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भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का महत्व

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हाल ही में भारत के उपराष्ट्रपति ने पूर्वोत्तर क्षेत्र राष्ट्रीय एकता, आर्थिक प्रगति और सांस्कृतिक पर प्रकाश डाला हैं।

पूर्वोत्तर क्षेत्र का परिचय:

  • राज्य: इसमें आठ पहाड़ी राज्य शामिल हैं: अरुणाचल प्रदेश, असम, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और नागालैंड।
  • अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ: यह चीन, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार के साथ 5,812 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करता है।
  • संकीर्ण कनेक्शन: यह ‘चिकन नेक’ के रूप में जाना जाने वाला सिलीगुड़ी गलियारे के माध्यम से मुख्य भूमि भारत से जुड़ा हुआ है, जो केवल 22 किमी लंबा है।
  • भाषाई विविधता: यहाँ 220 भाषाएँ बोली जाती हैं, और विभिन्न जनजातीय समूहों के अद्वितीय सामाजिक और सांस्कृतिक विशेषताएँ हैं।

क्षेत्र का महत्व:

  1. रणनीतिक स्थान: यह आसियान बाजारों के लिए एक प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है, जिससे दक्षिण-पूर्व एशिया तक आसान पहुंच संभव हो जाती है।
  2. प्राकृतिक संसाधन: क्षेत्र में तेल, गैस, कोयला, खनिज, लकड़ी, औषधीय पौधों और जल संसाधनों की प्रचुरता है।
  3. भारत का हरित केंद्र: यहाँ हरे-भरे वन और जैव विविधता है, जो पारिस्थितिकी पर्यटन और कृषि आधारित उद्योगों के लिए आदर्श है।
  4. सांस्कृतिक विरासत: यह अद्वितीय जातीय समुदायों और परंपराओं का घर है, जो पर्यटन और हस्तशिल्प में निवेश के अवसर प्रदान करता है।
  5. कम लागत वाला विनिर्माण केंद्र: क्षेत्र में श्रम लागत अन्य क्षेत्रों की तुलना में प्रतिस्पर्धी है।
  6. कुशल कार्यबल: इसमें युवा, शिक्षित कार्यबल है, जो अंग्रेजी में कुशल है।
  7. उभरता हुआ उपभोक्ता बाजार: बढ़ती आय और शहरीकरण के साथ उपभोक्ता आधार में वृद्धि हो रही है, जिससे व्यावसायिक संभावनाएँ बढ़ रही हैं।

चुनौतियाँ:

  1. आर्थिक विकास में बाधाएँ: ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों ने जनजातीय हितों की रक्षा के लिए सीमाएँ बनाई, जिससे विकास प्रभावित हुआ।
  2. सामाजिक-राजनीतिक समस्याएँ: अलगाव, राजनीतिक हिंसा और जातीय संघर्ष जैसे मुद्दे क्षेत्र में विकास को जटिल बना रहे हैं।
  3. कनेक्टिविटी में देरी: कनेक्टिविटी परियोजनाओं में देरी हो रही है, जिससे क्षेत्र की विकास संभावनाएँ बाधित हो रही हैं।
  4. जानकारी का अभाव: सार्वजनिक मंचों पर निराधार जानकारी के प्रसार को लेकर चिंता जताई गई है।

पहल:

  1. लुक ईस्ट और एक्ट ईस्ट नीतियाँ: इन नीतियों ने क्षेत्र में संचार और कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया।
  2. सरकारी प्रोत्साहन: कर छूट और सब्सिडी सहित विभिन्न प्रोत्साहन उपलब्ध कराए गए हैं।
  3. केंद्रीय बजट 2024: इस बजट में आर्थिक और औद्योगिक विकास को प्राथमिकता दी गई है, विशेषकर युवाओं, महिलाओं और आदिवासी समुदायों के लिए।
  4. जनजातीय उन्नत ग्राम योजना: इस योजना का उद्देश्य जनजातीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना है।
  5. प्रमुख कनेक्टिविटी परियोजनाएँ: कलादान मल्टीमॉडल परियोजना, भारत-म्यांमार रेल संपर्क और त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना क्षेत्र की कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

निष्कर्ष: पूर्वोत्तर क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का कार्य करता है। हालांकि विभिन्न पहलों के बावजूद, क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार लाने में महत्वपूर्ण चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जिनका समाधान करना आवश्यक है। अविकसितता और हाशिए पर पड़े लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए संबंधों को मजबूत करना चाहिए और मानव संसाधन तथा क्षमता निर्माण के विकास को बुनियादी ढांचे के विकास के समानांतर बढ़ावा देना चाहिए। कौशल विकास इस क्षेत्र में प्रतिभा का अनुकूलन करने और मानव संसाधन को बढ़ाने के लिए आवश्यक है।

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