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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नई संशोधित परमाणु नीति पर हस्ताक्षर

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को नई संशोधित परमाणु नीति पर हस्ताक्षर किए। इस फैसले के तहत रूस ने अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों के उपयोग को लेकर नए दिशा-निर्देश तय किए हैं। मुख्य बिन्दु :

  • अगर कोई देश किसी परमाणु-संपन्न देश की सहायता से रूस पर हमला करता है, तो इसे रूस पर संयुक्त हमला माना जाएगा।
  • ऐसी स्थिति में, रूस की सरकार को परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने का अधिकार होगा।
  • इस नीति में परमाणु हथियार के उपयोग के लिए कुछ शर्तें भी जोड़ी गई हैं, जिन्हें अभी स्पष्ट नहीं किया गया है।
  • यह फैसला रूस-यूक्रेन युद्ध के 1000 दिन पूरे होने के मौके पर लिया गया, जिससे इसकी रणनीतिक और प्रतीकात्मक अहमियत बढ़ गई है।

रूस ने नई परमाणु नीति पर हस्ताक्षर क्यों किए?

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा संशोधित परमाणु नीति पर हस्ताक्षर करना एक रणनीतिक कदम है, जो बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य का जवाब है। इसके पीछे प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • अमेरिका का फैसला: जो बाइडन सरकार ने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलों से रूस के भीतर हमले की मंजूरी दी है। यह कदम रूस की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है और इस पर रूस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
  • यूक्रेन का मिसाइल उपयोग: लेकिन अब उनके उपयोग की सीमा रूस के सैन्य अड्डों और अहम ठिकानों तक बढ़ गई है।
  • सुरक्षा के लिए आक्रामक नीति: नई परमाणु नीति में प्रावधान किया गया है कि अगर रूस पर बड़े पैमाने पर हवाई हमला होता है, तो वह परमाणु हथियारों का उपयोग कर सकता है। यह कदम रूस की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करता है।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध की स्थिति: रूस-यूक्रेन युद्ध के 1000 दिन पूरे होने के अवसर पर लिया गया यह फैसला संकेत देता है कि रूस इस संघर्ष में कोई ढील देने के मूड में नहीं है।
  • अमेरिका और नाटो का हस्तक्षेप: रूस ने अमेरिका और नाटो पर यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। नई परमाणु नीति रूस की ओर से शक्ति प्रदर्शन और प्रतिरोध का संकेत है।
  • भविष्य के खतरों से निपटने की तैयारी: रूस ने इस नीति के जरिए यह स्पष्ट किया है कि वह किसी भी प्रकार के बड़े हमले का जवाब देने के लिए तैयार है, चाहे वह परंपरागत हो या परमाणु।

प्रमुख बदलाव:

  1. ड्रोन और अन्य हमलों पर प्रतिक्रिया:
    • यदि कोई देश रूस पर बड़े पैमाने पर ड्रोन हमला करता है, तो रूस इसे अपने खिलाफ युद्ध के रूप में मानेगा और इसका जवाब न्यूक्लियर डेटरेंस (परमाणु हथियार) से दे सकता है।
    • क्रूज मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल, या अन्य उड़ने वाले हथियारों से हमले की स्थिति में भी रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।
  2. अंतरिक्ष से खतरे पर प्रतिक्रिया:
    • यदि रूस पर अंतरिक्ष से हमला होता है या हथियार भेजे जाते हैं, तो इसे रूस के खिलाफ जंग माना जाएगा।
    • ऐसी स्थिति में रूस अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम को सक्रिय करेगा और जरूरत पड़ने पर अंतरिक्ष में भी हमला कर सकता है।
  3. राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता:
    • यदि रूस को अपनी सीमा या नागरिकों पर खतरा महसूस होता है, तो वह न्यूक्लियर मिसाइल और मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैनात कर सकता है ताकि दुश्मन के हमलों का जवाब दिया जा सके।
  4. सहयोगी देशों पर प्रावधान में बदलाव:
    • पूर्व नीति के तहत रूस अपने सहयोगी बेलारूस पर हमले की स्थिति में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता था, लेकिन संशोधित नीति में इस प्रावधान को हटा दिया गया है।

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