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मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता निर्वा ने शावकों को जन्म दिया है। वन्यजीव अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। निर्वा को 2022 में दक्षिण अफ्रीका से यहां लाया गया था और पिछले कुछ हफ्तों से उसमें गर्भावस्था के संकेत दिखाई दे रहे थे।
कूनो नेशनल पार्क में चीता पुनर्वास परियोजना: वर्तमान स्थिति
पिछले एक वर्ष से कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में 24 चीते – 12 वयस्क और 12 शावक – बाड़ों के अंदर रखे गए हैं। इन्हें पिछले साल 13 अगस्त को बाड़ों में लाया गया था, जब उससे पहले के महीने में तीन वयस्क चीतों की मृत्यु सैप्टिसीमिया (रक्त संक्रमण) के कारण हुई थी। उनकी सर्दियों की घनी खाल के नीचे हुए घावों में कीड़े लगने से यह संक्रमण हुआ था।
चीता पुनर्वास परियोजना:
- इस परियोजना का उद्देश्य चीतों को स्वतंत्र रूप से जंगल में विचरण करने योग्य बनाना था।
- हालांकि, अधिकांश चीते अभी भी संरक्षित बाड़ों में ही हैं और उन्हें जंगल में छोड़ने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की अनुमति का इंतजार है।
- अधिकारियों के अनुसार, चीतों को चरणबद्ध तरीके से जंगल में अक्टूबर के अंत से छोड़ा जाना था, लेकिन यह प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो सकी है।
उपलब्धियां और चुनौतियां:
- पिछले दो वर्षों में केएनपी में भारतीय भूमि पर कुल 12 चीता शावकों का जन्म हुआ है।
- हालांकि, परियोजना को कई झटके भी लगे हैं, जिसमें आठ वयस्क चीते और पांच शावकों की मृत्यु शामिल है।
चीता परियोजना:
- परियोजना का उद्देश्य:
चीतों को भारत में फिर से बसाने के लिए ‘प्रोजेक्ट चीता‘ शुरू किया गया। भारत में चीते 1952 में विलुप्त घोषित किए गए थे। - प्रारंभिक प्रक्रिया:
- चीतों को शुरुआत में कम से कम एक महीने के लिए सुरक्षित बाड़े में रखा जाता है।
- यह प्रक्रिया उन्हें केंद्रित क्षेत्र से जुड़ने में मदद करती है।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान: एक परिचय
स्थान और नामकरण:
- कूनो राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश के श्योपुर और मुरैना जिलों में स्थित है।
- इसका नाम कूनो नदी के नाम पर रखा गया है।
स्थापना और विकास:
- 1981 में इसे वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था।
- इसका प्रारंभिक क्षेत्रफल 344.68 वर्ग किलोमीटर था।
- 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया, और इसका क्षेत्र 413 वर्ग किलोमीटर बढ़ाया गया।
पर्यावरणीय महत्व:
- यह खठियार-गिर शुष्क पर्णपाती वन क्षेत्र का हिस्सा है।
- यह वन्यजीव संरक्षण और पुनर्वास के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।
प्रमुख परियोजनाएं:
- एशियाई शेर पुनर्वास परियोजना:
- 1990 के दशक में इसे एशियाई शेरों के दूसरे आवास के रूप में चुना गया।
- 1998-2003 के बीच 24 गांवों के लगभग 1,650 निवासियों को पुनर्वासित किया गया।
- हालांकि, गुजरात ने शेरों को स्थानांतरित करने का विरोध किया, और यह परियोजना आगे नहीं बढ़ सकी।
- चीता पुनर्वास परियोजना:
- 2009 में इसे भारत में चीतों को पुनः स्थापित करने के लिए प्रस्तावित किया गया।
- सितंबर 2022 में नामीबिया से 8 चीतों को यहां लाया गया।
- फरवरी 2023 में 12 और चीतों को उद्यान में लाया गया।
- मार्च 2023 में 4 चीता शावकों का जन्म हुआ।
महत्व:
- कूनो राष्ट्रीय उद्यान एशियाई शेर और चीता पुनर्वास जैसी परियोजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है।
- यह भारत के वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता बढ़ाने के प्रयासों का प्रमुख हिस्सा है।