई, और उसके निर्यात में वृद्धि हुई।
- इज़राइल और सऊदी अरब की आपत्ति – इज़राइल ने इस समझौते का कड़ा विरोध किया। सऊदी अरब ने भी असंतोष जताया क्योंकि उसे वार्ता में शामिल नहीं किया गया था।
ईरान की प्रतिबद्धताएँ (Iran’s Commitments)
- परमाणु प्रतिबंध:
- ईरान उच्च स्तर का संवर्धित यूरेनियम (Highly Enriched Uranium) या प्लूटोनियम हथियार बनाने के लिए उत्पादित नहीं करेगा।
- Fordow, Natanz, और Arak परमाणु सुविधाओं को केवल नागरिक उद्देश्यों (Civilian Purposes) के लिए उपयोग करेगा।
- सेंट्रीफ्यूज सीमाएँ:
- सेंट्रीफ्यूज की संख्या, प्रकार और संवर्धन स्तर को सीमित किया।
- संवर्धित यूरेनियम के स्तर:
- 5% तक – परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए।
- 20% तक – चिकित्सा और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए।
- 90% तक – परमाणु हथियार निर्माण के लिए (जिसे ईरान ने प्रतिबंधित किया)।
- निगरानी और सत्यापन: IAEA (अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) को असीमित पहुंच (Unfettered Access) की अनुमतिदी गई, जिसमेंअघोषित (Undeclared) परमाणु स्थलों का निरीक्षण भी शामिल है।
- संयुक्त आयोग (Joint Commission) इस समझौते के कार्यान्वयन की निगरानी करता है और विवादों को हल करता है, जिसमें IAEA को संदिग्ध स्थलों तक पहुंच देने की प्रक्रिया भी शामिल है।
चुनौतियाँ:
- अमेरिका और ईरान के बीच अविश्वास: अतीत में हुए समझौतों के उल्लंघन के कारण कूटनीतिक प्रगति में बाधा आती है।
- विभिन्न हित (Diverging Interests): अमेरिका व्यापक समझौता चाहता है, जबकि ईरान केवल JCPOA की बहाली पर केंद्रित है।
- घरेलू राजनीतिक बाधाएँ: दोनों देशों में कट्टरपंथी गुट (Hardliners) समझौते के प्रति विरोधी रुख अपनाते हैं, जिससे समझौता मुश्किल हो जाता है।
अमेरिका का समझौते से बाहर होना:
- 2018 में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इस समझौते से हटकर फिर से कड़े प्रतिबंध लगाए।
- बैंकिंग और तेल व्यापार पर नए प्रतिबंधों के बाद ईरान ने अपना परमाणु कार्यक्रम फिर से तेज कर दिया।
- परिणामस्वरूप, ईरान 2015 से पहले के अपने 97% परमाणु क्षमता स्तर पर लौट आया।